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उपनिषदों का अन्वेषण: वास्तुकार परमात्मा!

एष देवो विश्वकर्मा महात्मा सदा जनानां हृदये सन्निविष्टः। हृदा मनीषा मनसाभिक्लृप्तो य एतद्विदुरमृतास्ते भवन्ति॥ चतुर्थ अध्याय, 17 वां श्लोक अर्थ: ये है विश्वकर्मा ...

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