लोकसभा चुनाव के लिए महाराष्ट्र में शिवसेना और भारतीय जनता पार्टी के बीच गठबंधन हो गया है और सीटों को लेकर भी सहमती बन गयी है। इस गठबंधन से विपक्षी दलों को जोर का झटका लगा है। ये गठबंधन उनके गले नहीं उतर रहा है कि कैसे बीजेपी के पर एक के बाद एक हमले करने वाली शिवसेना अब इसी पार्टी के साथ है। हालांकि, इस गठबंधन से दोनों ही पार्टियों ने ये संकेत दे दिया है कि तकरार के बावजूद दोनों पार्टियां साथ हैं और वो न सिर्फ लोकसभा चुनाव बल्कि विधानसभा चुनाव भी दोनों मिलकर लड़ेंगे। बीजेपी के अध्यक्ष अमित शाह और शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे ने मुंबई में इस गठबंधन की औपचारिक घोषणा कर दी है। एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में अमित शह और उद्धव ठाकरे की मौजूदगी में महाराष्ट्र के सीएम देवेंद्र फडणवीस ने दोनों पार्टियों के बीच हुए गठबंधन की घोषणा की।
Interacting with media with our Rashtriya Adhyaksh @AmitShah ji &ShivSena leader Uddhav Thackeray ji https://t.co/4Co1o6MRXI
— Devendra Fadnavis (Modi Ka Parivar) (@Dev_Fadnavis) February 18, 2019
We all karyakratas are glad that #BJPShivSena has once again decided to play a nationalist role in the interest of nation, citizens & farmers, towards commitment for development and to strengthen hands to elect our Hon PM @narendramodi ji to lead our great Nation yet again! pic.twitter.com/rpck6uylXw
— Devendra Fadnavis (Modi Ka Parivar) (@Dev_Fadnavis) February 18, 2019
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार दोनों पार्टियों के बीच सीटों के बंटवारे को लेकर सहमती भी बन गयी है। बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह और शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे के बीच सीटों के बंटवारे का मुद्दा सुलझ गया है। महाराष्ट्र विधानसभा की 228 सीटों में दोनों पार्टियों की आधी-आधी सीट पर चुनाव लड़ने की सहमती बनी है जबकि लोकसभा की 48 सीटों में से बीजेपी 25 और शिवसेना 23 सीटों पर चुनाव लड़ेगी। महाराष्ट्र मुख्यमंत्री ने कहा, ‘सीटों पर बंटवारे से पहले दोनों पार्टियों के बीच राम मंदिर को लेकर चर्चा हुई और इस मुद्दे पर शिवसेना और बीजेपी के विचार एक हैं।’ देवेंद्र फडणवीस ने इस दौरान ये भी कहा कि ‘ये वक्त मतभेद भुलाकर एक साथ आने का है। कुछ लोग बीजेपी-शिवसेना को आपस में लड़ाना चाहते हैं लेकिन मतभेद के बावजूद हमारे विचार एक हैं। कई मुद्दों पर दोनों पार्टियों की सहमती बन गयी है। ये मौका है कि राष्ट्रवादी पार्टियां एक साथ आयें और मिलकर चुनाव लड़ें, ये दोनों ही सैद्धांतिक रूप से हिंदूवादी पार्टियां हैं।‘
जैसे ही गठबंधन की खबरें चर्चा में आयीं विरोधी पार्टियों ने तंज कसना शुरू कर दिया। कांग्रेस पार्टी के वरिष्ठ नेता अहमद पटेल ने ट्वीट कर कहा, “पहले बिहार, फिर महाराष्ट्र और अब तमिलनाडु, एक के बाद एक भाजपा गठबंधन बनाने में लगी है। सबसे बड़ा महासवाल-यह महामिलावट है या महाभय?” वहीं, पुणे में राज्य विधानसभा में नेता विपक्ष विखे पाटिल ने कहा, ‘‘मेरे पास सूचना है कि भाजपा ने शिवसेना को प्रवर्तन निदेशालय का डर दिखाकर गठबंधन करने को मजबूर किया है।” यही नहीं आशुतोष कुमार ने तो इसे राजनीतिक तंज कसा और कहा, “ये है राजनीति। अब बीजेपी शिवसेना भाई भाई।”
ये है राजनीति । अब बीजेपी शिवसेना भाई भाई ।
— ashutosh (@ashutosh83B) February 18, 2019
https://twitter.com/ChandBrajesh/status/1097523911443439617
इस तंज का एक यूजर ने करारा जवाब देते हुए कहा, “हैरानी हुई कल्लू भाई !ये दोनों तो नोकझोंक के बाबजूद साथ ही रहते आए हैं, तब भी तुमको हैरानी हुई। तब नहीं हुई होगी जब नटवरलाल 370पन्ने फैंक कर हाथ मिला रहा था।“ इस यूजर ने केजरीवाल और कांग्रेस के गठबंधन पर तंज कसकर आशुतोष को आईना दिखाया है।
Our association with the @ShivSena goes beyond politics. We are bound by a desire to see a strong and developed India.
The decision to contest together strengthens the NDA significantly. I am sure our alliance is going to be Maharashtra’s first and only choice!
— Narendra Modi (@narendramodi) February 18, 2019
Inspired by the vision of Atal Ji and Balasaheb Thackeray Ji, BJP-Shiv Sena alliance will continue working for the well-being of Maharashtra and ensuring the state once again elects representatives who are development oriented, non corrupt and proud of India’s cultural ethos.
— Narendra Modi (@narendramodi) February 18, 2019
वहीं इस गठबंधन पर तमाम सवाल उठाये जाने और तंज कसे जाने के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने करारा जवाब दिया। उन्होंने ट्वीट कर कहा, “शिवसेना के साथ बीजेपी का गठबंधन राजनीति से परे है। हमारी इच्छा एक मजबूत और विकसित भारत को देखना है। साथ में चुनाव लड़ने का फैसला एनडीए को और मजबूत बनाएगा। मुझे विश्वास है कि हमारा गठबंधन महाराष्ट्र की पहली और एकमात्र पसंद होगी!” इस गठबंधन पर शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे ने कहा कि, “दोनों पार्टियों के बीच मतभेद जरुर है लेकिन हमारे मन बिलकुल साफ़ हैं। हम प्रयास करेंगे कि भविष्य में इस तरह का कोई मतभेद न हो।”
ऐसा लगता है कि शिवसेना को ये समझ आ गया है कि महाराष्ट्र में सत्ता में बने रहना है तो ये बीजेपी के बिना संभव नहीं है। पिछले चुनावों में मिली हार से सबक लेते हुए इस पार्टी ने बीजेपी के साथ गठबंधन पर अपनी रजामंदी दी है। बता दें कि बीजेपी और शिवसेना महाराष्ट्र में 25 सालों से साथ हैं लेकिन पिछले विधानसभा चुनाव में ये दोनों पार्टियां साथ नहीं थीं लेकिन बाद में दोनों ने गठबंधन कर एकसाथ सरकार चलाई। वर्ष 2015 में हुए महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में शिवसेना और बीजेपी दोनों ही पार्टियों ने अकेले चुनाव लड़ा था तब बीजेपी सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी थी लेकिन राज्य में सत्ता कायम करने के लिए दोनों पार्टियां एक बार फिर से एक साथ आयी थीं। कहने को शिवसेना बीजेपी के साथ थी लेकिन बीजेपी को बड़ी मात्रा में मिली सीट से उसके मन में भारतीय जनता पार्टी के के लिए कड़वाहट भर चुकी थी। उद्धव ठाकरे इस बात को आसानी से पचा नहीं पा रहे थे कि गठबंधन की सरकार में उनका प्रभाव अब पहले की तरह नहीं रहा इसलिए वो बार-बार एक बड़े सहयोगी की तरह राज्य में गठबंधन सरकार में हावी होने की पूरी कोशिश करते रहे। बृहन मुंबई महानगरपालिका (बीएमसी) चुनाव हो या या नगर निकाय चुनाव या हो उपचुनाव बीजेपी शिवसेना समेत महाराष्ट्र के अन्य विपक्षी दलों पर भारी रही। शिवसेना बीजेपी की जीत से इतनी परेशान हो गयी है कि राजनीतिक लाभ के लिए अब तुष्टिकरण की राजनीति में भी लिप्त हो गयी। बार-बार कोशिशों के बावजूद शिवसेना को कोई लाभ नहीं मिल रहा था। बीजेपी ने अकेले ही लोकसभा चुनाव लड़ने की बात कह दी। यही नहीं विपक्ष भी इस मतभेद को बढ़ावा देने के खूब प्रयास कर रहा था ताकि वो इसका फायदा आगामी लोकसभा चुनाव में कर सकें। हालांकि, मतभेद के बावजूद जब भी बीजेपी को शिवसेना की जरूरत पड़ी है इस पार्टी ने कभी मना नहीं किया। इसका उदाहरण कई बार देखने को भी मिला है। राज्यसभा में उपसभापति के उम्मीदवार के लिए बीजेपी ने शिवसेना से समर्थन मांगा तो उसने तुरंत ही उम्मीदवार को अपना समर्थन देने के लिए हामी भर दी। अब जब लोकसभा चुनाव पास आ गए तो शिवसेना एक बार फिर से भारतीय जनता पार्टी के साथ हो गयी है। इस गठबंधन से विपक्ष के उस मंसूबे पर भी पानी फिर गया है जो बीजेपी-शिवसेना के वर्षों पुराने साथ को खत्म करना चाहती था।