TFIPOST English
TFIPOST Global
tfipost.in
tfipost.in
कोई परिणाम नहीं मिला
सभी परिणाम देखें
  • राजनीति
    • सभी
    • चर्चित
    • बिहार डायरी
    • मत
    • समीक्षा
    खरगे की मांग बनाम RSS: डर के साथ कब तक भारतीय राजनीति में कब तक खड़ी रह पाएगी कांग्रेस

    खरगे की मांग बनाम RSS: डर के साथ कब तक भारतीय राजनीति में कब तक खड़ी रह पाएगी कांग्रेस

    जब गमछा बना राजनीति का संदेश: पीएम मोदी की प्रतीक-प्रधान चुनावी रणनीति और जनता से सीधा जुड़ाव

    जब गमछा बना राजनीति का संदेश: पीएम मोदी की प्रतीक-प्रधान चुनावी रणनीति और जनता से सीधा जुड़ाव

    अतुल लिमये संघ के सह सरकार्यवाह हैं

    अरुण कुमार की जगह सह सरकार्यवाह अतुल लिमये संभालेंगे संघ-भाजपा के बीच समन्वय की कमान, संगठन में बदलाव से पहले मिली भाजपा-संघ संबंधों को साधने की बड़ी जिम्मेदारी

    सरदार पटेल: लौहपुरुष जिन्होंने मातृभूमि के लिए अपना सबकुछ कुर्बान कर दिया

    सरदार पटेल: लौहपुरुष जिन्होंने मातृभूमि के लिए अपना सबकुछ कुर्बान कर दिया

    • चर्चित
    • मत
    • समीक्षा
  • अर्थव्यवस्था
    • सभी
    • वाणिज्य
    • व्यवसाय
    हमसे दुश्मनी महंगी पड़ेगी: भारत की सतर्कता और बांग्लादेश की गलती, जानें बांग्लादेश की अर्थव्यवस्था पर कैसे पड़ रही चोट

    हमसे दुश्मनी महंगी पड़ेगी: भारत की सतर्कता और बांग्लादेश की गलती, जानें बांग्लादेश की अर्थव्यवस्था पर कैसे पड़ रही चोट

    The Power of Reading in Building Economic Awareness

    The Power of Reading in Building Economic Awareness

    भारत की कूटनीति अब ‘वर्चुअल’ नहीं, रणनीतिक है: आसियान शिखर सम्मेलन में पीएम मोदी का डिजिटल नेतृत्व और एशियाकी नई शक्ति-संतुलन रेखा

    भारत की कूटनीति अब ‘वर्चुअल’ नहीं, रणनीतिक है: आसियान शिखर सम्मेलन में पीएम मोदी का डिजिटल नेतृत्व और एशिया की नई शक्ति-संतुलन रेखा

    भारत-अमेरिका व्यापार समझौता जल्द: 15 से 16 फीसदी तक हो सकती है टैरिफ, जानिए आखिर क्यों हो रहा ऐसा

    भारत-अमेरिका व्यापार समझौता जल्द: 15 से 16 फीसदी तक हो सकती है टैरिफ, जानिए क्या होंगे इसके असर

    • वाणिज्य
    • व्यवसाय
  • रक्षा
    • सभी
    • आयुध
    • रणनीति
    भारत ने मारा चाबहार-बड़गाम कॉम्बो शॉट! अमेरिका, ईरान, अफगानिस्तान सब साथ, पाकिस्तान की चौधराहट हुई ध्वस्त

    भारत ने मारा चाबहार-बड़गाम कॉम्बो शॉट! अमेरिका, ईरान, अफगानिस्तान सब साथ, पाकिस्तान की चौधराहट हुई ध्वस्त

    श्रीनगर एयरस्ट्रिप की ‘कड़कड़ाती रात’: जब RSS के स्वयंसेवकों ने उठाई बंदूक, बर्फ हटा कर भारतीय सेना को कराया लैंड

    श्रीनगर एयरस्ट्रिप की ‘कड़कड़ाती रात’: जब RSS के स्वयंसेवकों ने उठाई बंदूक, बर्फ हटा कर भारतीय सेना को कराया लैंड

    पीएम मोदी की हत्या की साजिश: ढाका की रहस्यमयी घटनाओं से ASEAN तक फैली साजिश का खुलासा

    पीएम मोदी की हत्या की साजिश: ढाका की रहस्यमयी घटनाओं से ASEAN तक फैली साजिश का खुलासा

    12 दिनों तक सूखती रहेगी मुनीर की हलक: जब पाकिस्तान की सरहदों पर गरजेगा भारत का ‘त्रिशूल’

    12 दिनों तक सूखती रहेगी मुनीर की हलक: जब पाकिस्तान की सरहदों पर गरजेगा भारत का ‘त्रिशूल’

    • आयुध
    • रणनीति
  • विश्व
    • सभी
    • AMERIKA
    • अफ्रीका
    • अमेरिकाज़
    • एशिया पैसिफिक
    • यूरोप
    • वेस्ट एशिया
    • साउथ एशिया
    हमसे दुश्मनी महंगी पड़ेगी: भारत की सतर्कता और बांग्लादेश की गलती, जानें बांग्लादेश की अर्थव्यवस्था पर कैसे पड़ रही चोट

    हमसे दुश्मनी महंगी पड़ेगी: भारत की सतर्कता और बांग्लादेश की गलती, जानें बांग्लादेश की अर्थव्यवस्था पर कैसे पड़ रही चोट

    तालिबान ने की पाकिस्तान की इंटरनेशनल बेइज्जती, ऐसा सुनाया कि शायद मुल्ला मुनीर को नींद भी न आए

    तालिबान ने की पाकिस्तान की इंटरनेशनल बेइज्जती, ऐसा सुनाया कि शायद मुल्ला मुनीर को नींद भी न आए

    क्या नेताजी सचमुच 1945 में मारे गए थे? मुथुरामलिंगा थेवर और गुमनामी बाबा ने खोला रहस्य

    क्या नेताजी का निधन सचमुच 1945 विमान हादसे में हुआ था? मुथुरामलिंगा थेवर और गुमनामी बाबा ने खोला रहस्य

    भारत ने मारा चाबहार-बड़गाम कॉम्बो शॉट! अमेरिका, ईरान, अफगानिस्तान सब साथ, पाकिस्तान की चौधराहट हुई ध्वस्त

    भारत ने मारा चाबहार-बड़गाम कॉम्बो शॉट! अमेरिका, ईरान, अफगानिस्तान सब साथ, पाकिस्तान की चौधराहट हुई ध्वस्त

    • अफ्रीका
    • अमेरिकाज़
    • एशिया पैसिफिक
    • यूरोप
    • वेस्ट एशिया
    • साउथ एशिया
  • ज्ञान
    • सभी
    • इतिहास
    • संस्कृति
    नगीना मस्जिद हमला

    जब सरदार पटेल पर मुस्लिम भीड़ ने किया था जानलेवा हमला:  घटना तो दूर 86 वर्षों तक हमलावरों के नाम भी सामने क्यों नहीं आने दिए गए ?

    सरदार पटेल: लौहपुरुष जिन्होंने मातृभूमि के लिए अपना सबकुछ कुर्बान कर दिया

    सरदार पटेल: लौहपुरुष जिन्होंने मातृभूमि के लिए अपना सबकुछ कुर्बान कर दिया

    क्या नेताजी सचमुच 1945 में मारे गए थे? मुथुरामलिंगा थेवर और गुमनामी बाबा ने खोला रहस्य

    क्या नेताजी का निधन सचमुच 1945 विमान हादसे में हुआ था? मुथुरामलिंगा थेवर और गुमनामी बाबा ने खोला रहस्य

    हिंदू महिलाओं के खिलाफ जिहाद, मसूद अजहर का नया ‘ऑपरेशन सिंदूर’ और भारत की वैचारिक प्रतिघोषणा

    हिंदू महिलाओं के खिलाफ जिहाद, मसूद अजहर का नया ‘ऑपरेशन सिंदूर’ और भारत की वैचारिक प्रतिघोषणा

    • इतिहास
    • संस्कृति
  • बैठक
    • सभी
    • खेल
    • चलचित्र
    • तकनीक
    • भोजन
    • व्यंग
    • स्वास्थ्य
    क्यों PariPesa भारत रोमांचक एविएटर क्रैश गेम्स का अनुभव लेने के लिए सबसे बेहतरीन जगह है

    क्यों PariPesa भारत रोमांचक एविएटर क्रैश गेम्स का अनुभव लेने के लिए सबसे बेहतरीन जगह है

    भारत की वैज्ञानिक विजय: ‘नैफिथ्रोमाइसिन’, कैंसर और डायबिटीज के मरीजों के उम्मीदों को मिली नई रोशनी, जानें क्यों महत्वपूर्ण है ये दवा

    आत्मनिर्भर भारत की वैज्ञानिक विजय: ‘नैफिथ्रोमाइसिन’, कैंसर और डायबिटीज के मरीजों के उम्मीदों को मिली नई रोशनी, जानें क्यों महत्वपूर्ण है ये दवा

    PariPesa के सर्वश्रेष्ठ भारतीय ऑनलाइन गेम्स

    PariPesa के सर्वश्रेष्ठ भारतीय ऑनलाइन गेम्स

    एशिया कप हारने के बाद पाकिस्तान के लोगों ने ही पाकिस्तान टीम को सोशल मीडिया पर धो डाला! उड़ाया मजाक

    एशिया कप हारने के बाद पाकिस्तान के लोगों ने ही पाकिस्तान टीम को सोशल मीडिया पर धो डाला! उड़ाया मजाक

    • खेल
    • चलचित्र
    • तकनीक
    • भोजन
    • व्यंग
    • स्वास्थ्य
  • प्रीमियम
tfipost.in
  • राजनीति
    • सभी
    • चर्चित
    • बिहार डायरी
    • मत
    • समीक्षा
    खरगे की मांग बनाम RSS: डर के साथ कब तक भारतीय राजनीति में कब तक खड़ी रह पाएगी कांग्रेस

    खरगे की मांग बनाम RSS: डर के साथ कब तक भारतीय राजनीति में कब तक खड़ी रह पाएगी कांग्रेस

    जब गमछा बना राजनीति का संदेश: पीएम मोदी की प्रतीक-प्रधान चुनावी रणनीति और जनता से सीधा जुड़ाव

    जब गमछा बना राजनीति का संदेश: पीएम मोदी की प्रतीक-प्रधान चुनावी रणनीति और जनता से सीधा जुड़ाव

    अतुल लिमये संघ के सह सरकार्यवाह हैं

    अरुण कुमार की जगह सह सरकार्यवाह अतुल लिमये संभालेंगे संघ-भाजपा के बीच समन्वय की कमान, संगठन में बदलाव से पहले मिली भाजपा-संघ संबंधों को साधने की बड़ी जिम्मेदारी

    सरदार पटेल: लौहपुरुष जिन्होंने मातृभूमि के लिए अपना सबकुछ कुर्बान कर दिया

    सरदार पटेल: लौहपुरुष जिन्होंने मातृभूमि के लिए अपना सबकुछ कुर्बान कर दिया

    • चर्चित
    • मत
    • समीक्षा
  • अर्थव्यवस्था
    • सभी
    • वाणिज्य
    • व्यवसाय
    हमसे दुश्मनी महंगी पड़ेगी: भारत की सतर्कता और बांग्लादेश की गलती, जानें बांग्लादेश की अर्थव्यवस्था पर कैसे पड़ रही चोट

    हमसे दुश्मनी महंगी पड़ेगी: भारत की सतर्कता और बांग्लादेश की गलती, जानें बांग्लादेश की अर्थव्यवस्था पर कैसे पड़ रही चोट

    The Power of Reading in Building Economic Awareness

    The Power of Reading in Building Economic Awareness

    भारत की कूटनीति अब ‘वर्चुअल’ नहीं, रणनीतिक है: आसियान शिखर सम्मेलन में पीएम मोदी का डिजिटल नेतृत्व और एशियाकी नई शक्ति-संतुलन रेखा

    भारत की कूटनीति अब ‘वर्चुअल’ नहीं, रणनीतिक है: आसियान शिखर सम्मेलन में पीएम मोदी का डिजिटल नेतृत्व और एशिया की नई शक्ति-संतुलन रेखा

    भारत-अमेरिका व्यापार समझौता जल्द: 15 से 16 फीसदी तक हो सकती है टैरिफ, जानिए आखिर क्यों हो रहा ऐसा

    भारत-अमेरिका व्यापार समझौता जल्द: 15 से 16 फीसदी तक हो सकती है टैरिफ, जानिए क्या होंगे इसके असर

    • वाणिज्य
    • व्यवसाय
  • रक्षा
    • सभी
    • आयुध
    • रणनीति
    भारत ने मारा चाबहार-बड़गाम कॉम्बो शॉट! अमेरिका, ईरान, अफगानिस्तान सब साथ, पाकिस्तान की चौधराहट हुई ध्वस्त

    भारत ने मारा चाबहार-बड़गाम कॉम्बो शॉट! अमेरिका, ईरान, अफगानिस्तान सब साथ, पाकिस्तान की चौधराहट हुई ध्वस्त

    श्रीनगर एयरस्ट्रिप की ‘कड़कड़ाती रात’: जब RSS के स्वयंसेवकों ने उठाई बंदूक, बर्फ हटा कर भारतीय सेना को कराया लैंड

    श्रीनगर एयरस्ट्रिप की ‘कड़कड़ाती रात’: जब RSS के स्वयंसेवकों ने उठाई बंदूक, बर्फ हटा कर भारतीय सेना को कराया लैंड

    पीएम मोदी की हत्या की साजिश: ढाका की रहस्यमयी घटनाओं से ASEAN तक फैली साजिश का खुलासा

    पीएम मोदी की हत्या की साजिश: ढाका की रहस्यमयी घटनाओं से ASEAN तक फैली साजिश का खुलासा

    12 दिनों तक सूखती रहेगी मुनीर की हलक: जब पाकिस्तान की सरहदों पर गरजेगा भारत का ‘त्रिशूल’

    12 दिनों तक सूखती रहेगी मुनीर की हलक: जब पाकिस्तान की सरहदों पर गरजेगा भारत का ‘त्रिशूल’

    • आयुध
    • रणनीति
  • विश्व
    • सभी
    • AMERIKA
    • अफ्रीका
    • अमेरिकाज़
    • एशिया पैसिफिक
    • यूरोप
    • वेस्ट एशिया
    • साउथ एशिया
    हमसे दुश्मनी महंगी पड़ेगी: भारत की सतर्कता और बांग्लादेश की गलती, जानें बांग्लादेश की अर्थव्यवस्था पर कैसे पड़ रही चोट

    हमसे दुश्मनी महंगी पड़ेगी: भारत की सतर्कता और बांग्लादेश की गलती, जानें बांग्लादेश की अर्थव्यवस्था पर कैसे पड़ रही चोट

    तालिबान ने की पाकिस्तान की इंटरनेशनल बेइज्जती, ऐसा सुनाया कि शायद मुल्ला मुनीर को नींद भी न आए

    तालिबान ने की पाकिस्तान की इंटरनेशनल बेइज्जती, ऐसा सुनाया कि शायद मुल्ला मुनीर को नींद भी न आए

    क्या नेताजी सचमुच 1945 में मारे गए थे? मुथुरामलिंगा थेवर और गुमनामी बाबा ने खोला रहस्य

    क्या नेताजी का निधन सचमुच 1945 विमान हादसे में हुआ था? मुथुरामलिंगा थेवर और गुमनामी बाबा ने खोला रहस्य

    भारत ने मारा चाबहार-बड़गाम कॉम्बो शॉट! अमेरिका, ईरान, अफगानिस्तान सब साथ, पाकिस्तान की चौधराहट हुई ध्वस्त

    भारत ने मारा चाबहार-बड़गाम कॉम्बो शॉट! अमेरिका, ईरान, अफगानिस्तान सब साथ, पाकिस्तान की चौधराहट हुई ध्वस्त

    • अफ्रीका
    • अमेरिकाज़
    • एशिया पैसिफिक
    • यूरोप
    • वेस्ट एशिया
    • साउथ एशिया
  • ज्ञान
    • सभी
    • इतिहास
    • संस्कृति
    नगीना मस्जिद हमला

    जब सरदार पटेल पर मुस्लिम भीड़ ने किया था जानलेवा हमला:  घटना तो दूर 86 वर्षों तक हमलावरों के नाम भी सामने क्यों नहीं आने दिए गए ?

    सरदार पटेल: लौहपुरुष जिन्होंने मातृभूमि के लिए अपना सबकुछ कुर्बान कर दिया

    सरदार पटेल: लौहपुरुष जिन्होंने मातृभूमि के लिए अपना सबकुछ कुर्बान कर दिया

    क्या नेताजी सचमुच 1945 में मारे गए थे? मुथुरामलिंगा थेवर और गुमनामी बाबा ने खोला रहस्य

    क्या नेताजी का निधन सचमुच 1945 विमान हादसे में हुआ था? मुथुरामलिंगा थेवर और गुमनामी बाबा ने खोला रहस्य

    हिंदू महिलाओं के खिलाफ जिहाद, मसूद अजहर का नया ‘ऑपरेशन सिंदूर’ और भारत की वैचारिक प्रतिघोषणा

    हिंदू महिलाओं के खिलाफ जिहाद, मसूद अजहर का नया ‘ऑपरेशन सिंदूर’ और भारत की वैचारिक प्रतिघोषणा

    • इतिहास
    • संस्कृति
  • बैठक
    • सभी
    • खेल
    • चलचित्र
    • तकनीक
    • भोजन
    • व्यंग
    • स्वास्थ्य
    क्यों PariPesa भारत रोमांचक एविएटर क्रैश गेम्स का अनुभव लेने के लिए सबसे बेहतरीन जगह है

    क्यों PariPesa भारत रोमांचक एविएटर क्रैश गेम्स का अनुभव लेने के लिए सबसे बेहतरीन जगह है

    भारत की वैज्ञानिक विजय: ‘नैफिथ्रोमाइसिन’, कैंसर और डायबिटीज के मरीजों के उम्मीदों को मिली नई रोशनी, जानें क्यों महत्वपूर्ण है ये दवा

    आत्मनिर्भर भारत की वैज्ञानिक विजय: ‘नैफिथ्रोमाइसिन’, कैंसर और डायबिटीज के मरीजों के उम्मीदों को मिली नई रोशनी, जानें क्यों महत्वपूर्ण है ये दवा

    PariPesa के सर्वश्रेष्ठ भारतीय ऑनलाइन गेम्स

    PariPesa के सर्वश्रेष्ठ भारतीय ऑनलाइन गेम्स

    एशिया कप हारने के बाद पाकिस्तान के लोगों ने ही पाकिस्तान टीम को सोशल मीडिया पर धो डाला! उड़ाया मजाक

    एशिया कप हारने के बाद पाकिस्तान के लोगों ने ही पाकिस्तान टीम को सोशल मीडिया पर धो डाला! उड़ाया मजाक

    • खेल
    • चलचित्र
    • तकनीक
    • भोजन
    • व्यंग
    • स्वास्थ्य
  • प्रीमियम
कोई परिणाम नहीं मिला
सभी परिणाम देखें
tfipost.in
tfipost.in
कोई परिणाम नहीं मिला
सभी परिणाम देखें
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • रक्षा
  • विश्व
  • ज्ञान
  • बैठक
  • प्रीमियम

370 का हटना, देश के स्वाभिमान और विकास का सूरज उगना

न जाने कितनी आंखें जम्मू-कश्मीर पर लगे इस ग्रहण के समाप्त होने का सपना पाले संसार से चली गयीं, पर अनुच्छेद 370 का जख्म ठीक होने के बजाय नासूर बनता गया

Harish Chandra Srivastava द्वारा Harish Chandra Srivastava
17 August 2019
in मत, राजनीति
370 का हटना, देश के स्वाभिमान और विकास का सूरज उगना

(PC : The Indian Link)

Share on FacebookShare on X

एक भारत, श्रेष्ठ भारत का संकल्प पूरा हो रहा है। भारत के एकीकरण में जो दृढ़ इच्छाशक्ति लौह पुरुष सरदार वल्लभ भाई पटेल ने दिखाई थी, वैसी ही संकल्पबद्धता एवं साहस भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित भाई शाह ने जम्मू-कश्मीर के अभिशाप अनुच्छेद 370 को समाप्त कर प्रदर्शित किया है।

    महाराजा हरिसिंह द्वारा 26 अक्टूबर, 1947 को बिना शर्त भारत में रियासत का विलय किया गया था। लेकिन भारत के प्रथम प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू पर यह आरोप लगते रहे हैं कि वो मजहबी उन्मादियों के नेता शेख अब्दुल्ला के साथ सांठगांठ कर जम्मू-कश्मीर को भारत से अलग-थलग करने के लिये अनुच्छेद 370 करने का कुचक्र रचने लगे थे। नेहरू पर षडयंत्र का यह आरोप तब और मजबूत होने लगा, जब भारत की सेना कबाइलियों के वेश में आये पाकिस्तानी सेना के हमलावरों से पूरे कश्मीर का एक—एक इंच वापस लेने के लिये विजयी होती हुई आगे बढ़ रही थी, तभी अचानक उन्होंने अकारण ही एकतरफा युद्ध विराम की घोषणा करके जम्मू-कश्मीर को विवादित बताते हुये स्वयं ही संयुक्त राष्ट्र में जाकर जनमत संग्रह कराने की पहल कराने का प्रस्ताव किया और तत्कालीन उपप्रधानमंत्री व गृह मंत्री सरदार वल्लभ भाई पटेल के राष्ट्रीय एकीकरण की राह में एक तरह से बाधा बनते हुये, कश्मीर का विषय गृह मंत्रालय से छीनकर अपने पास रख लिया।

संबंधितपोस्ट

हमसे दुश्मनी महंगी पड़ेगी: भारत की सतर्कता और बांग्लादेश की गलती, जानें बांग्लादेश की अर्थव्यवस्था पर कैसे पड़ रही चोट

तालिबान ने की पाकिस्तान की इंटरनेशनल बेइज्जती, ऐसा सुनाया कि शायद मुल्ला मुनीर को नींद भी न आए

खरगे की मांग बनाम RSS: डर के साथ कब तक भारतीय राजनीति में कब तक खड़ी रह पाएगी कांग्रेस

और लोड करें

जब नेहरू ने अचानक 17 अक्टूबर, 1949 को संसद में अपने कैबिनेट मंत्री गोपालस्वामी अयंगर से घोषणा करवायी कि वो जम्मू-कश्मीर को अनुच्छेद 370 देना चाहते हैं, तो उन पर आरोप गहरा गया। आनन-फानन में बिना पर्याप्त चर्चा के लिये यह अनुच्छेद पारित कर दिया गया।

बाबा साहब आम्बेडकर पहले ही अनुच्छेद 370 का विरोध करते हुए इसका प्रारूप तैयार करने से मना कर चुके थे। बाबा साहब ने कहा था कि 370 जैसा अनुच्छेद तैयार करना और लागू करना देशद्रोह के समान है किंतु नेहरू नहीं माने और इसका प्रारूप एन. गोपालस्वामी अयंगर से तैयार करवाया। हालांकि नेहरू ने इस अनुच्छेद 370 को लागू करते समय देश को गुमराह करते हुये कहा कि यह अस्थाई है और जब स्थिति सामान्य होगी तो इसे हटा लिया जाएगा, लेकिन जब उन्होंने शेख अब्दुल्ला के साथ मिलकर वर्ष 1952 में अनैतिक समझौता ‘दिल्ली अग्रीमेंट’ करके अलगाववाद को और ईंधन देने वाले अनुच्छेद 35-ए लागू करने की पृष्ठभूमि तैयार की, तो संदेह बढ़ गया कि वो स्वयं ही जम्मू-कश्मीर को शेष भारत से पूर्णतः अलग-थलग करने के षडयंत्रकारी हैं।

   भारतीय जनता पार्टी के पूर्ववर्ती संगठन जनसंघ के संस्थापक डॉ श्यामा प्रसाद मुखर्जी ने मुखर विरोध करते हुये कहा कि अनुच्छेद 370 व ‘दिल्ली एग्रीमेंट’ से भारत टुकड़ों में बंट रहा है। डॉ मुखर्जी ने जम्मू-कश्मीर को देश की मुख्यधारा से पृथक करने के इस षडयंत्र के विरुद्ध संघर्ष करने का बीड़ा उठाया। उन्होंने इस अनुच्छेद के विरुद्ध भूख हड़ताल की। एक ध्वज, एक विधान और एक प्रधान के नारे के साथ जब वे इसको समाप्त करने की मांग करते हुये आंदोलन के लिये जम्मू-कश्मीर जा रहे थे, तो केंद्र की नेहरू और राज्य की शेख अब्दुल्ला सरकार ने उन्हें गिरफ्तार कर लिया और 23 जून 1953 को हिरासत के दौरान ही उनकी रहस्यमय ढंग से हत्या (संदिग्ध मृत्यु) हो गई। फिर नेहरू ने वर्ष 1954 में अवैध तरीके एक प्रकार से सांसद व देश की जनता से धोखाधड़ी करते हुए अनुच्छेद 35-ए को भारतीय संविधान में जोड़ दिया।

11 सितम्बर, 1964 को आर्यसमाज के नेता व सांसद प्रकाशवीर शास्त्री (ओम प्रकाश त्यागी) ने अनुच्छेद 370 को हटाने का एक प्रस्ताव संसद में प्रस्तुत किया। किंतु तत्कालीन गृहमंत्री गुलजारी लाल नंदा 4 दिसम्बर, 1964 को जवाब में इस विषय को टालते रहे, हालांकि उन्होंने इतना अवश्य कहा कि इस अनुच्छेद में कमियां हैं।

     तब से न जाने कितनी आंखें जम्मू-कश्मीर पर लगे इस ग्रहण के समाप्त होने का सपना पाले संसार से चली गयीं, पर अनुच्छेद 370 का जख्म ठीक होने के बजाय नासूर बनता गया। 70 साल की इस टीस को समाप्त किया प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह ने! इस अनुच्छेद को समाप्त करते हुये संसद में अमित शाह ने कहा, ‘यदि 1948 में सेनाओं को छूट दी गई होती तो आज पाक के कब्जे वाला कश्मीर नहीं होता, पूरा कश्मीर ही भारत का अंग होता। आज प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी के साहस के कारण अनुच्छेद 370 का कलंक हटा है’। साथ ही गृह मंत्री ने स्पष्टता व ढृढ़ता से कहा, ‘मैंने जब भी संसद में जम्मू-कश्मीर की बात की है उसमे हमेशा पाकिस्तान के कब्जे वाला कश्मीर और अक्साई चिन भी शामिल रहे हैं। नरेंद्र मोदी जी की सरकार इसे छोड़ने वाली नहीं है’।

   पर नेहरू की ऐतिहासिक भूल को सुधारकर जम्मू-कश्मीर को देश के विकास की मुख्यधारा के साथ एकीकृत करने के इस महान कार्य को कांग्रेस, पीडीपी, नेशनल कांफ्रेंस सहित अनेक विपक्षी दल सहन नहीं कर पा रहे हैं। देशहित के इतने बड़े कार्य के विरोध के पीछे इन दलों ने जो कारण बताये हैं, वे अविश्वसनीय हैं, भ्रम उत्पन्न करने वाले हैं। विशेषकर स्वयं को राष्ट्रीय पार्टी कहने वाली कांग्रेस का पाकिस्तान की भाषा बोलना दुर्भाग्यपूर्ण है।

    यह प्रश्न उठता है कि जिस विषय पर पूरा देश सरकार के साथ है, उस पर ये दल जनभावना व जनादेश का अपमान करते हुये विरोध करने का दुस्साहस कैसे कर पा रहे हैं? असल में उनके विरोध के कारण कुछ और हैं। इन कारणों में एक तो यह जान पड़ता है मजहबी आधार पर जम्मू-कश्मीर में जनांकिकीय असंतुलन बनाकर अलगाववाद व आतंकवाद को प्रश्रय देना, दूसरा कुछ परिवारों का भ्रष्टाचार और तीसरा जम्मू-कश्मीर के लोगों को विकास की धारा से दूर रखना, ताकि वे गरीबी, बेरोजगारी, अशिक्षा, विकासहीनता के दलदल में पड़े रहकर इन परिवारों के लिये वोटबैंक बने रहें और इनके आगे भीख मांगते हुये इनकी गुलामी करते रहें और इनके भ्रष्टाचार की ओर जनता का ध्यान न जाए।

   370 पर चर्चा के समय उत्तर देते हुये लोकसभा में गृह मंत्री अमित शाह जी ने बताया कि वर्ष 2004 से 2019 तक केंद्र सरकार की ओर से इस राज्य को 2 लाख 77 हजार करोड़ रुपये भेजे गये, वर्ष 2011-12 में केंद्र की ओर से देश में जहां प्रति व्यक्ति औसत 3683 रुपये भेजे गये वहीं जम्मू-कश्मीर में प्रति व्यक्ति 14255 रुपये गये, किंतु वहां की जनता आज भी गरीबी, बदहाली, दुर्दिन में जी रही है।

     ये धन कहां, किसकी जेब में गया? क्या ये इस बात की पुष्टि नहीं करता है कि विरोधी अनुच्छेद 370 का कवच आतंकवाद और इसके वित्त पोषण एवं कुछ परिवारों के भ्रष्टाचार को संरक्षण देने के लिये चाहते हैं?

     बात केवल आर्थिक पक्ष की ही नहीं है। यह अनुच्छेद अमानवीय, लोकतंत्र विरोधी तथा महिला, दलित, आदिवासी और गरीब विरोधी भी थी। इस अनुच्छेद के कारण जम्मू-कश्मीर में बाल विवाह निरोधी कानून लागू नहीं कर सकते थे, जैन व बौद्ध अल्पसंख्यकों के लिये अल्पसंख्यक आयोग नहीं बना सकते थे, अनुसूचित जाति व जनजाति के लिये राजनीतिक आरक्षण नहीं दे सकते थे, बच्चों को शिक्षा का अधिकार लागू नहीं कर सकते थे, भूमि अधिग्रहण अधिनियम लागू नहीं कर सकते थे, राज्य में परिसीमन नहीं कर सकते थे, वाल्मीकि समाज के लाखों सफाईकर्मियों को केंद्र सरकार की योजनाओं का लाभ नहीं दे सकते थे, उन्हें नागरिकता तक नहीं दी गयी थी, महिलाओं पर परोक्ष रूप से शरीयत लागू करके उनके अधिकार छीन लिये गये थे, राज्य की महिला अपनी इच्छा से राज्य के बाहर विवाह नहीं कर सकती थी।

     यह प्रश्न भी समीचीन है कि जब ऐतिहासिक रूप से केंद्रीय धन का अधिकतम भाग जम्मू-कश्मीर को दिया गया, उसके बाद भी यह बुनियादी ढांचे, शिक्षा, स्वास्थ्य सुविधाओं, रोजगार के अवसर आदि जैसे विकास के कार्यों में क्यों नहीं परिलक्षित हुआ है? राज्य देश के अन्य राज्यों की तरह विकसित क्यों नहीं हो पाया?

    तुष्टीकरण और वोटबैंक की राजनीति करने वाले दलों के लिये 370 के उन्मूलन का विरोध सैद्धांतिक नहीं, अपितु अवसरवादी और पोल खुलने के भय से उपजा है। क्योंकि वे जानते हैं जम्मू-कश्मीर से इस कलंक के समाप्त होने के बाद अब वहां निजी निवेश के द्वार खुल जाएंगे, जिससे वहां विकास की संभावना बढ़ेगी। निवेश में वृद्धि से रोजगार सृजन में वृद्धि होगी और राज्य में सामाजिक-आर्थिक बुनियादी ढांचे में और सुधार होगा। उद्योगों के विकास के लिये निजी लोगों और बहुराष्ट्रीय कंपनियों से निवेश आएगा और स्थानीय अर्थव्यवस्था को बढ़ावा मिलेगा। केंद्र की योजनाओं का सीधा लाभ राज्य की जनता को मिलेगा। अब राज्य में विकास, समता व अधिकार का सूरज निकलेगा तो जनता स्वयं फर्क महसूस करेगी और फिर 70 वर्ष तक उन्हें बुनियादी सुविधाओं, अधिकारों और भागीदारी से वंचित करने वालों से जवाब मांगेगी। यही डर विरोधियों को अनुच्छेद 370 के अभिशाप को हटाने का विरोध करने को मजबूर कर रहा है।

-हरीशचंद्र श्रीवास्तव
(लेखक राजनीतिक व सामाजिक विश्लेषक हैं)

Tags: अनुच्छेद 370कश्मीरनेहरूपीएम मोदीभारत
शेयर1ट्वीटभेजिए
पिछली पोस्ट

बरखा को फ्लाइट में ‘संयोगवश’ एक ‘पीड़ित’ कश्मीरी मिला जिसने अपना ‘दुखड़ा’ रोया, लेकिन वो तो बरखा का ही पुराना साथी निकला

अगली पोस्ट

‘वाह! क्या धोया है’ UN में भारत के स्थायी प्रतिनिधि सईद अकबरुद्दीन ने पाकिस्तानियों को धो डाला

संबंधित पोस्ट

खरगे की मांग बनाम RSS: डर के साथ कब तक भारतीय राजनीति में कब तक खड़ी रह पाएगी कांग्रेस
चर्चित

खरगे की मांग बनाम RSS: डर के साथ कब तक भारतीय राजनीति में कब तक खड़ी रह पाएगी कांग्रेस

1 November 2025

भारतीय राजनीति का इतिहास केवल सत्ता की लड़ाई तक सीमित नहीं है। यह उस देश के सामाजिक और सांस्कृतिक मूल्यों, उसकी चेतना और राष्ट्रनिर्माण के...

जब गमछा बना राजनीति का संदेश: पीएम मोदी की प्रतीक-प्रधान चुनावी रणनीति और जनता से सीधा जुड़ाव
चर्चित

जब गमछा बना राजनीति का संदेश: पीएम मोदी की प्रतीक-प्रधान चुनावी रणनीति और जनता से सीधा जुड़ाव

1 November 2025

मुजफ्फरपुर की धूप तप रही थी, लेकिन मौसम से अधिक गर्मी उस मैदान में थी, जहां हजारों लोग प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का स्वागत करने के...

अतुल लिमये संघ के सह सरकार्यवाह हैं
चर्चित

अरुण कुमार की जगह सह सरकार्यवाह अतुल लिमये संभालेंगे संघ-भाजपा के बीच समन्वय की कमान, संगठन में बदलाव से पहले मिली भाजपा-संघ संबंधों को साधने की बड़ी जिम्मेदारी

31 October 2025

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सह सरकार्यवाह तक़रीबन 55 वर्ष के अतुल लिमये वैसे तो पेशे से इंजीनियर रहे हैं, लेकिन उन्होने बार-बार अपनी विशेषज्ञता एक...

और लोड करें

Leave a Reply Cancel reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

I agree to the Terms of use and Privacy Policy.
This site is protected by reCAPTCHA and the Google Privacy Policy and Terms of Service apply.

इस समय चल रहा है

Will India Finally Know The Truth About Netaji’s Death?

Will India Finally Know The Truth About Netaji’s Death?

00:08:41

When Grief Met Greed: The Shocking Story of a Father & Bengaluru’s Bribe Chain

00:07:45

How ‘Grokipedia’ Seeks to Correct Perceived Ideological Biases in India-Related Wikipedia Articles”

00:08:17

When Animal Activism Crosses the Line: The Dangerous Side of "Pet Lovers

00:07:36

The Night Before Kashmir’s Fate Was Decided — The battle of Kashmir and Role of RSS |

00:07:40
फेसबुक एक्स (ट्विटर) इन्स्टाग्राम यूट्यूब
टीऍफ़आईपोस्टtfipost.in
हिंदी खबर - आज के मुख्य समाचार - Hindi Khabar News - Aaj ke Mukhya Samachar
  • About us
  • Careers
  • Brand Partnerships
  • उपयोग की शर्तें
  • निजता नीति
  • साइटमैप

©2025 TFI Media Private Limited

कोई परिणाम नहीं मिला
सभी परिणाम देखें
  • राजनीति
    • चर्चित
    • मत
    • समीक्षा
  • अर्थव्यवस्था
    • वाणिज्य
    • व्यवसाय
  • रक्षा
    • आयुध
    • रणनीति
  • विश्व
    • अफ्रीका
    • अमेरिकाज़
    • एशिया पैसिफिक
    • यूरोप
    • वेस्ट एशिया
    • साउथ एशिया
  • ज्ञान
    • इतिहास
    • संस्कृति
  • बैठक
    • खेल
    • चलचित्र
    • तकनीक
    • भोजन
    • व्यंग
    • स्वास्थ्य
  • प्रीमियम
TFIPOST English
TFIPOST Global

©2025 TFI Media Private Limited