राजनीति में नित नए आयाम लिखे जाते हैं। कभी कोई इस पार्टी के साथ जाता है तो कभी उस पार्टी के साथ। अब एक नए गठबंधन में दक्षिण भारत के जाने माने अभिनेता पवन कल्याण ने भारतीय जनता पार्टी के साथ गठबंधन कर लिया है। दोनों पार्टियों ने मीटिंग के बाद गुरुवार को औपचारिक रूप से अपने गठबंधन की घोषणा कर दी है। बता दें पवन कल्याण जनसेना पार्टी के प्रमुख हैं। पवन ने कहा, ‘लोग राज्य में तेलुगु देशम पार्टी (TDP) और वाईएसआर कांग्रेस की सरकार को छोड़कर अब तीसरे विकल्प की तलाश कर रहे हैं। उनकी पार्टी ने आगामी चुनावों के लिए बीजेपी के साथ हाथ मिला लिया है। दोनों पार्टियां स्थानीय चुनाव और 2024 में होने वाले लोकसभा और विधानसभा चुनाव साथ मिलकर लड़ेंगी।‘
पवन कल्याण साउथ इंडियन फिल्म इंडस्ट्री के मेगास्टार चिरंजीवी के छोटे भाई है जिन्होंने अपनी राजनीति की शुरुआत चिरंजीवी कि प्रजा राज्यम पार्टी के यूथ विंग से शुरू की थी। इंडस्ट्री में 20 साल से होने के बावजूद उनकी झोली में कम ही फिल्में हैं। लेकिन तब भी उनकी जबरदस्त फैन फॉलोइंग है, जो उनका स्टारडम बयां करती है। पवन कल्याण लोगों के सच्चे नेता हैं। फिल्मों के जरिए बड़े पैमाने पर फैंस का दिल जीतने के बाद उन्होंने 2014 में सक्रिय राजनीति में एंट्री ली। उन्होंने खुद की जन सेना नामक पार्टी की स्थापना की। कम समय में ही उनकी पार्टी तेलुगू राज्यों की अन्य पार्टियों के साथ तालमेल को मजबूत करने में सफल रही। पवन कल्याण पहले साउथ इंडियन सेलेब्रिटी हैं जिन्होंने पेप्सी को एंडोर्स किया है। 2013 में पवन फोर्ब्स इंडिया में 100 सेलेब्रिटीज की लिस्ट में 26वें स्थान पर काबिज हुए थे। 2014 के लोकसभा चुनाव में पवन गूगल में सबसे ज्यादा सर्च किए गए भारतीय सेलिब्रिटी-नेता थे।
पवन कल्याण बीजेपी के साथ गठबंधन को लेकर फुलफॉर्म में आ चुके हैं। 2014 के चुनाव में भी उनकी पार्टी ने बीजेपी के साथ मिलकर चुनाव लड़ा था। उस समय अभिनेता चुनावी मैदान में नहीं उतरे थे। उस वक़्त उन्होंने टीडीपी-भाजपा गठबंधन का समर्थन किया। उनके पक्ष में प्रचार किया। इससे इस गठबंधन को मदद मिली और टीडीपी-भाजपा प्रदेश के साथ देश की सत्ता में भी साझेदार बनी। हालांकि, 2019 में जनसेना पार्टी ने लेफ्ट और बहुजन समाज पार्टी के साथ मिलकर चुनाव लड़ा था। अब नए गठबंधन के बाद उन्हें उम्मीद है कि 2024 के विधानसभा चुनाव के बाद राज्य में बीजेपी और जनसेना पार्टी की सरकार जरूर बनेगी। इस तरह से देखा जाए तो प्रत्यक्ष-अप्रत्यक्ष या सांकेतिक तौर पर ही सही पवन कल्याण कांग्रेस, टीडीपी, वाईएसआर कांग्रेस जैसी सभी पार्टियों से होते हुए भाजपा तक पहुंचे हैं। वे ख़ुद आंध्र प्रदेश के ताक़तवर कापू समुदाय से ताल्लुक़ रखते हैं। राज्य में इस समुदाय की आबादी लगभग 20 फ़ीसदी बताई जाती है।
यही नहीं पवन कल्याण के बारे में कहा जा रहा है कि वे बीते तीन दशक में कापू समुदाय के दूसरे सबसे लोकप्रिय नेता हैं। उनसे पहले वंगवीति मोहन रेड्डी इस समुदाय के असरदार नेता हुआ करते थे, जिनकी 1988 में हत्या कर दी गई थी। वर्ष 2009 में, कापू समुदाए ने उनके बड़े भाई चिरंजीवी की प्रजा राज्यम पार्टी का समर्थन किया था और उन्हें 18 सीटें जीतने में मदद की थी, लेकिन जब उन्होंने कांग्रेस के साथ अपनी पार्टी का विलय कर लिया, तो वे नेता विहीन हो गए। अब इस समुदाए को पवन कल्याण के रूप में एक नया नेता मिल चुका है।
हालांकि, वे अपने समुदाए से दूरी बनाते भी दिखे। उन्होंने Reli समुदाय जो कि SC में आते हैं, उनको गले लगाया और अपने नामांकन पत्र में यह स्पष्ट किया कि जाति से उनका कोई नाता नहीं है।
पवन कल्याण वही हैं जिन्होंने श्रीकाकुलम जिले में उदानम किडनी के मुद्दे को उजागर किया था। उन्होंने हार्वर्ड विश्वविद्यालय के डॉक्टरों से अनुरोध किया कि वे इस क्षेत्र में किडनी आइसो पर एक शोध में भाग लें। बाद में उन्होंने विशाखापट्टनम में हार्वर्ड के डॉक्टरों और स्थानीय वैज्ञानिकों के साथ बैठक की, जो उदानम में किडनी की समस्याओं पर काम कर रहे थे।
पवन कल्याण की पार्टी को वर्ष 2019 के आम चुनावों में एक भी सीट नहीं मिली थी लेकिन अब उन्होंने भाजपा से साथ गठबंधन कर राज्य में जनता को एक नया विकल्प दिया है। दक्षिण भारत के लोगों में फिल्मों और अपने अभिनेताओं के प्रति जुनून होता है। दक्षिण भारतीय अभिनेताओं के प्रशंसकों और समर्थकों की तादाद काफी अधिक होती है, इतिहास में उनका गहरा विश्वास होता है। यही कारण है कि राज्य में पवन कल्याण के सफल होने की संभावना प्रबल है और हो सकता है वो आंध्र प्रदेश के अगले मुख्यमंत्री भी बने ।