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सख्त लाकडाउन के बिना ही जापान ने कोरोना को कैसे हराया, यह लीडरशीप और अनुशासन के लिए एक सबक है!

जापान अब खुली जिंदगी जी रहा है!

Vikrant Thardak द्वारा Vikrant Thardak
26 May 2020
in विश्व
जापान
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कोरोना ने दुनियाभर के देशों में बेशक तबाही मचा दी हो, लेकिन 12 करोड़ से ज़्यादा आबादी वाला एक देश ऐसा भी है, जहां कोरोना के कुल एक्टिव मामले अब कुछ हज़ार से ज़्यादा नहीं हैं। उस देश का नाम है जापान! जापान में कुल कोरोना के मामलों की संख्या सिर्फ 16 हज़ार है, और वहां कोरोना से केवल 860 लोगों की ही जान गयी है। जापान ने यह सबकुछ तब कर दिखाया जब देश में कड़ा लॉकडाउन लागू किया ही नहीं गया। जापान में अप्रैल महीने में कोरोना के मामले peak पर पहुंचे थे। तब देश भर में लॉकडाउन कर दिया गया था। हालांकि, अब लॉकडाउन को पूरे तरीके से खोल दिया गया है। यह Japan के बाद अनुशासित और जागरूक लोगों के कारण ही संभव हो पाया है, जिसका पूरी दुनिया के लोगों को अनुसरण करना चाहिए।

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बता दें कि एक तरफ जहां दुनिया के देश कोरोना से निपटने के लिए apps और बड़े पैमाने पर टेस्टिंग का सहारा ले रहे हैं, वहीं जापान ने ऐसा कुछ नहीं किया। जापान ने केवल अपने 0.02 प्रतिशत नागरिकों की ही टेस्टिंग की है। आइए अब देखते हैं कि ऐसा क्या कारण है कि जापान में कोरोना इस हद तक काबू में है कि अब देश से आपातकाल लॉकडाउन को हटा दिया गया है।

इसका उत्तर आपको जापान के लोगों के बर्ताव के जरिये आसानी से मिल सकता है। जब देश में लॉकडाउन में ढील दी गयी, तो बड़ी संख्या में लोग सड़कों पर उतर आए, लेकिन सब लोग social distancing का बड़ी सख्ती से पालन कर रहे थे। सब के चेहरे पर मास्क भी था। टोक्‍यो के 45 वर्षीय एक अफसर नाओटो फुरुकी के अनुसार “ सुबह की भीड़ सामान्य से अधिक थी, जो थोड़ा अस्थिर थी। मैं अभी भी थोड़ा चिंतित हूं। महामारी की एक दूसरी लहर दस्‍तक दे सकती है, इसलिए हमें अभी भी सतर्क रहने की जरूरत है”।

जापान के लोगों का रहन सहन और जीने का तरीका ऐसा है कि कोरोना को फैलने का मौका ही नहीं मिल पाया। जापान के लोग जब भी एक-दूसरे से मिलते हैं तो हाथ मिलाने या फिर गाल पर चुंबन करने की बजाय वे एक दूसरे के सामने झुक कर अभिवादन करते हैं। यही नहीं जापान में बचपन से ही लोगों को बहुत साफ-सफाई रखना सिखाया जाता है। हाथ धोना, डिसइंफेक्ट मिश्रण से गारगल करना और मास्क पहनना उनके रोजमर्रा के जीवन का हिस्सा हैं। इन सब के लिए किसी वायरस की आवश्यकता नहीं है। इसी का नतीजा था कि जब फरवरी में यह वायरस फैलने लगा तो पूरे जापान को एंटी-इंफेक्शन मोड में आने के लिए अलग से मेहनत करने की आवश्यकता नहीं पड़ी और न ही सरकार को अलग से यह बताने की आवश्यकता पड़ी कि आप लोग साफ सफाई रखें। दुकानों और अन्य व्यापारिक प्रतिष्ठानों के दरवाजो पर सैनिटाइजर रख दिए गए और मास्क पहनना सबकी जिम्मेदारी बन गया।

जापान के लोग बहुत सोशल नहीं होते हैं। उन्हें एकांत पसंद है। जापान बहुत ही सघन आबादी वाला देश है और वहां दुनिया में जनसंख्या के अनुपात में सबसे ज्यादा बुजुर्ग लोग रहते हैं। चीन के साथ भी उसका बहुत नजदीकी संपर्क है, जहां से यह वायरस पूरी दुनिया में फैला। जापान के लोगों का शिष्टाचार ही ऐसा है कि उन्होंने कोरोना को फैलने ही नहीं दिया। पूरी दुनिया को अब जापान के लोगों का अनुसरण कर अपने यहाँ कोरोना के संक्रमण को रोकने के लिए काम करना होगा। यही एकमात्र जरिया है जिसके माध्यम से कोरोना के साथ हम अपनी सेहत के साथ-साथ अपने देश की आर्थिक स्थिति का ख्याल रख सकते हैं।

Tags: जापान
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