पाकिस्तान को इस समय समझ नहीं आ रहा है कि आगे क्या करे। एक ओर उसपर FATF द्वारा ब्लैकलिस्ट होने का खतरा मंडरा रहा है, तो वहीं, दूसरी ओर भारत उसकी चटनी बनाने के लिए पूरी तैयारी कर चुका है, चाहे कूटनीतिक तौर पर हो या फिर आक्रामक तौर पर। अब खबर आ रही है कि अफगानिस्तान के उपराष्ट्रपति पर हुए आतंकी हमले में भी पाकिस्तानी आतंकियों का हाथ सामने आया है। ऐसे में FATF के अक्टूबर सत्र से पहले पाकिस्तान को ब्लैकलिस्ट होने का डर घर कर गया है।
जिस प्रकार पाकिस्तान आतंकी गतिविधियों में पिछले कई वर्षों से, विशेषकर पिछले पाँच से छह महीनों में लिप्त रहा है, उससे स्पष्ट पता चलता है कि पाकिस्तान के पास FATF के ब्लैकलिस्ट से बचने के लिए कोई रास्ता नहीं है। पाकिस्तान ने हाल फिलहाल कई ऐसे निर्णय लिए हैं, जिससे उसके ब्लैकलिस्ट होने की संभावना कई गुना बढ़ जाती है।
सर्वप्रथम तो अफगानिस्तान के उपराष्ट्रपति अमरुल्लाह सालेह द्वारा डूरण्ड रेखा का मुद्दा उठाए जाने पर अभी हाल ही में आतंकी हमले का सामना करना पड़ा, जिसमें वे बाल बाल बच गए। इसके अलावा अभी आईएसआई ने आधिकारिक तौर पर आतंकी संगठन Hizbul Mujahideen (हिज़बुल मुजाहिद्दीन) के मुखिया सैयद सलाहुद्दीन को आधिकारिक रूप से एक आईएसआई अफसर का दर्जा भी दिया, जिससे पाकिस्तान का एक आतंक समर्थक राष्ट्र होने की बात भी पूर्णतया सिद्ध हो जाएगी।
अभी अमरुल्लाह सालेह पर जो आतंकी हमला हुआ था, उससे यह बात एक बार फिर सिद्ध हो गई कि किस प्रकार से पाकिस्तान आतंकी गतिविधियों को भारत और अफगानिस्तान में बढ़ावा देता है। इस हमले में हक्कानी नेटवर्क और आईएसआई की सक्रिय भूमिका सामने आई है। बता दें कि अमरुल्लाह सालेह ने अभी कुछ ही दिन पहले हमलावर रुख अपनाते हुए डूरण्ड रेखा का मुद्दा उठाया था और कहा था, “ऐसा कोई अफगानी नेता नहीं होगा जिसे दुनिया की समझ हो और डूरण्ड रेखा के मुद्दे को अनदेखा कर दे। यह एक ऐसा मुद्दा है जिसपर गहन चर्चा की आवश्यकता है। हम ऐसे ही इस मुद्दे को जाने नहीं दे सकते। एक समय पेशावर अफ़ग़ानिस्तान का विंटर कैपिटल हुआ करता था”।
इसके बाद आईएसआई ने ये घोषित कर दिया कि Hizbul Mujahideen (हिज़बुल मुजाहिद्दीन) के मुखिया सैयद सलाहुद्दीन एक आईएसआई अफसर है। WION की रिपोर्ट के अनुसार आईएसआई द्वारा जारी एक दस्तावेज़ के अनुसार सलाहुद्दीन एक आईएसआई अफसर हैं, और उन्हें चेकपॉइंट्स पर रोकना नहीं चाहिए।
शायद इसीलिए पाकिस्तान को FATF द्वारा ब्लैकलिस्ट होने का डर सता रहा है, जो पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान के बर्ताव में साफ दिखाई दे रहा है। कुछ हफ्तों पहले इमरान खान ने ट्वीट करते हुए कहा “आज सीनेट में, विपक्ष ने FATF से संबंधित दो अहम विधेयकों को खारिज कर दिया- धनशोधन विरोधी विधेयक और आईसीटी वक्फ विधेयक। पहले दिन से मैं इस बात पर कायम हूं कि विपक्षी नेताओं के स्वार्थी हित और देश से हित भिन्न हैं।”
इसके अलावा भारत भी पाकिस्तान की पोल खोलने के लिए पूरी तरह से तैयार है। टाइम्स ऑफ इंडिया की एक रिपोर्ट के अनुसार, भारत FATF के समक्ष पुलवामा हमले और उसके पाकिस्तान कनेक्शन का पूरा कच्चा चिट्ठा खोलने वाला है। एक अफसर ने बताया, “जब ये बात सामने आई है कि, एक आतंकी को खुलेआम पाकिस्तान में सक्रिय बैंक अकाउंट से वित्तीय सहायता मिल रही थी, ताकि वह आरडीएक्स और पुलवामा हमले के लिए आवश्यक अन्य विस्फोटक और उपकरण खरीद सके, तो उससे यह स्पष्ट हो जाता है कि, पाकिस्तान आतंकवाद के विरुद्ध लड़ने के अपने दावे में असफल सिद्ध हुआ है”।
पर बात यहीं पर खत्म नहीं होती। एनआईए की पड़ताल के अनुसार, जिन बैंक अकाउंट्स के जरिये Jaish-e-Mohammed (जैश-ए-मोहम्मद) के मुखिया मसूद अज़हर ने पुलवामा के हमले को अंजाम दिया था, उसी के जरिये एक और हमले को अंजाम दिया जाना था। परंतु बालाकोट में जैश के अड्डों पर हुए हवाई हमले के बाद मसूद अज़हर द्वारा इस हमले पर रोक लगाने के निर्देश जारी हुए थे, क्योंकि बालाकोट के हवाई हमले से दुनिया की नज़रें पाकिस्तान पर टिकी हुई थीं। ऐसे में भारत के पास FAT में पाकिस्तान को ब्लैक लिस्ट कराने के लिए पर्याप्त साक्ष्य उपलब्ध है।
ऐसे में पाकिस्तान को अक्टूबर के FATF सत्र में ब्लैकलिस्ट होने से उसका बाप भी नहीं बचा सकता। एक तो FATF का स्वामी इस समय जर्मनी है, और उसके ऊपर से भारत पाकिस्तान को ब्लैकलिस्ट कराने के लिए एड़ी चोटी का ज़ोर लगा रही है। ऐसे में पाकिस्तान का इस बार बच निकलना लगभग असंभव है।