भारत पिछले कुछ वर्षों में वैकल्पिक ऊर्जा के सबसे बड़े स्त्रोतों में से एक उभर रहा है। सौर ऊर्जा में भारत की स्थिति यह है कि वह समय से पहले ही अपने लक्ष्य प्राप्त कर रहा है। भारत ने 2022 तक 20 गीगा वॉट वैकल्पिक ऊर्जा से विद्युत आपूर्ति को उत्पन्न करने का लक्ष्य रखा था, जिसे उसने केवल 2018 में ही प्राप्त कर लिया था, और अब नया लक्ष्य 2022 तक 100 गीगावॉट बिजली उत्पन्न करने की है। ऐसे में ये कहना गलत नहीं होगा की वैकल्पिक ऊर्जा भारत को वो लाभ देगा, जो कच्चे तेल की उत्पत्ति ने पूरे मिडिल ईस्ट एशिया को दिया था।
अब अगर सौर ऊर्जा पे एक दृष्टि डाली जाए, तो भारत इस दिशा में बहुत तेजी से आगे बढ़ता जा रहा है। वुड मैंकेंज़ी फर्म के अनुसार बिजली उत्पादन में भारत की लागत मात्र 3 रुपये 5 पैसे है, जबकि चीन के लिए यही दर 3 रुपये 35 पैसे और ऑस्ट्रेलिया के लिए 3 रुपये 49 पैसे है। सौर ऊर्जा से तो ये दर और कम होती है, क्योंकि भारत 2 रुपये प्रति यूनिट की लागत से सौर ऊर्जा उत्पन्न करेगा, तो ऑस्ट्रेलिया और चीन के मुकाबले काफी कम होगा, और यही तथ्य वायु ऊर्जा के लिए भी लागू होता है। परंतु दुर्भाग्य यह है कि अकर्मण्य राज्य सरकारों की निष्क्रियता के कारण ये लाभ प्रत्यक्ष तौर पे जनता को नहीं पहुँच पाता। वितरण कंपनियां 3 रुपये प्रति यूनिट के दाम से खरीदती हैं, और 10 रुपये प्रति यूनिट के दाम पर बेचती भी है।
भारत की कुल बिजली उत्पादन क्षमता 373 गीगावॉट है, जिसमें से पूरे 36 प्रतिशत हिस्सा केवल वैकल्पिक ऊर्जा से उत्पन्न बिजली का ही है। इसके अलावा भारत की उपभोक्ता क्षमता के मुकाबले बिजली उत्पादन की क्षमता कहीं ज्यादा है, और ऐसे में यदि भारत चाहे, तो वह एक कुशल ,एनर्जी एक्सपर्ट पावरहाउस भी बन सकता है, क्योंकि भारत की बिजली उत्पादन की लागत दुनिया के कई देशों के मुकाबले बेहद कम है। पहले ही बांग्लादेश, नेपाल और म्यांमार जैसे देश भारत से बिजली में ट्रेड कर रहे हैं, और ये निर्यात जल्द ही बढ़ने वाले हैं।
अप्रैल 2019 से जनवरी 2020 तक भारत ने पड़ोसी देशों को 8.01 बिलियन यूनिट्स निर्यात की है। इस वर्ष जून में National Solar Energy Federation of India (NSEFI) के अध्यक्ष पीआर मेहता ने सुझाव दिया कि भारत को वैकल्पिक ऊर्जा के निर्यात पर अपना ध्यान केंद्रित करना चाहिए, जिसके लिए उन्होंने Renewable Energy Export Promotion Council of India का गठन किया है, जो Gems and Jewellery Export Promotion Council (GJEPC) के तर्ज पर निर्मित है।
अब अंतर महाद्वीपीय ग्रिड के निर्माण का अर्थ है कि भारत किसी को कभी भी बिजली एक्सपोर्ट करने में सक्षम रहेगा। एक ओर भारत की बिजली उत्पादन क्षमता अपने चरम पर है, और दूसर सस्ते बिजली दर होने के कारण सौर ऊर्जा में भारत को कोई टक्कर देने की स्थिति में भी नहीं रह पाएगा।
वैकल्पिक ऊर्जा के क्षेत्र में भारत बेहद लाभ की स्थिति में है, और वह जल्द ही इस क्षेत्र का निर्विरोध सम्राट बन सकता है। जैसे मिडिल ईस्ट ने तेल के दम पर दुनिया में अपनी धाक जमाई, वैसे ही वैकल्पिक ऊर्जा के बल पर भारत एक बार फिर दुनिया के सबसे ताकतवर और सबसे प्रभावशाली देशों में शामिल हो सकता है, जिसकी शुरुआत काफी पहले ही हो चुकी है,जो मिडिल ईस्ट खोएगा, वो भारत पाएगा।