Indo Pacific में चीन के प्रभुत्व को चुनौती देने का सबसे बढ़िया तरीका यह है कि उसके दो सबसे नजदीकी पड़ोसियों यानि वियतनाम और फिलीपींस को ही उसके खिलाफ कर दिया जाये, या इन देशो में चीन विरोधी ताकतों का वर्चस्व बढ़ाया जाये! Quad अब ठीक इसी रणनीति पर काम करता दिखाई दे रहा है। पिछले कुछ महीनों से Quad समूह देश अब चीन के इन दो पड़ोसियों पर खासा ध्यान दे रहे हैं, जिसमें ना सिर्फ आपसी सैन्य सहयोग को बढ़ाने की बात की जा रही है बल्कि Quad के साथ इन देशों के आर्थिक सहयोग को नया आयाम देने की बात भी की जा रही है।
अभी हाल ही की खबर के मुताबिक फिलीपींस जल्द ही अमेरिका के साथ अपने सुरक्षा समझौते को upgrade कर सकता है। अभी वर्ष 1988 के बाद से ही अमेरिका-फिलीपींस के बीच Visiting Forces Agreement पर सहमति बनी हुई है, जिसके तहत अमेरिकी जंगी जहाज़ और jets फिलीपींस की सीमा में बिना रोक-टोक प्रवेश कर सकते हैं। यह Agreement अभी expire होने वाला है और हाल ही में फिलीपींस की सरकार ने इसे 6 महीनों तक बढ़ा दिया है। अपने नए फैसले में अब फिलीपींस की सरकार ने दोबारा इस समझौते को 6 महीनों के लिए बढ़ा दिया है, और कहा है कि इस समय के दौरान वे अमेरिका के साथ एक ज़्यादा मजबूत और टिकाऊ सुरक्षा समझौता करने का प्रयास करेंगे! अगर अमेरिका-फिलीपींस के बीच कोई नया समझौता होता है, तो यह चीन के लिए कोई अच्छी खबर नहीं होगी।
अब कल ही यह भी खबर आई थी कि जल्द ही भारत और रूस मिलकर भी फिलीपींस को खतरनाक Brahmos मिसाइल मुहैया करा सकते हैं। इसके बाद फिलीपींस चीन के खतरे से निपटने के लिए और ज़्यादा सशक्त हो सकेगा! बात सिर्फ सैन्य सहयोग तक ही सीमित नहीं है। भारत और फिलीपींस के बीच द्विपक्षीय संबंधों को लेकर एक पीटीए (Preferential Trade Deal) डील करने को लेकर बातचीत चल रही है जिसके तहत दोनों देश आपसी ट्रेड बढ़ाने के साथ ही उत्पाद शुल्कों में कटौती करने का फैसला लेंगे। यानि QUAD देश फिलीपींस को आर्थिक तौर पर भी अपनी मुट्ठी में करना चाहते हैं और रणनीतिक तौर पर भी!
इसी प्रकार वियतनाम में भी इन सभी देशों ने पिछले कुछ समय में अपना ध्यान केन्द्रित किया है। जापान के नए प्रधानमंत्री योशीहिदे सुगा ने जिस प्रकार अपनी पहली विदेश यात्रा पर वियतनाम का दौरा किया, उससे स्पष्ट हो गया कि Quad देश अब वियतनाम के जरिये ही दक्षिण चीन सागर में चीन की चुनौती से निपटने की रणनीति पर काम कर रहे हैं। इस बात में कोई दो राय नहीं है कि वियतनाम की Geopolitical location बेहद महत्वपूर्ण है। यह देश चीन के ठीक दक्षिण में है, और दक्षिण चीन सागर के ठीक पश्चिम में! ऐसे में अगर चीन के लिए किसी देश से सबसे ज़्यादा मुश्किलें खड़ी की जा सकती है, तो वह वियतनाम ही है। खुद वियतनाम और Quad के देश भी इस बात को समझते हैं। इसीलिए,वियतनाम खुद भी अब Quad देशों के साथ सहयोग कर चीन को कड़े संकेत देने की कोशिश कर रहा है। इसीलिए सुगा के दौरे के दौरान उसने जापान के साथ एक महत्वपूर्ण सैन्य समझौते पर हस्ताक्षर किए हैं जिसके बाद जापान इस देश को अपने हथियार बेच पाएगा।
वियतनाम को अपने पाले में करने के लिए भारत भी कोई कसर नहीं छोड़ रहा है। वियतनाम के आग्रह के बाद अब भारत चीन को सीधे तौर पर चुनौती पेश करने के लिए दक्षिण चीन सागर में वियतनाम के Exclusive Economic Zone में drilling का काम कर सकता है। बता दें कि इसी वर्ष अगस्त में वियतनाम के राजदूत ने भारत के विदेश सचिव हर्षवर्धन श्रृंगला से मुलाक़ात के दौरान यह पेशकश की थी कि भारत दक्षिण चीन सागर में आकर यहाँ के खनिज पदार्थों और तेल जैसे बहुमूल्य संसाधनों की खोज कर सकता है। वियतनाम अब खुद चाहता है कि दक्षिण चीन सागर में अमेरिका के साथ-साथ उसे और भी बड़ी ताकतों का साथ मिले, इसी कड़ी में वह भारत के साथ भी नज़दीकियाँ बढ़ा रहा है।
वियतनाम और फिलीपींस, इन दोनों को अपने पाले में करके Quad Indo-Pacific में चीन के प्रभुत्व को कम करना चाहता है। चीन के ये दो पड़ोसी अगर डटकर उसके सामने खड़े हो जाते हैं, तो पेपर ड्रैगन के लिए मुश्किलें होना ज़ाहिर है।