आंध्र प्रदेश में मंदिरों के टूटने के बाद सियासत गरमाई हुई है। TDP नेता और पूर्व मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू लगातार मुख्यमंत्री और YSRCP कांग्रेस प्रमुख जगन मोहन रेड्डी पर निशाना साध रहे हैं। अपने ऊपर धार्मिक हमलों को लेकर जगन मंदिरों के पुनर्निर्माण और भूमिपूजन के जरिए नायडू पर ही उल्टा बरस पड़े हैं। दूसरी ओर कांग्रेस का जनाधार खत्म हो चला है। इसलिए BJP खुद को बड़ा हिंदू साबित करने वाली इन क्षेत्रीय पार्टियों के नेताओं की नौटंकी आराम से बैठ कर देख रही है क्योंकि अंततः फायदा उसका ही होगा।
पिछले कुछ समय में आंध्र प्रदेश में कई मंदिरों और हिंदू देवी-देवताओं की मूर्तियों के टूटने की खबर सामने आई है। इसमें भगवान श्रीराम की एक मूर्ति भी थी, जो 400 साल पुरानी थी। अब तक यहां 140 से ज्यादा मंदिर टूट चुके हैं जिससे लोगों का गुस्सा जगन सरकार पर फूटा है। ऐसे में मुख्य विपक्षी नेता चंद्रबाबू नायडू और उनकी पार्टी TDP लगातार YSRCP पर हमला बोल रहे हैं। चंद्रबाबू नायडू को डर है कि यहां बीजेपी इस मौके पर राजनीतिक लाभ उठा सकती है इसलिए वो खुद को बेहतर हिंदुओं का सहयोगी बता रहे हैं।
चंद्रबाबू नायडू का कहना है कि जगन मोहन एक ईसाई हैं इसलिए वो हिंदुओं की आस्था का ध्यान न रखते हुए उनके देवी-देवताओं के मंदिरों के टूटने पर चुप्पी साधे हुए हैं। और उन्हें केवल अल्पसंख्यकों से ही मतलब है। चंद्रबाबू नायडू BJP की रणनीति से डरे हुए हैं। इसलिए खुद को बेहतर हिन्दू बताने की कोशिश में इस तरह की घटनाओं के ग्राउंड जीऱो पर जाकर संवेदनशीलता दिखा रहे हैं।
इसके इतर विपक्ष के आरोपों से CM जगन को भी एहसास हुआ है कि उन्हें चुनाव में नुकसान हो सकता है जिसके चलते उन्होंने हाल ही में विजयवाड़ा में 9 मंदिरों के पुनर्निर्माण का न केवल भूमिपूजन किया बल्कि 70 करोड़ से ज्यादा रकम का सहयोग देने की बात कही थी। जगन का कहना है कि ये सारे असामाजिक कार्य जानबूझकर विपक्षियों द्वारा किए जा रहे हैं। उन्होंने अपने डैमेज कंट्रोल के जरिए सारा ठीकरा चंद्रबाबू नायडू पर फोड़ा है क्योंकि भूमिपूजन वाले सभी 9 मंदिर 2016 में नायडू सरकार रहते टूटे थे।
YSRCP ने आंध्र प्रदेश में कांग्रेस का पूरा वोट बैंक निगल लिया है जिसका नतीजा ये है कि कांग्रेस के पास यहां हिंदू या मुस्लिम कोई भी कार्ड खेलने की कोई संभावना ही नहीं है। ऐसे में TDP और YSRCP राज्य में खुद को ज्यादा हिंदू हृदय सम्राट दिखाने की राजनीतिक जुगत में जुटे हैं जिससे विधानसभा चुनाव से पहले एक सकारात्मक राजनीतिक माहौल अपनी-अपनी पार्टियों के लिए बनाया जा सके।
वहीं बीजेपी इन दोनों की लड़ाई का फायदा उठा सकती है और चुनावों में अपने हिंदुत्व कार्ड के जरिए दोनों स्थानीय पार्टियों को झटका दे सकती है जिसमें सबसे ज्यादा नुकसान चंद्रबाबू नायडू का होगा। यही कारण है कि वो इस मुद्दे पर सबसे ज्यादा मुखर हैं।