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ट्रम्प ने Indo-Pacific से लेकर वाशिंगटन तक अपने Avengers तैयार कर लिए हैं, बाइडन को इसकी भनक तक नहीं

Shikhar Srivastava द्वारा Shikhar Srivastava
15 March 2021
in अमेरिकाज़
बाइडन
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जैसे भारत में आंदोलनजीवियों का एक वर्ग है, वैसे ही अमेरिका में युद्धजीवियों का एक समूह है। अमेरिका में इसे डीप स्टेट कहते हैं, और यह डीप स्टेट अमेरिका के युद्धों के पीछे सबसे बड़ा कारण रहा है। अमेरिकी डीप स्टेट कुछ विशेष पूंजीपतियों, राजनायिकों, प्रशासनिक अधिकारियों, पत्रकारों, NGO आदि का एक समूह है, जो वामपंथी उदारवादी दृष्टिकोण को आगे बढ़ाता है।

ट्रम्प ने इस डीप स्टेट के खिलाफ चार वर्षों तक युद्ध छेड़े रखा था। यही कारण रहा था कि उनके अमेरिका काल में अमेरिका किसी युद्ध में नहीं फंसा और युद्धों से मुक्त, एक बेहतर विदेश नीति के बल पर अपने हित भी साधता रहा। किंतु अब जो बाइडन के शासन में डीप स्टेट पुनः सक्रिय हो रहा है।

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जो बाइडन की जीत में डीप स्टेट की बड़ी भूमिका है, यही कारण है कि अपने शासन की शुरुआत से ही बाइडन विभिन्न महत्वपूर्ण पदों पर ऐसे लोगों की नियुक्ति कर रहे हैं जो उनकी और डीप स्टेट के प्रति वैचारिक झुकाव रखे।

बाइडन अपने लोगों की नियुक्तियां करने के लिए ऐसे लोगों को महत्वपूर्ण पदों हटा रहे जिन्हें ट्रम्प सरकार के दौरान नियुक्त किया गया था, क्योंकि ट्रम्प के ये एवेंजर्स बाइडन की हर नीति की कड़ी निगरानी कर रहे हैं।

दरअसल, ट्रम्प शासन के दौरान मिडिल ईस्ट से लेकर इंडो पसिफ़िक तक और सभी महत्वपूर्ण सरकारी मंत्रालयों, वाइट हाउस आदि सभी महत्वपूर्ण कार्यालयों में ट्रम्प ने ऐसे लोगों की नियुक्ति की थी जिनके लिए अमेरिका के हित सर्वोपरि थे। किंतु अब बाइडन ऐसे देशभक्त लोगों को हटाकर उदारवादी वामपंथी विचारधारा के लोगों की नियुक्तियां कर रहे हैं। यही नहीं ट्रम्प प्रशासन के समय नियुक्त हुए लोगों को डीप स्टेट के दबाव और बाइडन की मूर्खतापूर्ण नीतियों के बीच काम करना पड़ रहा है।

हालांकि, एक महत्वपूर्ण बात यह है कि बाइडन को न चाहते हुए भी ट्रम्प सरकार की नीतियों को लागू करना पड़ रहा है। ईरान से लेकर अमेरिका की आंतरिक सुरक्षा तक, कई ऐसे क्षेत्र हैं, जहाँ बाइडन ने पहले ट्रम्प की नीतियों की आलोचना की और अब स्वयं उन्हें लागू करने पर मजबूर हैं। जैसे ईरान के संदर्भ में पहले नर्म रुख रखने वाले बाइडन, मजबूर हो गए हैं कि वह ईरान के साथ ट्रम्प की नीति अपनाए। यही स्थिति हुआवे, ZTE जैसी चीनी कंपनियों के संदर्भ में भी देखने को मिली है। बाइडन प्रशासन के शुरुआती फैसले इन्हें राहत देने वाले थे, बाइडन ने चीन के साथ सहयोग की बात कही थी, किंतु अब Federal Communications Commission (FCC) ने पांच चीनी टेलीकॉम कंपनियों को राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए खतरा माना है। FCC की टिप्पणी बताती है कि बाइडन प्रशासन चीनी टेलीकॉम कंपनियों के खिलाफ भी ट्रम्प सरकार की नीतियां अपनाने को मजबूर हो गया है।

अपने चुनाव अभियान के दौरान बाइडन ट्रम्प पर यह आरोप लगाते रहे कि उनकी सरकार लोकतांत्रिक नहीं है, लोग वैचारिक झुकाव और नस्लीय भिन्नता के कारण भेदभाव सह रहे हैं। किंतु लोकतंत्र के चैंपियन बनने की कोशिश कर रहे बाइडन स्वयं अपने से वैचारिक भिन्नता रखने वालों को निकाल रहे हैं। इसी क्रम के उन्होंने Council of the Administrative Conference के सदस्य Roger Severino को भी निकाला है। इसके बाद Roger Severino ने बाइडन पर भेदभाव का आरोप लगाते हुए उन्हें कोर्ट में चुनौती दी है। उनके अनुसार उनके साथ कुल तीन लोगों को, उनके वैचारिक मतभिन्नता के कारण, कौंसिल से बाहर किया गया है।

इसी प्रकार कार्यस्थलों पर महिलाओं के साथ भेदभाव रोकने के लिए कार्य करने वाली सरकारी एजेंसी Equal Employment Opportunity Commission में कार्यरत Sharon Gustafson को भी बाइडन ऑफिस की ओर से इस्तीफा देने का आदेश मिला है। इनकी भी नियुक्त ट्रम्प शासन में हुई थी।

बाइडन जब से सरकार में आये हैं उन्होंने 1000 से अधिक नियुक्तियां की हैं और लोगों के इस्तीफा देने का अनुपात भी इसके मुकाबले कम नहीं है। कई लोग बाइडन सरकार के इस व्यवहार के खिलाफ आवाज उठा रहे हैं, अधिकांश चुपचाप इस्तीफा देकर चले जा रहे हैं।

किंतु बाइडन और डीप स्टेट कितना भी प्रयास करें, उनके लिए ट्रम्प की नीतियों को पूरी तरह पलटना असम्भव ही होगा। अब भी कई ऐसे महत्वपूर्ण लोग हैं, जो बाइडन की मूर्खतापूर्ण नीतियों का पुरजोर विरोध कर रहे हैं, और अपने पद पर भी बने हुए हैं। जैसे अमेरिका की इंडो पसिफ़िक कमांड के कमांडर एडमिरल Philip Davidson, टेक्सस के गवर्नर Gregg Abbott, मिसीसिपी के गवर्नर Tate Reeves और फ्लोरिडा के गवर्नर Ron DeSantis। जहाँ Philip, बाइडन को चीन के प्रति नीति में बदलाव करने से रोक रहे हैं वहीं Gregg Abbott बाइडन की माइग्रेंट पॉलिसी का पुरजोर विरोध कर रहे हैं।

बाइडन का बस चले तो वो अमेरिका को पूरी तरह से डीप स्टेट के एजेंडे पर ही चलाएं, किंतु Philip Davidson, Gregg Abbott जैसे एवेंजर्स के कारण वह ऐसा नहीं कर पा रहे। या कहें ट्रम्प के भरोसेमंद सिपहसालार, अमेरिका की बर्बादी के रास्ते में मजबूती के साथ खड़े हैं।

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