अमेरिका के राष्ट्रपति बनने के बाद से ही जो बाइडन QUAD को नजरंदाज और भारत को नाराज करने की कोशिश कर रहे हैं। अब उनकी ही खुफिया एजेंसी के एक शीर्ष अधिकारी ने बाइडन प्रशासन को चेतावनी दी है कि भारत को नजरंदाज करना अमेरिका को भारी पड़ सकता है।
रक्षा खुफिया एजेंसी के जनरल डायरेक्टर स्कॉट बेरियर ने Senate Armed Services Committee के सामने दुनिया भर में खतरों पर
सम्मलेन के दौरान ये बातें कही। उन्होंने भारत को एक महत्वपूर्ण देश के रूप में रेखांकित करते हुए कहा कि, “भारत इंडो पैसिफिक में एक net security provider है,” उनके कहने का अर्थ स्पष्ट था कि भारत इस क्षेत्र में शांति स्थापित करने और चीन को काउंटर करने की दृष्टि से सबसे महत्वपूर्ण देश है। उन्होंने कहा कि “भारत में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 2020 में एक मुखर विदेश नीति अपनाया, जिसका उद्देश्य रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण हिंद महासागर क्षेत्र में net security provider के रूप में देश की ताकत और इसकी धारणा को प्रदर्शित करना है।” अमेरिका की डिफेंस इंटेलिजेंस एजेंसी ने भी कहा कि “नई दिल्ली ने भी आक्रामक चीन के प्रति अपने दृष्टिकोण को सख्त कर दिया है।”
उन्होंने कहा कि, “जब 2020 की गर्मियों में वास्तविक नियंत्रण सीमा के पास चीन ने भारतीय क्षेत्र को लेने के प्रयास किया तब से द्विपक्षीय संबंधों में गिरावट के बाद भारत ने चीन के प्रति अपने दृष्टिकोण को कड़ा कर दिया है।“
जनरल डायरेक्टर स्कॉट बेरियर ने चीन के खिलाफ भारत द्वारा उठाये गए कदमों को भी रेखांकित करते हुए कहा कि, “भारत ने चीन के खिलाफ कई आर्थिक कदम भी उठाये, जिसमें चीनी मोबाइल फोन एप्लिकेशन पर प्रतिबंध लगाना और दूरसंचार के लिए भरोसेमंद वेंडर का उपयोग करना शामिल है।“
उनके कहने का स्पष्ट अर्थ यह है कि भारत एक महत्वपूर्ण साझेदार है। अगर उनके बयान को देखा जाये तो यह बाइडन के लिए एक चेतावनी है कि जो उनका भारत के प्रति रुख है, जैसे कभी वैक्सीन के raw material रोक देना, कभी QUAD को अप्रासंगिक बनाने की कोशिश करना और कभी भारत के Exclusive Economic Zone में घुसपैठ कर देना, ये अमेरिका के हित में नहीं है। भारत इंडो-पैसिफिक में अमेरिका का एक महत्वपूर्ण साझेदार है और अगर बाइडन इसी तरह की नीति अपनाये रखते हैं तो यह अमेरिका पर भारी पड़ सकता है।
Defence Intelligence Agency यह स्पष्ट कर देना चाहती है कि भारत की अब अहमियत इंडो-पैसिफिक में net security provider की है और उसके नाराज होने से यह विश्व शांति पर भी गहरा असर पड़ेगा इसलिए बेहतर यही है कि भारत को नाराज करने वाली नीतियां बंद हो।
बता दें कि जब भारत को वैक्सीन की सबसे अधिक आवश्यकता थी तब अमेरिका ने आवश्यक raw material के एक्सपोर्ट को प्रतिबन्ध हटाने से मना कर दिया था। हालांकि, शीर्ष स्तर के नेताओं के साथ बातचीत के बाद ही फिर से इन raw materials की आपूर्ति शुरू हुई है। इसके अलावा हाल ही में अमेरिका की ओर से एक बेहद ही असमान्य चाल देखने को मिली थी। अमेरिका ने 7 अप्रैल को लक्षद्वीप के पास भारत के Exclusive Economic Zone में अपना युद्धपोत भेजकर क्षेत्र में भारत के दावों को सीधी चुनौती दे डाली। इतना ही नहीं, इसके बाद अमेरिका ने एक भारत-विरोधी बयान भी जारी किया था।
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वहीं, बाइडन QUAD की महत्ता को किस तरह कम करना चाहते हैं यह सभी ने देखा। उन्होंने तो राष्ट्रपति बनने के बाद चीन के डर से इंडोपैसिफिक को भी महत्व देना कम कर दिया था। इससे QUAD के अन्य सदस्य जैसे भारत, ऑस्ट्रेलिया और जापान स्वयं ही चीन के खिलाफ एक्शन के लिए तैयार थे। वहीं, फ्रांस और जर्मनी जैसे यूरोपीय देश भी भारत के साथ मिलकर Indo-Pacific में काम करने को लेकर इच्छा जता चुके हैं। इससे स्पष्ट है कि Indo-Pacific क्षेत्र में बाइडन सरकार द्वारा अपनाया जा रहा भारत विरोधी रुख उल्टा अमेरिका पर ही भारी पड़ सकता है। अब तो अमेरिका की Defence Intelligence Agency ने भी भारत के महत्व को उजागर करते हुए बाइडन को यह चेतावनी दे दी है कि अगर ऐसे समय में अमेरिका भारत के खिलाफ ही सख्त रुख दिखाता है तो ज़ाहिर है कि अमेरिका अपने साथी देशों में थोड़ी बहुत बची-कुची साख को भी खो देगा।