लोगों के पास समय नहीं है। प्रियजनों से मिलना भी दूभर है। कल्पना करिए, आपका दोस्त आपसे हजारों मील दूर किसी और शहर में बैठा है और आप उससे तुरंत मिलना चाहते हैं। आप क्या करेंगे? संदेश प्रेषित करेंगे या वीडियो कॉल करेंगे। जो भी करेंगे परंतु आप अपने मित्र से सदैव भिन्न वातावरण में रहते हुए ही वार्तालाप कर पाएंगे। दूरी का एहसास बना रहेगा। परंतु, अब तकनीक के माध्यम से इसका निवारण किया जा सकता है। इस तकनीक का नाम है- मेटावर्स (Metaverse)। यह एक नया क्षेत्र है, जहां कई भारतीय कंपनियां प्रवेश करने की कोशिश कर रही हैं।
क्या है मेटावर्स (Metaverse)?
मेटावर्स डिजिटल दुनिया का एक समामेलन है जिसमें भौतिक, संवर्धित और आभासी वास्तविकता का अभिसरण होता है। मेटावर्स के कुछ विचार पहले से ही ऑनलाइन सोशल गेम्स में पाए जाते हैं, जैसे बैटल रॉयल, जगरनॉट फोर्टनाइट, रोबॉक्स, माइनक्राफ्ट, और एनिमल क्रॉसिंग: न्यू होराइजन्स। आम भाषा में इसे यूं समझिए कि जिस तरह “3D तकनीक” चलचित्र की कहानी को पर्दे से उठाकर एक आभासी वास्तविकता में परिवर्तित कर देते हैं, जैसे कि कहानी आपके सामने ही घटित हो रही हो, उसी प्रकार मेटावर्स भी आपके जीवन को एक आभासी वास्तविकता में परिवर्तित कर देते हैं जैसे की आप अपने परिजनों के सामने ही बैठे हों। मेटावर्स प्रौद्योगिकी के माध्यम से, व्यक्ति इंटरनेट के वैकल्पिक ब्रह्मांड में एक साथ प्रवेश करने और दैनिक कार्यों को करने में सक्षम होंगे। जिन लोगों ने द मैट्रिक्स को देखा है, उनके लिए यह Metaverse को समझना आसान है।
यह शब्द डिजिटल शब्दकोश से आया है। लेखक नील स्टीफेंसन द्वारा अपने 1992 के उपन्यास “स्नो क्रैश” में इसे गढ़ा गया। फिर अर्नेस्ट क्लाइन के उपन्यास “रेडी प्लेयर वन” में इसे ओएसिस के रूप में फिर से तैयार किया गया। यह पूरी तरह से महसूस की गई डिजिटल दुनिया को संदर्भित करता है।
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विश्व की कई कंपनियाँ विकसित कर इस तकनीक को
‘मेटावर्स’ का कार्य तीव्र गति के साथ प्रगति पर है। पिछले महीने, NVIDIA ने ब्लेंडर और Adobe के साथ अपने NVIDIA Omniverse का विस्तार करने की अपनी बड़ी योजनाओं का खुलासा किया, जो दुनिया का पहला सिमुलेशन और सहयोग मंच है। इससे एक महीने पहले अप्रैल में फेसबुक के सीईओ मार्क जुकरबर्ग ने मेटावर्स कंपनी बनने की बड़ी योजनाओं की घोषणा की थी। माइक्रोसॉफ्ट ने भी कहा कि वह एक ‘एंटरप्राइज मेटावर्स’ विकसित कर रहा है।
भारतीय कंपनियाँ भी आ रही हैं आगे
मेटावर्स क्रांति का नेतृत्व करने में भारत की एक बड़ी भूमिका है। 440 मिलियन गेमर्स या 2.7 बिलियन के विश्वव्यापी गेमर्स बेस (विश्व का 16 प्रतिशत) के साथ, भारत उपयोगकर्ता बेस के मामले में शीर्ष 5 वैश्विक बाजारों में से एक है जो लगातार बढ़ रहा है। अपने नव-उद्यमियों और उनके नवाचरों के बल पर भारत भी भविष्य के इस तकनीक का महारथी बनाने की ओर अग्रसर है। आइये, हम आपकों ऐसे ही कुछ स्वदेशी नवाचरों से अवगत कराते हैं जो उज्ज्वल भविष्य की नीव रख चुके हैं।
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OneRare
नई दिल्ली स्थित OneRare, 0xPolygon पर भारत का पहला फूड मेटावर्स गेम है। इस गेम को खेलते हुए आप कमाई भी कर सकतें हैं। गौरव गुप्ता और सुप्रीत राजू ने मार्च 2021 में कंपनी की स्थापना की। OneRare एक साधारण लक्ष्य जैसे अपने पसंदीदा व्यंजनों का दावा कर “play to earn” गेम है।
LOKA
नई दिल्ली में स्थित, LOKA भारत का पहला मल्टीप्लेयर गेमीफाइड वर्चुअल मेटावर्स है जो वास्तविक दुनिया के शहरों और स्थानों के 3D मानचित्रों पर आधारित है, जहां खिलाड़ी अपने पसंदीदा तृतीय-पक्ष ऐप द्वारा संचालित लाइव और समवर्ती अनुभवों में भाग ले सकते हैं। जुलाई 2020 में स्थापित, LOKA को कृष्णन सुंदरराजन द्वारा विकसित किया गया था। यह प्लेटफॉर्म दिल्ली में कनॉट प्लेस, मुंबई में मरीन ड्राइव और बेंगलुरु में एमजी रोड जैसे शहरों और स्थानों के 3डी संस्करण प्रदान करता है। यह गेम रीयल-टाइम और समवर्ती रूप से खेला जाता है।
Cope. Studio
Cope.Studio की स्थापना वैभव शर्मा ने नवंबर 2020 में की थी। यह एक डीप-टेक केंद्रित उत्पाद स्टूडियो है, जो प्रारंभिक चरण के उपक्रमों पर ध्यान केंद्रित करते हुए सफल उत्पादों के पुनरावर्तनीय निर्माण और विकास के लिए एक मंच विकसित करता है। बेंगलुरू में स्थित, कंपनी मेटावर्स के बारे में नवीन विचारों को श्रेणी-परिभाषित कंपनियों में बदलने के लिए डिज़ाइन, उत्पाद समर्थन और पूंजी के जोड़ का काम करती है।
भारत तकनीक के महारथी देशों में से एक है। भारत की 65 प्रतिशत जनसंख्या 18-35 साल के बीच अर्थात युवा है। ऐसे युवा बड़ी मात्र में डिजिटल सामग्री का उपभोग करते हैं और ऑनलाइन गेमिंग पर भारी समय और पैसा लगाते हैं। देश की जनसांख्यिकी और चीन द्वारा ऑनलाइन गेमिंग क्षेत्र पर प्रतिबंध लगाने के बाद से तस्वीर से बाहर होने के कारण, भारत मेटावर्स विकास का केंद्र बन सकता है। भारत में पहले से ही स्टार्टअप हैं, जो मेटावर्स का उपयोग कर रहे हैं और वह दिन दूर नहीं जब मेक इन इंडिया और आत्मानिर्भर भारत पहल के साथ, भारत सभी उन्नत और आधुनिक तकनीकों का केंद्र बन जाएगा।