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आम आदमी पार्टी के पंजाब विधानसभा चुनाव नहीं जीतने के चार कारण

पंजाब में 'AAP' को विजय नहीं पराजय मिलेगी!

Shashwat Singh द्वारा Shashwat Singh
17 January 2022
in राजनीति
आम आदमी पार्टी पंजाब चुनाव
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मुख्य बिंदु
  • इस लेख में पंजाब चुनाव में आम आदमी पार्टी के नहीं जीतने पीछे छुपे चार कारणों की गई है चर्चा
  • वर्ष 2017 की भांति फ्री का लालच देकर वोट जुटाने में लीन है AAP
  • एक ऐसी पार्टी, जिसे मिलता है खालिस्तानियों का समर्थन

इस बार का पंजाब विधानसभा चुनाव आम आदमी पार्टी के लिए आसान नहीं है। जनता का पैसा फूंककर प्रचार करने में तत्परता दिखाने वाली आम आदमी पार्टी पंजाब चुनाव में दिशाहीन और मुद्दाविहीन दिख रही है। पंजाब में आम आदमी पार्टी एक ऐसी पार्टी बन कर उभरी है, जिसकी ना तो कोई सेना है और ना ही सेनापति, साफ शब्दों में कहें तो बिन दूल्हा बारात। हम इस लेख में आम आदमी पार्टी के उन चार कारणों की चर्चा करेंगे, जिसके आधार पर पंजाब विधानसभा चुनाव जीतना कठिन प्रतीत होता है।

पहला कारण : पार्टी के अंदर आपसी भितरघात का होना 

पंजाब विधानसभा चुनाव के नजदीक आने के साथ ही आम आदमी पार्टी के लिए पहली बड़ी चुनौती है, पार्टी के अंदर आपसी भितरघात का होना। वर्ष 2017 की तुलना में आम आदमी पार्टी की राजनीतिक स्थिति पंजाब में कमज़ोर हो चुकी है। पंजाब की जनता यह समझ चुकी है कि आम आदमी पार्टी लोगों को मुफ्त का लोभ देकर पंजाब की आर्थिक हालत को खराब कर सकती है और वहीं पंजाबियों के भीतर आम आदमी पार्टी का घटता जनाधार भी यह साफ संकेत दे रहा है कि पंजाब में केजरीवाल और उनकी टोली फ्लॉप साबित होने वाली है।

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दूसरा कारण: AAP के पास कोई बड़ा जट्ट चेहरा नहीं है

पंजाब में आम आदमी पार्टी के हारने की संभावना इस बात से भी बढ़ गई है क्योंकि राज्य में दुसरे पार्टी की तुलना में AAP के पास भगवंत मान की तुलना में कोई बड़ा जट्ट चेहरा नहीं है। वहीं, भगवंत मान जो नेतागिरी कम और अपने नशे के लिए अधिक चर्चा में रहते हैं, जिस कारण पंजाब की जनता उन्हें मुख्यमंत्री के तौर पर नहीं देखना पसंद करती है।

अगर बात करें पंजाब में जट्ट चेहरे की तो सभी विपक्षी पार्टियों में जट्ट चेहरा मौजूद है, जैसे अकाली दल के पास सुखबीर सिंह बादल, कांग्रेस के पास सिद्धू, भाजपा के पास अमरिंदर सिंह है और साथ ही मनजिंदर सिंह सिरसा भी हैं, जो भाजपा के साथ मजबूती से खड़े हैं और इन सब की तुलना में भगवंत मान कहीं नहीं टिकते। इस कारण से ही आम आदमी पार्टी ने अपने मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार के रूप में AAP सांसद और कॉमेडियन रहे भगवंत मान का नाम अभी तक आगे नहीं बढ़ाया है।

तीसरा कारण : पंजाब का युवा वर्ग AAP के झांसे में नहीं आने वाला है

पंजाब में आम आदमी पार्टी के हारने का तीसरा मुख्य कारण है राज्य का युवा वर्ग। पंजाब के युवा अरविन्द केजरीवाल से भली भांति परिचित हैं, वे जानते हैं कि केजरीवाल लोगों को छलने में माहिर हैं और वे यह भी जानते हैं कि रोज़गार के झूठे सपने दिखा कर वो दिल्ली के युवाओं  की तरह  पंजाब के लोगों का भी राजनीतिक इस्तेमाल करेंगे। इसलिए इस बार के पंजाब चुनाव में युवा वर्ग ‘AAP’ पार्टी को झाड़ू सहित खदेड़ देगा।

चौथा कारण: AAP को मिलता है खालिस्तानियों का समर्थन

वहीं, चौथे करण के तौर पर पंजाब आम आदमी पार्टी में कुछ लोग अभी भी सिखों के लिए एक अलग मातृभूमि यानी (खालिस्तान )के समर्थक हैं, लेकिन उनमें से ज्यादातर अब भारत में नहीं हैं।  वे ऑस्ट्रेलिया, इंग्लैंड और कनाडा में बस चुके हैं। वे अपने रिश्तेदारों के हाथों पैसा भेजते हैं, जिससे यह तथाकथित पार्टी उस पैसा को अपने चुनाव प्रचार में खर्च कर सके। यही उनकी खालिस्तानियों से दोस्ती करने के पीछे का मुख्य कारण है। ‘AAP’ पार्टी किसान आंदोलन के समय भी खालिस्तानी गतिविधि को नज़रअंदाज़ कर अपनी दोगली मानसिकता का परिचय दे चुकी है।

खालिस्तानियों के साथ सांठ-गाँठ करने के कारण अब पंजाब का हिन्दू वर्ग भी केजरीवाल की पार्टी से दूरी बना रहा है क्योंकि पंजाब का हिन्दू यह कभी नहीं भूल सकता कि कैसे पंजाब में खालस्तानी आतंकवादियों ने उनके परिवार के साथ कत्लेआम मचाया था। पंजाब के हिन्दू वह दिन जब याद करते हैं, तो उनकी रूह कांप जाती है। पंजाब के हिन्दुओं ने भी इस बार मन बना लिया है कि किसी भी तरह से खालिस्तानी समर्थित आम आदमी पार्टी की सरकार राज्य में चुनाव नहीं जीते। ऐसे में साफ होता है कि हिंदू आम आदमी पार्टी को वोट नहीं देंगे। पंजाब के हिन्दू इसलिए भी AAP पार्टी को वोट नहीं देंगे क्योंकि केजरीवाल हमेशा 84 दंगों के बारे में बात करते हैं और उससे पहले के वर्षों को अनदेखा करते हैं। इस कारण पंजाब के हिंदू अल्पसंख्यक इस बार अपनी सुरक्षा के लिए मतदान करेंगे।

पंजाब में केजरीवाल और उनकी पार्टी का बुरा हाल

आम आदमी पार्टी ने पिछले साल दिसबर 2021 में चंडीगढ़ नगर निगम चुनाव में 14 सीटों पर जीत हासिल कर आगामी पंजाब चुनाव विधानसभा में विजय प्रपात करने का सपना देखा है, जोकि पूर्ण होने से कई मील दूर है। उपरोक्त कारणों के आधार पर कहा जा सकता है कि पंजाब में आम आदमी पार्टी की हार की पठकथा पहले ही लिखी जा चुकी है। आम आदमी पार्टी पंजाब में  कांग्रेस और शिरोमणि अकाली दल के लिए वोट कटवा साबित हो सकती है।

और पढ़ें:‘आप’ के CM फ़ेस हो सकते हैं भगवंत मान, ये हास्यास्पद भी है और दुखद भी

ऐसे में, अरविंद केजरीवाल पंजाब में एक पार्टी को वोट काट कर हरा तो सकते हैं, लेकिन वह अपनी पार्टी को पूरी विधानसभा नहीं जीता सकते और उनके पास जीत को संभव बनाने के लिए आवश्यक संसाधन भी नहीं हैं। चुनावों में लगभग एक महीना बचा है और इस बीच यह कह पाना कठिन है कि आम आदमी पार्टी इन मुद्दों को हल करने में सक्षम होगी। उदाहरण के तौर पर समझने का प्रयास करें तो वर्ष 2017 में AAP ने सोशल मीडिया पर एक बड़ी छाप छोड़ी थी कि वह पंजाब में जीत हासिल करने के लिए तैयार है किन्तु AAP को केवल 20 सीटें ही जीत पाई थी। इस बार भी पंजाब में पार्टी का हाल कुछ ऐसा ही है।

Tags: AAPअरविन्द केजरीवालआम आदमी पार्टीपंजाब चुनाव 2022
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How DRDO’s New Laser System Can Destroy Drones at 5 KM Range?

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