मुख्य बिंदु
- छत्रपति शिवाजी महाराज द्वारा निर्मित प्रतिष्ठित रायगढ़ किले पर एक मस्जिद के निर्माण को लेकर मचा बवाल
- रायगढ़ के बाद लोहगढ़ में भी मस्ज्जिद निर्माण को लेकर हुआ एक खुलासा
- भाजपा ने कहा, ऐतिहासिक किलों और इतिहास से छेड़छाड़ बर्दाशत योग्य नहीं
- धार्मिक प्रथाओं के पुनरुद्धार के इरादे से किसी भी संरक्षित स्मारक के अंदर ना हो कोई निर्माण या नवीनीकरण
‘मराठा’ यह शब्द अपने आप में हीं वीरता का प्रतीक है। इस्लामी आक्रांताओं से लेकर अंग्रज़ों तक को धुल चटाने वाले मराठा और उसका इतिहास भारत में स्वर्णिम अक्षरों में लिखा हुआ है। इन्हीं मराठाओं में सबसे प्रमुख थे छत्रपति शिवाजी महराज। एक ऐसे योद्धा और राजा जिन्होंने अपना पुरा जीवन राष्ट्र के लोगों पर निछावर कर दिया था। आज के परिदृश्य में इस योद्धा और राजा के इतिहास के साथ छेड़छाड़ की जा रही है, जोकि बहुत ही दुर्भाग्यपूर्ण है।
ऐतिहासिक रायगढ़ किले पर मस्जिद निर्माण को लेकर मचा बवाल
दरअसल, छत्रपति शिवाजी महाराज द्वारा निर्मित प्रतिष्ठित रायगढ़ किले पर एक मस्जिद के निर्माण को लेकर तब बवाल मच गया जब हाल ही में कुछ लोगों को किले के तरफ पत्थर ले जाते हुए देखा गया। इस मामले के सामने आने के बाद से अब यह मुद्दा अब देशव्यापी बन चुका है। रायगढ़ किले के इतिहास के साथ छेड़छाड़ का मुद्दा उठाते हुए छत्रपति शिवाजी के वंसज और भारतीय जनता पार्टी के सांसद युवराज संभाजी ने अपने पत्र में बताया कि छत्रपति शिवाजी महाराज द्वारा निर्मित रायगढ़ किले के परिसर के भीतर एक मस्जिद के निर्माण का कार्य चल रहा है। उन्होंने इस बात पर भी प्रकाश डाला कि ऐतिहासिक महत्व के स्थानों पर इस तरह के ढांचे को खड़ा करना अवैध है। उन्होंने लिखा, “यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि रायगढ़ किले जैसे प्रतिष्ठित स्थान पर अवैध निर्माण गतिविधियों को चलने दिया गया है।”
इसके अलावा, उन्होंने कहा है कि किले के चरित्र, पवित्रता और ऐतिहासिकता को बनाए रखने के लिए यह आवश्यक है कि मस्जिद को तुरंत हटा दिया जाए, साथ ही उन्होंने कहा कि यह भी मांग की जाए कि किले के परिसर के भीतर किसी भी निर्माण गतिविधि पर तत्काल प्रतिबंध लगाया जाए ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि ऐसी गतिविधि फिर से ना हो। अपने इस्लामी समकालीनों के विपरीत, छत्रपति शिवाजी ने अपनी प्रजा के साथ समान व्यवहार किया और भारतीय सभ्यता के इतिहास में सबसे सम्मानित शासकों में से एक बन गए लेकिन इतना महान व्यक्तित्व के धनी और हिन्दू सम्राट शिवाजी के इतिहास के साथ छेड़-छाड़ बहुत हीं अशोभनीय है।
रायगढ़ किले से लोहगढ़ पहुंचा मस्जिद निर्माण का मुद्दा
इसी बीच पुणे के पास लोहागढ़ किले पर एक सूफी संत के लिए ‘उर्स शरीफ शरीफ’ के उत्सव का आह्वान करने वाले एक पोस्ट ने सोशल मीडिया पर सुर्खियां बटोरी। मल्हार पांडे नामक व्यक्ति ने हाल ही में ट्वीट करते हुए लिखा कि “इस्लामिक डकैतों के वंशजों ने महाराष्ट्र के विभिन्न किलों पर कुछ काल्पनिक पात्रों के ‘उर्स शरीफ’ का जश्न मनाकर छ. शिवाजी महाराज के किलों पर नियंत्रण करने के लिए एक मिशन शुरू किया है। कुछ दिन पहले यह रायगढ़ में हुआ था अब पुणे के लोहगढ़ में हो रहा है।”
उन्होंने आगे कहा, “ऐसा कोई साक्ष्य नहीं है जो यह दर्शाता हो कि छ. शिवाजी महाराज के समय या छ. संभाजी महाराज के समय में लोहगढ़ किले पर एक मस्जिद थी। धर्मनिरपेक्षता के नाम पर मुसलमानों ने पहले भी कई किलों को राजनेताओं की मदद से घेर लिया है।” मल्हार पांडे ने आगे कहा कि धर्मनिरपेक्षता के नाम पर हो रहे इन कुकर्मों पर रोक लगनी चाहिए। अगर इसे अभी नहीं रोका गया तो हम अपने किलों को खो देंगे, जो हमारे गौरवशाली इतिहास के प्रमाण हैं।
आपको बता दें कि रायगढ़ किले का इतिहास भारतीय और हिन्दुओं के लिए बहुत महत्वपूर्ण रहा है। छत्रपति शिवाजी महाराज से संबंधित रायगढ़ किला महाराष्ट्र के रायगढ़ जिले के महाड में स्थित एक भव्य और प्रसिद्ध पहाड़ी किला है। मराठा साम्राज्य के राजा के रूप में ताजपोशी के बाद, उन्होंने 1674 में इसे अपनी राजधानी बनाया, जिसमें भारत के मध्य और पश्चिमी हिस्सों का एक बड़ा हिस्सा शामिल था। किला 1765 में ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी द्वारा निष्पादित एक सशस्त्र अभियान का स्थान था। 9 मई, 1818 को किले को लूट लिया गया और बाद में ब्रिटिश सेना द्वारा इसे नष्ट कर दिया गया।
विपक्ष हुई शिवसेना पर हमलावर
वहीं, इस मामले के सामने आने के बाद से विपक्षी पार्टी शिवसेना की महाअघाड़ी सरकार पर हमलावर हो गई है। इस तरह का कुकृत्य सामने आने के बाद भाजपा नेताओं विनय सहस्रबुद्धे और सुनील देवधर के नेतृत्व में एक प्रतिनिधिमंडल ने महाराष्ट्र में रायगढ़ और कुलबा सहित कई किलों में ‘धार्मिक संरचनाओं के पुनरुद्धार के इरादे’ के साथ अनधिकृत निर्माण के मुद्दे पर केंद्र से याचिका दायर की। इस संबंध में राज्यसभा सदस्य सहस्रबुद्धे, भाजपा के राष्ट्रीय सचिव देवधर और दिल्ली मराठी प्रतिष्ठान के वैभव डांगे के प्रतिनिधिमंडल ने केंद्रीय संस्कृति राज्य मंत्री अर्जुन राम मेघवाल से मुलाकात की।
सहस्रबुद्धे ने कहा कि महाराष्ट्र के कोल्हापुर में विशालगढ़ फोर्ट से भी इसी तरह के अवैध निर्माण की सूचना मिली है और उन्होंने अर्जुन राम मेघवाल से ‘गंभीर स्थिति’ के मौके पर मूल्यांकन के लिए निर्वाचित प्रतिनिधियों और सरकारी अधिकारियों की एक उच्च स्तरीय समिति गठित करने का आग्रह किया। प्रतिनिधिमंडल ने मेघवाल को सौपें एक ज्ञापन में कहा “हाल ही में, अतीत में धार्मिक पूजा से जुड़े होने का दावा करने वाले नए अवैध निर्माण और संरचनाओं के नवीनीकरण की घटनाओं को हमारे संज्ञान में लाया गया था। यह स्पष्ट था कि धार्मिक प्रथा को पुनर्जीवित करने के लिए कुछ उपद्रवियों द्वारा सफेद रंग के उपयोग के साथ पुरानी संरचनाओं का पुनर्निर्माण करने का प्रयास किया गया था।”
शिवसेना ने साधी चुप्पी
उन्होंने कहा कि महाराष्ट्र में किलों को राष्ट्रीय महत्व के स्मारकों के रूप में घोषित किया गया है और भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण(Archaeological Survey of India) द्वारा संरक्षित किया गया है। उन्होंने आगे कहा कि छत्रपति शिवाजी को रायगढ़ किले में राजा के रूप में राज्याभिषेक किया गया था और फोर्ट कुलबा ने मराठा साम्राज्य के नौसैनिक अड्डे के रूप में सेवा की थी। उन्होंने मेघवाल से Archaeological Survey of India को यह सुनिश्चित करने का निर्देश देने के लिए कहा कि धार्मिक प्रथाओं के पुनरुद्धार के इरादे से किसी भी संरक्षित स्मारक के अंदर कोई निर्माण या नवीनीकरण नहीं हो।
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ऐसे में, केंद्र सरकार ने इस मुद्दे पर गंभीरता से संज्ञान लेने की कोशिश की है जबकि महाराष्ट्र की शिवसेना सरकार ने अपने ही संप्रभुता वाले क्षेत्र में मराठा के योद्धा और राजा छत्रपति शिवाजी महाराज एवं उनके युग में निर्मित रायगढ़ किले में हो रहे अवैध मस्जिद निर्माण पर मौन धारण कर लिया है। यह स्थिति शिवसेना के इस्लाम के प्रति लगाव और सत्ता लोभ की आड़ में इतिहास के साथ हो रहे छेड़छाड़ को बढ़ावा देती है, जोकि कतई स्वीकार्य नहीं है।