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भाजपा आज वही है जिसका अटल जी ने सपना देखा था

आज दुनिया की सबसे बड़ी पार्टी 42 वर्षों की हो गई है

Utkarsh Upadhyay द्वारा Utkarsh Upadhyay
6 April 2022
in राजनीति
भाजपा स्थापना

source- tfipost

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होने न होने का क्रम इसी तरह चलता रहेगा, हम हैं हम रहेंगे यह भ्रम भी सदा पलता रहेगा, भारत रत्न स्वर्गीय अटल बिहारी वाजपेयी के इस कथन को जीवन के हर मोड़ पर याद रखा जाए तो शायद अहंकार और हीन भावना का लेश मात्र भी अंश न आने पाए। भारतीय राजनीति में शुन्य से शिखर तक पहुंची भारतीय जनता पार्टी के 42वें स्थापना दिवस पर पूरे देश में भाजपा नेता, कार्यकर्त्ता और समर्थक इस दिन को इस बार धूमधाम से मना रहे हैं। 6 अप्रैल 1982 में बनी इस पार्टी को शुरुआत से ही हल्का मापा जाता था, चूंकि कांग्रेस उस समय अपने वर्चस्व को अजेय और अमर मानती थी तो भाजपा की तो उस समय उम्र ही क्या थी। ऐसे में आज भाजपा वही है जिसका अटल जी ने सपना देखा था और यह सपना कांग्रेस पार्टी के अहंकार को तोड़ पूरा हो पाया।

दरअसल, बीते 2 वर्षों से कोरोना के अत्यधिक प्रभाव के कारण भाजपा अपने स्थापना दिवस पर कोई भी बड़ा कार्यक्रम नहीं कर पा रही थी, और बीतें 2 वर्षों में इस समय तक कोई बड़ी उपलब्धि जैसे के चुनावी जीत या अन्य कोई प्रकल्प चलना कुछ भी नहीं हुआ था लेकिन इस वर्ष यह स्थापना दिवस और महत्वपूर्ण हो गया क्योंकि हाल ही में भाजपा ने देश के सबसे बड़े सूबे उत्तर प्रदेश समेत 4 राज्यों में पुनः सरकार बना ली है। 42वें स्थापना दिवस के अवसर पर पीएम नरेंद्र मोदी ने भाजपा कार्यकर्ताओं को संबोधित भी किया।

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शुरुआत

भाजपा संगठन दीनदयाल उपाध्याय के दर्शन और “एकात्म मानववाद” और “अंत्योदय” (सबसे गरीब लोगों के कल्याण) की विचारधाराओं से प्रेरणा लेता है और श्यामा प्रसाद मुखर्जी द्वारा प्रचारित “सांस्कृतिक राष्ट्रवाद” के विचार पर आधारित है। भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की स्थापना 1980 में आज ही के दिन हुई थी। श्यामा प्रसाद मुखर्जी द्वारा 1951 में स्थापित भारतीय जन संघ से इस नई पार्टी का जन्म हुआ। 1977 में आपातकाल की घोषणा के बाद जनसंघ का कई अन्य दलों से विलय हुआ और जनता पार्टी का उदय हुआ। पार्टी ने 1977 के आम चुनाव में कांग्रेस से सत्ता छीनी थी और 1980 में जनता पार्टी को भंग करके भारतीय जनता पार्टी की नींव रखी गई थी और ऐसे हुई भारतीय जनता पार्टी की उत्पत्ति।

अगर कोई आजादी के बाद से भारतीय चुनावी राजनीति में हुए सबसे बड़े विकास और लोकतांत्रिक परिवर्तन के बारे में पूछता है, तो वह भाजपा का उदय है। पार्टी 1980 के दशक में प्रमुखता से बढ़ी, जब कई क्षेत्रीय, वोट बैंक-आधारित दल और परिवार-आधारित दल भी अस्तित्व में आए। जब राष्ट्रवादी और विकासोन्मुखी राजनीति की बात आई तो भाजपा ने आशा का प्रतिनिधित्व किया और आज अंतर स्पष्ट है, बीजेपी दुनिया की सबसे बड़ी पार्टी है। निश्चित तौर पर यह पूर्व प्रधानमंत्री स्वर्गीय अटल बिहारी वाजपेयी के दृष्टिकोण के अनुरूप ही वैश्विक मंच पर भारत के उदय को बढ़ावा दे रहा है।

जिस पार्टी के पास कोई राजनीतिक विरासत न हो, उसे उस दौरान की कांग्रेस का सामना करना था। ऐसी स्थिति में, तत्कालीन भारतीय जनसंघ के उत्तराधिकारी के रूप में जब भाजपा की औपचारिक रूप से 1980 में स्थापना की गई थी उसके बाद 1984 में, अधिकांश राजनीतिक विश्लेषकों ने इसे खारिज कर दिया था। पार्टी ने संसदीय चुनावों में केवल दो सीटें जीतीं थीं- एक आंध्र प्रदेश से और एक गुजरात से। तब तत्कालीन प्रधानमंत्री राजीव गांधी ने भाजपा का मजाक उड़ाते हुए कहा था, “हम दो, हमारे दो (उस समय इस्तेमाल किया जाने वाला परिवार नियोजन नारा)।” हालांकि, केवल पांच साल बाद, भाजपा ने दिखाया कि हम से पंगा महंगा पड़ सकता है परिवारवाद पोषित पार्टी”। अगले लोकसभा चुनाव में भाजपा ने 85 सीटें जीती थीं, फिर भी वाम-प्रभुत्व वाले भाजपा का उपहास करते रहे और आज स्थिति यह है कि क्या कांग्रेस और क्या सीपीआई इन दोनों की स्थिति पर बात करना भी अब समय की बर्बादी है क्योंकि जिन्हें खुद के विचारों में स्पष्टता नहीं है उनके बारे में बात करना भी कोई समझदारी वाली बात नहीं हैं।

और पढ़ें- Modi 2.0: ये आर्थिक नीतियों के मामले में स्वतंत्र भारत में अब तक की सर्वश्रेष्ठ सरकार है

बीजेपी को ‘शहरी’ पार्टी होने या उत्तर और उत्तर-पश्चिमी भारत तक सीमित रहने वाली पार्टी होने के टैग का सामना करना पड़ता था। बहरहाल, भाजपा ने अपनी उपस्थिति का विस्तार जारी रखा और 1991 में 120 सीटों पर जीत हासिल की। बाद में, भाजपा ने पूर्व प्रधानमंत्री स्वर्गीय अटल बिहारी वाजपेयी के नेतृत्व में एक इंद्रधनुषी गठबंधन का नेतृत्व भी किया। हालांकि, पार्टी को अपने दम पर सरकार बनाने  पर विपक्षियों ने अट्टहास किया। फिर 1997 में एक संसदीय बहस के दौरान वाजपेयी ने भाजपा के लिए एक शानदार लक्ष्य हासिल करने की घोषणा की। जिसने सभी राजनीतिक पंडितों की सोच से परे उन्हें अचंभित कर दिया।

ऊंचाईयां

1997 में एक बहस के दौरान, तत्कालीन पीएम वाजपेयी ने कहा, “मेरे शब्दों को याद रखें, आज आप लोग (कांग्रेस) कम सांसद/विधायक होने के लिए हम पर हंस रहे हैं, लेकिन वह दिन आएगा जब हम पूरे भारत में अपनी सरकार बनाएंगे और उस दिन इस देश के लोग आप पर हंसेंगे और आपका मजाक उड़ाएंगे।”वाजपेयी ने पार्टी के अपने एजेंडे के साथ यह भी स्पष्ट कर दिया था कि वैश्विक स्तर पर भारत का कद मजबूत करना है, यही कारण है कि पोखरण परीक्षण को वरीयता देते हुए उस लक्ष्य को भी पूर्ण अटल बिहारी वाजपेयी के नेतृत्व में किया गया था जिसने वैश्विक स्तर पर भारत की छवि को मजबूत करने का काम किया था। भाजपा वाजपेयी के विकासोन्मुखी एजेंडे के अनुरूप काम करती रही। पार्टी के मूल एजेंडों जैसे धारा 370 को निरस्त करना, समान नागरिक संहिता (यूसीसी) को लागू करना और राम मंदिर का निर्माण इनमें से एक भी एजेंडे को कभी पीछे नहीं छोड़ा गया।

भाजपा एक-एक करके अपने मूल आदर्शों को प्राप्त कर रही है और इसी के परिणामस्वरूप आज इसे भारत की राजनीति में एक बेजोड़ पार्टी बना दिया है। और सत्य यही है कि भाजपा का अस्तित्व आज उन्हीं दीनदयाल, श्यामा प्रसाद और अटल के सिद्धांतों पर इस मुकाम तक पहुंचा है और आज की भाजपा वही है जिसका अटल जी ने कभी सपना देखा था।

और पढ़ें- जिनेवा से परमाणु परीक्षण तक: कहानी पीवी नरसिम्हा राव और अटल बिहारी वाजपेयी के मित्रता की

Tags: अटल बिहारी वाजपेयीनरेंद्र मोदीयोगी आदित्यनाथराजनाथ सिंह
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