आवेश में आकर कैसे स्वयं की ही फजीहत करायी जाती है यह कोई NDTV की रॉय दंपत्ति से सीखे। जब से भारतीय अरबपति गौतम अडानी ने NDTV समूह में हिस्सेदारी की घोषणा की है मानो पूरा का पूरा NDTV ही सदमे में चला गया है, उनके पैरों तले से तो जमीन ही खिसक गयी है। NDTV अडानी के हाथों में जाने से बचने के लिए सारे हाथ-पैर मार रहा है। परंतु लगता है कि इस बार NDTV का पाला गलत व्यक्ति से पड़ गया है क्योंकि गौतम अडानी को रोकने का उनका हर दांव उल्टा पड़ रहा है।
इस लेख में हम जानेंगे कि कैसे अडानी को बाहर करने के लिए रॉय दंपत्ति कोर्ट गए लेकिन उनका यह कदम उन पर ही भारी पड़ गया।
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नये-नये अड़ंगा डालने के प्रयास में है NDTV
दरअसल, देश के संसाधनों का उपयोग कर देश विरोधी एजेंडे को संचालित करने वाला NDTV का जब से अडानीकरण हुआ है, पूरा का पूरा समूह ही हैरान परेशान है। वो अडानी के अधिग्रहण को रोकने के लिए हर संभव प्रयास कर रहा है। अधिग्रहण से बचने के लिए NDTV कभी बाजार नियामक सेबी (SEBI) की दुहाई तो कभी आयकर विभाग का हवाला देकर अधिग्रहण में नये-नये अड़ंगा डालने के प्रयास कर रहा है।
हालांकि अब आयकर विभाग के हाथों भी NDTV को निराशा ही हाथ लगी, क्योंकि अडानी के अधिग्रहण को रोकने की उसकी यह चाल भी बेअसर साबित होती नजर आ रही है। दरअसल, आयकर विभाग की तरफ से यह स्पष्ट कर दिया गया है कि NDTV की प्रमोटर ग्रुप फर्म RRPR होल्डिंग को VCPL को दिए गए वारंट्स को इक्विटी शेयर में बदलने के लिए उसकी तरफ से हरी झंडी लेने की आवश्यकता नहीं है।
इससे पहले NDTV द्वारा कहा गया था कि अडानी ग्रुप द्वारा खरीदी गयी बड़ी हिस्सेदारी के लिए भारतीय टैक्स अथॉरिटीज से मंजूरी की आवश्यकता होगी। दरअसल, 2017 में प्रणय रॉय और राधिका रॉय को आयकर विभाग ने अपने टैक्स के पुनर्मूल्यांकन के एक हिस्से के तौर पर अपनी हिस्सेदारी बेचने से प्रतिबंधित कर दिया था। इसका हवाला देकर ही NDTV ने अडानी के अधिग्रहण में बाधा उत्पन्न करने के प्रयास किए।
परंतु अडानी समूह द्वारा पहले ही यह कह दिया गया था कि VCPL ने उसे बता दिया कि आयकर विभाग के आदेश केवल NDTV में RRPR होल्डिंग प्राइवेट लिमिटेड के शेयरों पर लागू होते हैं और इससे किसी भी तरह VCPL को इक्विटी शेयरों का आवंटन प्रतिबंधित नहीं होता है। NDTV की दलीलों के बाद VCPL ने आयकर विभाग को पूरे मामले पर अपना रूख स्पष्ट करने के लिए एक पत्र भी लिखा। VCPL के अनुसार आयकर विभाग ने अपने जवाब में कहा है कि वारंट को हिस्सेदारी में बदलने में इस तरह का कोई प्रतिबंध लागू नहीं होता है। इसके बाद यह स्पष्ट हो गया कि आयकर विभाग का हवाला देकर भी NDTV द्वारा अडानी के अधिग्रहण को रोका नहीं जा सकता है।
यहां यह जान लें कि 23 अगस्त को विश्व के तीसरे सबसे धनी व्यक्ति ने अचानक NDTV का अधिग्रहण कर हर किसी को चौंका दिया था। अडानी द्वारा VCPL के माध्यम से NDTV के 29.18 फीसदी की बड़ी हिस्सेदारी खरीदने का ऐलान किया गया था। हालांकि अडानी समूह यहीं पर नहीं थमने वाला है, इसके अतिरिक्त उसने तो NDTV की 26 फीसदी हिस्सेदारी खरीदने के लिए ओपन ऑफर लाने को कहा था। यदि इसमें वो सफल रहते हैं तो NDTV में उनकी कुल हिस्सेदारी लगभग 56 प्रतिशत तक हो जाएगी। बता दें कि VCPL अब अडानी ग्रुप की कंपनी है, वहीं RRPR होल्डिंग NDTV की प्रमोटर है यानी NDTV पर गौतम अडानी अपना बड़ा कब्जा जमाने की तैयारी में हैं।
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NDTV के सारे प्रयास विफल
अडानी के अधिग्रहण के विरुद्ध NDTV ने साम दाम दंड भेद यानी हर प्रकार से रोकने के प्रयास में है। जब अचानक यह खबर आयी थी कि अडानी ने NDTV की बड़ी हिस्सेदारी खरीद ली है, तो पहले ही दिन NDTV द्वारा कहा गया था कि इसके बारे में उसे ही कोई जानकारी नहीं थी। NDTV ने दावा किया कि उसके संस्थापकों प्रणय रॉय और राधिका रॉय से इस बारे में कोई बातचीत नहीं हुई और न ही इसको लेकर उनसे सहमति ली गई। बता दें कि NDTV में रॉय दंपत्ति की हिस्सेदारी 32.26 फीसदी है।
इस डील में अड़ंगा डालने के लिए रॉय दंपत्ति पर सेबी द्वारा लगाए गए 2 वर्षों के प्रतिबंध की दलील दी गई थी, परंतु यह चाल भी उसकी चल नहीं पा रही, तो अब वो आयकर विभाग के माध्यम से इस डील को रोकने के प्रयासों में जुट गया। लेकिन उसका यह दांव भी फेल होता नजर आ रहा है।
इससे स्पष्ट हो जाता है कि NDTV अब कुछ भी करके अडानी को तो रोक नहीं सकता। परंतु वो ऐसा कर अपनी फजीहत अवश्य करा रहा है और स्वयं ही अपने काले चिट्ठे सबके सामने खोल रहा है। खैर, इस पूरे घटनाक्रम से तो यह साफ दिखता है कि NDTV के मालिक का खेल खत्म होने वाला है।
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