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मैथिलीशरण गुप्त का जन्म : साहित्यिक परिचय

Trending News Team द्वारा Trending News Team
10 October 2022
in मुझे हिंदी में खबर बताओ
Maithili sharan gupt
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मैथिलीशरण गुप्त का जन्म : साहित्यिक परिचय

स्वागत है आपका आज के इस लेख में हम जानेंगे की मैथिलीशरण गुप्त के बारे में साथ ही इससे जुड़े कुछ तथ्यों के बारें में भी चर्चा की जाएगी अतः आपसे निवेदन है कि यह लेख अंत तक जरूर पढ़ें.

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राष्ट्रकवि मैथिलीशरण गुप्त का जन्म झांसी जिले के चिरगांव नामक स्थान पर 1886 ई. में हुआ था। इनके पिता जी का नाम सेठ रामचरण गुप्त और माता का नाम काशीबाई था। इनके पिता को हिंदी साहित्य से विशेष प्रेम था, गुप्त जी पर अपने पिता का पूर्ण प्रभाव पड़ा। इनकी प्राथमिक शिक्षा चिरगांव तथा माध्यमिक शिक्षा मैकडोनल हाईस्कूल (झांसी) से हुई। घर पर ही अंग्रेजी, बंगला, संस्कृत एवं हिंदी का अध्ययन करने वाली गुप्त जी की प्रारंभिक रचनाएं कोलकाता से प्रकाशित होने वाले वैश्योपकारक नामक पत्र में छपती थी। आचार्य महावीर प्रसाद द्विवेदी जी के संपर्क में आने पर उनके आदेश, उपदेश एवं स्नेहमय परामर्श से इनके काम में पर्याप्त निखार आया। भारत सरकार ने इन्हें पदमभूषण से सम्मानित किया। 12 दिसंबर 1964 को मां भारती का सच्चा सपूत सदा के लिए पंचतत्व में विलीन हो गया।

शिक्षा –

मैथिलीशरण गुप्त की प्रारम्भिक शिक्षा चिरगाँव, झाँसी के राजकीय विद्यालय में हुई। प्रारंभिक शिक्षा समाप्त करने के उपरान्त गुप्त जी झाँसी के मेकडॉनल हाईस्कूल में अंग्रेज़ी पढ़ने के लिए भेजे गए, पर वहाँ इनका मन न लगा और दो वर्ष पश्चात् ही घर पर इनकी शिक्षा का प्रबंध किया। लेकिन पढ़ने की अपेक्षा इन्हें चकई फिराना और पतंग उड़ाना अधिक पसंद था। फिर भी इन्होंने घर पर ही संस्कृत, हिन्दी तथा बांग्ला साहित्य का व्यापक अध्ययन किया |

विवाह 

उनका विवाह 1895 में श्रीमती सरजू देवी से हुआ था। उनके बेटे का नाम उर्मिल चरण गुप्ता है। और सियारामचन्द्र गुप्ता उनके एक रिश्तेदार थे । नेपाली शरण गुप्त दीवान शत्रुधन सिंह के शिक्षक भी रह चुके हैं।

साहित्यिक परिचय

खड़ी बोली के स्वरूप के निर्धारण एवं विकास में अपना महत्वपूर्ण योगदान दिया। गुप्ता जी की प्रारंभिक रचनाओं में इतिवृत्त कथन की अधिकता है। किंतु बाद की रचनाओं में लाक्षणिक वैचित्र्य एवं सुक्ष्म मनोभावों की मार्मिक अभिव्यक्ति हुई है। गुप्त जी ने अपनी रचनाओं में प्रबंध के अंदर गीतिकाव्य का समावेश कर उन्हें उत्कृष्टता प्रदान की है। गुप्ता जी की चरित्र कल्पना में कहीं भी अलौकिकता के लिए स्थान नहीं है। इनके सारे चरित्र मानव हैं उनमें देव एवं दानव नहीं है। इनके राम,कृष्ण, गौतम आदि सभी प्राचीन और चिरकाल से हमारी श्रद्धा प्राप्त किए हुए पात्र हैं।

साहित्यिक कार्य  

बाल्यावस्था में उन्हें स्कूल जाना पसंद नही था, इसीलिए उनके पिता ने उन्हें घर पर ही पढ़ाने का इंतजाम कर रखा था। बाल्यावस्था में संस्कृत, इंग्लिश और बंगाली का अभ्यास किया था। उस समय महावीर प्रसाद द्विवेदी उनके विश्वसनीय सलाहकार थे। बहुत सी पत्रिकाओ में हिंदी कविताए लिखकर गुप्त ने हिंदी साहित्य में प्रवेश किया था, जिनमे सरस्वती भी शामिल है। 1910 में उनका पहला मुख्य कार्य, रंग में भंग था जिसे इंडियन प्रेस ने पब्लिश किया था। इसके बाद भारत-भारती की रचना के साथ ही उनकी राष्ट्रिय कविताए भारतीयों के बीच काफी प्रसिद्ध हुई, साथ ही जो भारतीय आज़ादी के लिए संघर्ष कर रहे थे उनके लिए भी यह कविताए काफी प्रेरनादायी साबित हुई।

मैथिली शरण गुप्त का साहित्यिक–

  • मैथिली शरण गुप्त ने औपचारिक स्कूली शिक्षा नहीं ली थी, लेकिन हिंदी साहित्य में उनका एक बहुत ही बढ़िया करियर था, जिसका मुख्य कारण हिंदी भाषा में उनकी मजबूत थी ।
  • मैथिली शरण गुप्त के साहित्यिक जीवन की शुरुआत सरस्वती जैसी लोकप्रिय हिंदी पत्रिकाओं के लिए कविताएँ लिखने से हुई।
  • बारह साल की उम्र में उन्होंने कविताएं लिखना शुरू कर दिया था। उन्होंने सरस्वती सहित विभिन्न पत्रिकाओं में कविताएँ लिखकर हिंदी साहित्य में कदम रखा।
  • साल 1910 में भारतीय प्रेस द्वारा ‘रंग में भंग’ के प्रकाशन के बाद मैथिली शरण गुप्त ने जनता के बीच सफलता का पहला स्वाद अनुभव किया।

मैथिली शरण गुप्त का राजनैतिक करियर  –

  • मैथिली शरण गुप्त का भी स्वतंत्रता के बाद भारत की राजनीति में एक संक्षिप्त कैरियर रहा।
  • अगस्त 1947 में भारत को स्वतंत्रता मिलने के कुछ समय बाद, मैथिली शरण गुप्त को भारतीय संसद में राज्य सभा का मानद सदस्य नियुक्त किया गया।
  • राज्यसभा में अपने कार्यकाल के दौरान भी, मैथिली शरण गुप्त ने लिखना बंद नहीं किया।

मैथिलीशरण गुप्त की रचनाएं  –

  • यशोधरा
  • रंग में भंग
  • साकेत
  • भारत भारती
  • पंचवटी

पुरस्कार –

  • इलाहाबाद विश्वविद्यालय से इन्हें डी. लिट की उपाधि प्राप्त हुई थी।
  • सन 1952 में गुप्त जी राज्यसभा में सदस्य के लिए मनोनीत भी हुए थे।
  • 1954 में उन्हें पद्म भूषण सम्मान से सम्मानित किया गया था।

मैथिली शरण गुप्त का निधन  –

मैथिली शरण गुप्त ने 12 दिसंबर 1964 को अंतिम सांस ली। मृत्यु के समय उनकी आयु 78 वर्ष थी।

FAQ

Ques- मैथिलीशरण गुप्त की प्रथम पुस्तक कौन सी है?

Ans- मैथिलीशरण गुप्त की प्रथम पुस्तक “रंग में भंग” प्रकाशित हुई थी ।

Ques- मैथिलीशरण गुप्त को राष्ट्रकवि क्यों कहा जाता है?

Ans-  उनकी कृति भारत-भारती (1912) भारत के स्वतन्त्रता संग्राम के समय में काफी प्रभावशाली सिद्ध हुई थी और इसी कारण महात्मा गांधी ने उन्हें ‘राष्ट्रकवि’ की पदवी भी दी थी

Ques- मैथिली शरण गुप्त जी का जन्म कहाँ हुआ था?

Ans- मैथिली शरण गुप्त का जन्म 3 अगस्त 1886 को झांसी के चिरगांव में हुआ था।

Ques- भारत का राष्ट्रीय कवि कौन है?

Ans- मैथिलीशरण गुप्त

Ques- मैथिलीशरण गुप्त के माता-पिता का क्या नाम था?

Ans- उनके पिता का नाम रामचरण गुप्त और माता का नाम काशीबाई गुप्त था।

Ques- साकेत किसकी रचना है?

Ans- मैथिलीशरण गुप्त की

आशा करते है कि मैथिलीशरण गुप्त के बारे में सम्बंधित यह लेख आपको पसंद आएगा एवं ऐसे ही रोचक लेख एवं देश विदेश की न्यूज़ पढ़ने के लिए हमसे फेसबुक के माध्यम से जुड़े।

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