नरेंद्र मोदी सरकार के नेतृत्व में भारत विश्व पटल पर हर रोज नए कीर्तिमान स्थापित कर रहा हैं। आज हर क्षेत्र में भारत सभी देशों से आगे निकलने के प्रयास में जुटा हुआ है और इसके परिणाम देखने को मिलते ही रहते हैं। रूस-यूक्रेन युद्ध ने दुनिया के सामने कई प्रकार की समस्याएं आकर खड़ी हो गयी, जिसमें तमाम देशों ने किसी एक पक्ष को चुना और उसका समर्थन किया। परंतु भारत ने न तो रूस का आधिकारिक रूप से समर्थन किया और न ही यूक्रेन का। इस दौरान बीच का रास्ता अपनाते हुए भारत ने जो चुना वो था ‘भारतीय पक्ष’। इस लेख में हम जानेंगे कि कैसे रूस के साथ तेल व्यापार ने भारत के विदेशी व्यापार (India oil export) को पूरी तरह से बदलकर रख दिया?
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“भारत में पेट्रोल की कीमतें सबसे कम”
रूस-यूक्रेन युद्ध के दौरान जिस तरह से पश्चिमी देश रूस के पीछे पड़ गए, भारत ने ऐसा नहीं किया और उसके साथ अपने मित्रतापूर्ण संबंधों को बरकरार रखा। जैसे भारत ने रूस का साथ दिया वैसे ही रूस भी भारत के लिए खड़ा रहा। पश्चिमी देशों के दबावों के बाद भी भारत ने रूस से तेल खरीदना बंद नहीं किया। भारत ने अपने हित में निर्णय लिया, जिसका परिणाम यह निकला कि अन्य देशों की तुलना में भारत में पेट्रोल की कीमतें सबसे कम रही। इसकी जानकारी हाल ही में केंद्रीय पेट्रोलियम मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने संसद में दी।
हरदीप सिंह पुरी ने बताया कि वैश्विक बाजार में कच्चे तेल की कीमतों में तेजी होने के बाद भी अन्य देशों की तुलना में भारत में पेट्रोल की कीमतें सबसे कम कीमतो में मिल रहा है। साल 2021-2022 के बीच भारत में पेट्रोल की कीमतों में केवल 2 फीसदी की वृद्धि देखने को मिली है। हालांकि, इस दौरान अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कीमतों में भारी बढ़ोतरी हुई।
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बड़े स्तर पर निर्यात कर रहा है भारत
इसके जरिए न केवल भारत सरकार ने अपने देश के लोगों लाभ पहुंचाया। इसके साथ ही भारत ने तेल से जुड़े उत्पादों का बड़े स्तर पर निर्यात (India oil export) करना भी शुरू कर दिया। जी हां, एक तरफ तो भारत ने रूस से सस्ता तेल खरीदा और धड़ल्ले से अन्य देशों को बेचने लगा। इस वर्ष भारत का निर्यात ग्राफ बदल रहा है। वाणिज्य विभाग के पास उपलब्ध आंकड़ों के अनुसार नीदरलैंड भारत का तीसरा सबसे बड़ा पेट्रोलियम प्रोडक्ट आयात करने वाला देश है। बीते साल के मुकाबले भारत और नीदरलैंड के बीच पेट्रोलियम प्रोडक्ट्स का निर्यात काफी ज्यादा बढ़ गया है।
साल 2021 की तुलना में इस साल भारत ने नीदरलैंड को 10.4 बिलियन डॉलर का पेट्रोलियम प्रोडक्ट एक्सपोर्ट (India oil export) यानी निर्यात किया है। यही आंकड़ा साल 2021 में 5.7 बिलियन डॉलर का था। अप्रैल से अक्टूबर माह के दौरान अमेरिका और यूएई के बाद अब नीदरलैंड ने भारत से सबसे अधिक पेट्रोलियम प्रोडक्ट्स खरीदा है। वहीं इसके अलावा बात ब्राजील की करें तो जो पिछले साल 20वें स्थान पर थे, वो इस साल इस मामले में आठवें नंबर पर आ गया है।
तेल व्यापार ने बदली परिस्थितियां
वाणिज्य विभाग के द्वारा जारी आंकड़ों के अनुसार, इस साल भारत का एक्सपोर्ट बढ़ता दिखता है। भारत ने रूस से सस्ता तेल खरीदकर लगातार निर्यात (India oil export) में बढ़ोतरी कर रहा है। अप्रैल से अक्टूबर के दौरान भारत के एक्सपोर्ट पर एक बार नजर डालें तो नीदरलैंड को 10.4 बिलियन डॉलर का एक्पोर्ट किया जा चुका है। वहीं ब्राजील को 6.3 बिलियन डॉलर का, इंडोनेशिया को 6 बिलियन डॉलर, साउथ अफ्रीका को 5.5 बिलियन डॉलर, फ्रांस को 4.4 बिलियन डॉलर, इजराइल को 4 बिलियन डॉलर, नाइजीरिया को 3.4 बिलियन डॉलर, तंजानिया को 2.4 बिलियन डॉलर का निर्यात किया है।
अप्रैल-अक्टूबर के बीच भारत का कुल पेट्रोल एक्सपोर्ट 12.5 फीसदी से बढ़कर 263 बिलियन डॉलर तक जा पहुंचा है। वहीं तेल के एक्सपोर्ट में 70 फीसदी तक की वृद्धि देखने को मिली है। सबसे अधिक तेल निर्यात में नीदरलैंड, ब्राजील, तंजानिया, टोगो, इजराइल और ओमान के साथ बढ़ गया है।
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रुपये में व्यापार करने के लिए उत्सुक कई देश
देखा जाये तो युद्ध के दौरान भी जिस तरह से दुनिया के बारे में सोचे बिना रूस के साथ अपने संबंधों को कायम रखा, उससे भारत को कई तरह से लाभ मिला। इसका एक फायदा ये भी दिख रहा है कि इस दौरान कई देश भारत के साथ भारतीय रुपये में व्यापार करने को उत्साहित होते हुए दिखने लगे। रूस और यूक्रेन के बीच युद्ध ने दुनिया को कई सबक सिखाए हैं। जिसमें एक सबक यह भी है कि हमें किसी भी चीज के लिए एक देश पर पूरी तरह से निर्भर नहीं होना चाहिए। अभी तक किसी का काम भले ही डॉलर के बिना नहीं चलता। अंतरराष्ट्रीय व्यापार में हर चीज खरीदने के लिए डॉलर की आवश्यकता पड़ती है। परंतु अब कई देश मिलकर डॉलर का विकल्प तलाशने की तैयारी में जुटे हुए है। इनमें भारत और रूस भी शामिल हैं। भारत और रूस स्वयं को डॉलर मुक्त बनाने के लिए काफी समय से रुपये और रुबल में निरंतर व्यापार करने के प्रयासों में जुटे हैं। रूस के साथ ही कई अन्य देशों के साथ भारतीय रुपये में व्यापार करने की चर्चा चल रही हैं।
हाल ही में विदेशी मीडिया में ऐसी खबरें सामने आयी है जिसमें श्रीलंका भारतीय रुपये में व्यापार करने यानी की ट्रेड करने वाले देशों की लिस्ट में पहला देश होने वाला है। मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, पड़ोसी देश के बैंकों ने वोस्ट्रो अकाउंट्स खोल दिए हैं। इस खाते के माध्यम से रुपये ट्रेडिंग की जा सकती है। सेंट्रल बैंक ऑफ श्रीलंका का इस पर कहना है कि यह भारतीय रुपये (INR) को श्रीलंका में एक विदेशी मुद्रा के रूप में नामित करने के लिए बैंक श्रीलंका के रिजर्व बैंक के अनुमति का इंतेजार कर रहा है। अगर ऐसा होता है तो, श्रीलंका और भारतीय नागरिक एक दूसरे के साथ किसी भी अंतरराष्ट्रीय लेनदेन के लिए अमेरिकी डॉलर के जगह पर रुपये का उपयोग कर सकेंगे।
देखा जाये तो जुलाई 2022 से ही भारत सरकार डॉलर की कमी वाले देशों को अपने रुपये सेटलमेंट मैकेनिज्म में लाने के प्रयासों में जुटी हुई हैं। RBI ने भारतीय रुपये ट्रेड सेटलमेंट मैकेनिज्म के माध्यम से श्रीलंका के साथ व्यापार करने के लिए बैंकों को पांच विशेष रुपया व्यापार खाते खोलने की मंजूरी दी है, जिन्हें वोस्त्रो खाते भी कहते हैं। केवल इतना है रूस के साथ व्यापार के लिए 12 और मॉरीशस के साथ व्यापार के लिए एक और खाते को भारत के सेंट्रल बैंक द्वारा भी मंजूरी दी गई है।
रिपोर्टों से संकेत मिलता है कि कम से कम 35 देशों ने भारत के रुपया व्यापार तंत्र में अपनी दिलचस्पी दिखाई है। बेलारूस, ताजिकिस्तान, क्यूबा, और सूडान समेत कई देश पहले से ही भारत के साथ बातचीत कर रहे हैं। वहीं भारतीय रिजर्व बैंक के द्वारा तीसरे सबसे बड़े व्यापारिक भागीदार संयुक्त अरब अमीरात के साथ भारतीय रुपये में ट्रेड सेटलमेंट के लिए एक कॉन्सेप्ट पेपर भी तैयार किया है। इसको लेकर यूएई में भारत के राजदूत संजय सुधीर ने कहा है कि संयुक्त अरब अमीरात का सेंट्रल बैंक इस मामले को देख रहा है। मैकेनिज्म को संचालित करने के लिए RBI के अधिकारियों के साथ चर्चा की जा रही है।
इससे स्पष्ट तौर पर देखने मिलता है कि भारत जिसने तमाम धमकियों के बाद भी रूस से तेल खरीदना बंद नहीं किया, उससे हर तरह से उसे लाभ ही हुआ है। रूस के साथ तेल व्यापार ने भारत ने एक साथ कई मोर्चों पर बढ़त बनाने की कोशिश कर रहा है।
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