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बूंद-बूंद के लिए तरस रहा भारत का यह शहर, IT हब के लिए है प्रसिद्ध

गर्मी शुरू होने से पहले ही कर्नाटक की राजधानी बेंगलुरु में पीने के पानी का अकाल नजर आ रहा है। लाखों लोग यहां पीने के साफ पानी की कमी की परेशानी का सामना कर रहे हैं।

Akash Gaur द्वारा Akash Gaur
12 March 2024
in चर्चित
बेंगलुरु, बेंगलुरु जल संकट, जल संकट, कर्नाटक
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गर्मी शुरू होने से पहले ही कर्नाटक की राजधानी बेंगलुरु में पीने के पानी का अकाल नजर आ रहा है। लाखों लोग यहां पीने के साफ पानी की कमी की परेशानी का सामना कर रहे हैं। इसको लेकर सरकार की ओर से सभी प्रयास किए जा रहे हैं। 

बेंगलुरु जल आपूर्ति और सीवरेज बोर्ड के अध्यक्ष ने कहा कि सभी को पानी मुहैया कराने का लगातार प्रयास किया जा रहा है। इसी को देखते हुए बेंगलुरु निवासियों ने प्रशासन से शहर में मानसून आने तक पानी बचाने के लिए काम करने वाले लोगों के लिए वर्क-फ्रॉम-होम (WFH) और छात्रों के लिए ऑनलाइन क्लास की मांग की है। 

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मुख्यमंत्री सिद्धारमैया से किया गया अनुरोध

इस बीच, आईटी कंपनियों के लिए घर से काम करना अनिवार्य बनाने और स्कूलों को ऑनलाइन क्लास करने की अनुमति देने के लिए सोशल मीडिया के माध्यम से कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया से कई अनुरोध किए गए हैं। बेंगलुरुवासियों और विभिन्न निवासी समूहों ने कहा है कि अगर ऑनलाइन कार्य मॉडल ने COVID-19 महामारी के दौरान काम किया तो यह जल संकट के दौरान भी काम करेगा।

वहीं, इस संकट को देख वॉटर टैंकर ऑपरेटर स्थितियों का फायदा उठाने में जुट गए हैं। पहले जिस 1000 लीटर पानी के टैंकर की कीमत 600-800 रुपये के बीच थी। वही, अब 2,000 रुपये से ज्‍यादा हो गई है। 

इसने कोरोना महामारी के समय ऑक्‍सीजन सिलेंडर की किल्‍लत की याद दिला दी है। उस वक्‍त अचानक हजारों रुपये में ऑक्‍सीजन सिलेंडर बिकने लगा था। लोग अपनी जान बचाने के लिए कोई भी कीमत देने को तैयार थे। बेंगलुरु में ऐसी स्थिति से लोग परेशान हैं। 

और पढ़ें:- भारत ने किया परमाणु क्षमता संपन्न अग्नि-5 का सफल परीक्षण

बेंगलुरु में भीषण जल संकट क्यों? 

पर्याप्त बारिश न होने के कारण कावेरी नदी के जल स्तर में काफी गिरावट आई है। इससे पेयजल आपूर्ति और कृषि सिंचाई दोनों पर प्रतिकूल असर पड़ा है। इसके अलावा बोरवेलों ने स्थिति और गंभीर की है। कर्नाटक के डिप्टी सीएम डीके शिवकुमार ने कहा है – ‘सभी बोरवेलों में से लगभग 3,000, सूखे हैं।’

यह कितना गंभीर है?

रेजिडेंट वेलफेयर एसोसिएशंस ने अपने इलाकों में पानी की राशनिंग शुरू कर दी है। वाहन धोने और स्विमिंग पूल एक्टिविटीज पर पूर्ण प्रतिबंध लगा दिया है। कुछ रेजिडेंशियल एन्‍क्‍लेव ने अपने निवासियों से हाथ और मुंह धोने के लिए डिस्पोजेबल कटलरी और वेट वाइप्‍स का इस्तेमाल करने के बारे में कहा है। 

कुछ अन्य आरडब्ल्यूए ने निवासियों से पानी के दुरुपयोग पर नजर रखने के साथ सुरक्षा कर्मी तैनात किए हैं। चेतावनी दी है कि जो निवासी पानी की खपत को 20% तक कम नहीं करेंगे, उनसे अतिरिक्त 5,000 रुपये का शुल्क लिया जाएगा।

सप्‍लाई की स्थिति क्या है? 

पिछले कुछ दिनों से बेंगलुरु जल आपूर्ति और सीवरेज बोर्ड (BWSSB) से पानी की सप्‍लाई व्यावहारिक रूप से बंद होने के कारण हाउसिंग सोसायटी और घर बोरवेल पर निर्भर हैं। लेकिन, शिवकुमार ने कहा, ‘हमारे रिकॉर्ड में 16,781 बोरवेल में से 6,997 बोरवेल सूख गए हैं। बाकी 7,784 बोरवेल चालू हैं। सरकार नए बोरवेल खोदेगी।’

बेंगलुरु इतना सूखा क्यों? 

  1. खराब प्रबंधन: परंपरागत रूप से कावेरी और स्थानीय झीलें बेंगलुरु को अच्छी तरह से हाइड्रेटेड रखती हैं। रिकॉर्ड बताते हैं कि 1961 तक यहां कम से कम 262 झीलें थीं। अब केवल 81 हैं। इनमें से केवल 33 को ‘जीवित’ के रूप में पहचाना जाता है। बाकी को शहरी फैलाव की भेंट चढ़ा दिया गया है।
  2. कम बारिश: पिछले दो मानसून सीजन कमजोर थे। इससे कावेरी नदी में जल स्तर कम हो गया, जो बेंगलुरु की पीने और सिंचाई की जरूरतों के लिए पानी का प्राथमिक स्रोत है।
  3. घटता भूजल: बोरवेलों पर अत्यधिक निर्भरता ने बेंगलुरु में भूजल स्तर को कम कर दिया है। लगातार खराब मानसून के कारण ये बोरवेल सूख गए हैं।
  4. इंफ्रास्‍ट्रक्‍चर से जुड़े मसले: बेंगलुरु का जल आपूर्ति इंफ्रास्‍ट्रक्‍चर पुराना हो रहा है। बढ़ती मांग को पूरा करने के लिए यह नाकाफी साबित हो रहा है।
  5. पानी की क‍ितनी जरूरत: बेंगलुरु को प्रतिदिन लगभग 1,850 मिलियन लीटर (एमएलडी) पानी उपलब्ध है। लेकिन, अपनी पानी की जरूरतों को पूरा करने के लिए कम से कम 1,680 एमएलडी और पानी की जरूरत है।

IMD का कहना है, अल नीनो प्रभाव

कर्नाटक, 2023 में कम बारिश के कारण हाल के वर्षों में सबसे खराब जल संकट का सामना कर रहा है। भारतीय मौसम विज्ञान विभाग (आईएमडी) ने कम बारिश के लिए अल नीनो प्रभाव को जिम्मेदार ठहराया है।

आईएमडी के वैज्ञानिक ए प्रसाद के मुताबिक, पिछले साल अल नीनो प्रभाव था, जो इस साल भी मध्यम है लेकिन इसमें गिरावट की संभावना है। उन्होंने बताया कि इसका प्रभाव फरवरी के तीसरे और चौथे सप्ताह में गर्मियों की शुरुआत के रूप में स्पष्ट था, जो अन्यथा केवल मार्च में बेंगलुरु में होता है।

राज्य सरकार द्वारा 10 फरवरी तक किए गए आकलन के अनुसार, इस साल गर्मी अधिक होने की आशंका है, जिससे कर्नाटक भर के लगभग 7,082 गांव और बेंगलुरु शहरी जिले सहित 1,193 वार्ड आने वाले महीनों में पेयजल संकट की चपेट में हैं।

सूखती हुई झीलों को फिर से पानी से भरें

बेंगलुरु में नागरिक अधिकारियों ने शहर में भूजल स्रोतों को फिर से भरने के लिए सूखी झीलों को प्रति दिन 1,300 मिलियन लीटर उपचारित पानी से भरने का फैसला किया है, जहां लगभग 50 प्रतिशत बोरवेल सूख गए हैं।

बेंगलुरु जल आपूर्ति और सीवरेज बोर्ड (बीडब्ल्यूएसएसबी) के एक अधिकारी ने कहा कि स्थिति गंभीर है क्योंकि मांड्या जिले में कृष्णराज सागर बांध, जहां से बेंगलुरु को कावेरी जल की आपूर्ति की जाती है, गर्मी के कारण पर्याप्त पानी नहीं है।

घबराएं नहीं, बीडब्लूएसएसबी का कहना है

बेंगलुरु जल आपूर्ति और सीवरेज बोर्ड (बीडब्ल्यूएसएसबी) के अध्यक्ष रामप्रसाथ मनोहर ने रविवार को कहा कि बोर्ड के पास जुलाई महीने तक शहर और इसके बाहरी इलाकों में आपूर्ति के लिए पर्याप्त पानी है। बोर्ड की ओर से यह स्पष्टीकरण उन खबरों के बीच आया है कि सिलिकॉन सिटी को आने वाले दिनों में पेयजल संकट का सामना करना पड़ सकता है।

200 नए बोरवेल

बोर्ड ने 200 बोरवेल खोदने की हरी झंडी दे दी है। वर्तमान में कावेरी पांचवें चरण की परियोजना अधूरी है, हाल ही में शहर में शामिल किए गए 110 गांवों में केवल 40,000 बीडब्ल्यूएसएसबी जल कनेक्शन की आपूर्ति की जा सकती है। इस गंभीर समस्या को हल करने के लिए, बोर्ड ने सबसे अधिक जरूरतमंद क्षेत्रों में मुफ्त पानी पहुंचाने के लिए 79 टैंकर जुटाए हैं।

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