BJP के साथ रिश्तों में आई कड़वाहट को भुलाते हुए राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ (RSS) फिर से मैदान सँभालने की तैयारी में है. सोमवार 29 जुलाई को आरएसएस – भाजपा की समन्वय बैठक बुलाई गई है. बैठक में आगामी हरियाणा विधानसभा चुनाव की तैयारियों पर मैराथन मंथन होगा. लोकसभा चुनाव के दौरान संघ पर भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा के विवादित बयान से संघ – भाजपा के बीच रिश्तों में बढ़ी कड़वाहट के बाद अधिकारिक तौर पर दोनों संगठनों की यह औपचारिक समन्वय बैठक है. जिसमें संघ के शीर्ष अधिकारी और भाजपा के वरिष्ठ नेता शामिल होंगे.
संघ सूत्रों के अनुसार सोमवार को होने वाली समन्वय बैठक 11 अशोक रोड पर शाम 6 बजे होनी है. यह परिसर पहले भाजपा मुख्यालय होता था. लेकिन भाजपा का नया मुख्यालय दिल्ली के दीन दयाल उपाध्याय मार्ग पर बन जाने के बाद 11 अशोक रोड से अभी पार्टी का वार रूम संचालित होता है.
समन्वय बैठक में संघ की ओर से भाजपा का कार्य देख रहे आरएसएस सह सरकार्यवाह अरुण कुमार, उत्तर क्षेत्र के संघचालक, हरियाणा प्रान्त के प्रान्त संघचालक और प्रान्त प्रचारक के साथ अन्य प्रमुख अधिकारी शामिल होंगे. जबकि BJP की ओर से राष्ट्रीय संगठन महामंत्री बीएल संतोष, मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी, हरियाणा चुनाव प्रभारी एंव केंद्रीय मंत्री धर्मेन्द्र प्रधान, सह प्रभारी बिप्लब देब, केंद्रीय मंत्री मनोहर लाल खट्टर, प्रदेश भाजपा अध्यक्ष मोहन लाल बड़ोली और संगठन महामंत्री फनिंन्द्रनाथ शामिल रहेंगे.
दरअसल हरियाणा विधानसभा का चुनाव संघ – BJP दोनों के लिए अहम है. इसलिए RSS ने भाजपा के साथ रिश्तों की कड़वाहट को भुलाते हुए परदे के पीछे से बीजेपी के लिए मैदान सँभालने का निर्णय लिया है.
एंटी इनकम्बेंसी और जातीय समीकरण साधने की बनेगी रणनीति!
सूत्रों के मुताबिक सोमवार को होने वाली RSS- भाजपा की समन्वय बैठक में RSS BJP द्वारा चलाये जा रहे चुनावी प्रयासों का मूल्यांकन करेगा, साथ ही उसे जमीनी सच्चाई से रूबरू भी कराएगा. इसके साथ ही राज्य में भाजपा सरकार के खिलाफ चल रही एंटी इनकम्बेंसी को साधने और कांग्रेस के पक्ष में बने जाट – जाटव के समीकरण को भेदने की रणनीति पर भी मंथन होगा.
वैसे मनोहर लाल को लोकसभा चुनाव के ऐन मौके पर मुख्यमंत्री पद से हटाकर भाजपा के शीर्ष नेतृत्व ने राज्य सरकार की एंटी इनकम्बेंसी को साधने की कोशिश की थी. मगर वह कोशिश इसलिए नाकाम रही, क्योंकि नये मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी, मनोहरलाल की छाया से बाहर नहीं निकल पाए. परिणाम भाजपा को हरियाणा में सीधे लोकसभा की 5 सीटों का नुकसान उठाना पड़ा. अब संघ ने समय रहते मैदान संभालने की ठानी है ताकि हरियाणा में भाजपा की जीत सुनिश्चित हो सके. हालांकि भाजपा की ओर से स्वयं केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने मोर्चा संभाल लिया है.
संघ – भाजपा के लिए जरुरी हरियाणा की जीत!
हरियाणा में BJP की जीत भगवा परिवार के लिए इसलिए बेहद जरुरी है क्योंकि हरियाणा में चुनाव बेशक विधानसभा का है मगर राज्य की जीत-हार का सीधा असर केंद्र सरकार की भविष्य की राजनीति से जुडा है. यहाँ के परिणाम से केंद्र सरकार का स्थायित्व तय होगा. अगर भाजपा इस राज्य में जीत हासिल करती है तो वह सीधे कांग्रेस पर मानसिक बढ़त बनाते हुए केंद्र की अपनी सरकार का कार्यकाल पूरा करेगी. वरना उसकी केंद्र की सरकार के कार्यकाल पर भी दबाव बढ़ जायेगा. दरअसल हरियाणा की राजनीतिक फिजा सीधे दिल्ली को प्रभावित करती है. RSS भी नहीं चाहेगा की भाजपा की केंद्र सरकार के खिलाफ माहौल पैदा हो. पार्टी को वैसे भी अपने दम पर बहुमत नहीं मिला है. इसके अलावा हरियाणा संघ की ओर से भाजपा का कार्य देख रहे सह सरकार्यवाह अरुण कुमार की कर्मभूमि रही है. इसलिए यहाँ के परिणाम सीधे उनके भविष्य से भी जुड़े है. यही वजह है की संघ भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा के उस बयान जिसमें उन्होंने कहा था की “भाजपा अपने आप में सक्षम है उसे किसी दूसरे संगठन की जरूरत नहीं” को भुलाकर फिर से अपने राजनीतिक संगठन के लिए मैदान में उतरने की तैयारी में है. वरना लोकसभा परिणाम आने के बाद संघ प्रमुख मोहन भागवत ने भी सार्वजनिक मंच से भाजपा नेतृत्व को नसीहत दे दी थी. जिससे दोनों संगठनों के बीच रिश्तों में आई कड़वाहट की ख़बरों को बल मिला. इस बीच सरकार ने भी सरकारी नौकरी वालों को संघ शाखा में शामिल होने पर लगे प्रतिबन्ध को हटाकर आरएसएस शीर्ष नेतृत्व के गुस्से को ठंडा करने की कोशिश की है. शायद इस क़वायद के बाद ही RSS , भाजपा के लिए मैदान सँभालने को राजी हुआ है. और परिणामस्वरूप आज दोनों के बीच समन्वय बैठक हो रही है.
पीएम मोदी दे चुके हैं सांसदों को मंत्र
प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी पहले ही हरियाणा के BJP सांसदों को हरियाणा विधानसभा की जीत का महत्त्व समझाते हुए मंत्र दे चुके हैं बीते 23 जुलाई को हरियाणा के पार्टी सांसदों से मुलाक़ात में पीएम ने स्पष्ट कहा था कि राजधानी दिल्ली तीन ओर से हरियाणा से घिरी हुई है. अतः विपक्ष की वहाँ सरकार बनने के बाद आये दिन केंद्र सरकार के खिलाफ दिल्ली में धरने होते रहेंगे. इससे केंद्र की सरकार के नैरेटिव को संभालना बहुत मुश्किल होगा. इसलिए पीएम ने अपने सभी सांसदों से कहा की वे एकजुट होकर हरियाणा चुनाव में भाजपा उम्मीदवारों को जिताने में लगें. उन्होंने यह भी कहा था की मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी सहज और सरल स्वभाव के धनी हैं. देर रात तक जनता के बीच रहकर उनका काम करते हैं.