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‘महाराष्ट्र के मुखिया’: राज्य के चौथे मुख्यमंत्री शंकरराव की कहानी; जिन्हें कहा जाता है ‘आधुनिक युग का भगीरथ’

Shiv Chaudhary द्वारा Shiv Chaudhary
2 November 2024
in इतिहास, राजनीति
‘महाराष्ट्र के मुखिया’: महाराष्ट्र के चौथे मुख्यमंत्री शंकरराव की कहानी; जिन्हें कहा जाता है 'आधुनिक युग का भगीरथ'

महाराष्ट्र के चौथे मुख्यमंत्री शंकरराव चव्हाण

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1972 के चुनावों में बेशक महाराष्ट्र में कांग्रेस की जीत हुई लेकिन पार्टी में विद्रोह शुरु हो गया था। 1974 में हुए लोकसभा और विधानसभा की कुछ सीटों के लिए हुए उप-चुनावों में भी कांग्रेस हार गई जिसके बाद मुख्यमंत्री वसंतराव नाईक को पार्टी से चुनौतियां मिलनी शुरु हो गई थीं। अंत में महाराष्ट्र में लगातार 11 वर्षों तक मुख्यमंत्री रहने के बाद वसंतराव नाईक को फरवरी 1975 में पद छोड़ना पड़ गया। वसंतराव के इस्तीफे के बाद कांग्रेस नेता शंकरराव भाऊराव चव्हाण को महाराष्ट्र का नया मुख्यमंत्री बनाया गया था। अपनी राजनीति स्टाइल के चलत शंकरराव को ‘भारतीय राजनीति के हेडमास्टर’ के रूप में जाना जाता है।

हैदराबाद के मुक्ति संग्राम में शंकरराव

शंकरराव का जन्म 14 जुलाई 1920 को औरंगाबाद जिले के पैठण गांव में एक किसान परिवार में हुआ था। उनकी प्रारंभिक शिक्षा भी पैठण में ही हुई और उन्होंने मद्रास विश्वविद्यालय से स्नातक और उस्मानिया विश्वविद्यालय से एलएलबी की पढ़ाई पूरी की। स्वामी रामानंद तीर्थ के प्रभाव में आने पर उन्होंने हैदराबाद के मुक्ति संग्राम में भी हिस्सा लिया था। उन्होंने दमनकारी शासन के खिलाफ ‘वंदे मातरम् आंदोलन’ शुरू किया और 1947 में वे इससे जुड़े छात्र आंदोलन में भी शामिल हो गए। उस दौरान ‘वंदे मातरम’ का नारा लगाने वाले छात्रों को स्कूलों और कॉलेजों से निकालने की धमकी दी गई लेकिन शंकरराव अपनी कार्यकुशलता और निडरता के बल पर इस आंदोलन में जुटे रहे। शंकरराव ने इस आंदोलन के दौरान रामानंद तीर्थ के ‘क्विट कोर्ट’ आह्वान का पूरी तरह समर्थन किया और अंतत: निजामों के राज से हैदराबाद को मुक्ति मिल गई।

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शंकरराव दो बार रहे महाराष्ट्र के सीएम

चुनावी राजनीति की शुरुआत शंकरराव के लिए अच्छी नहीं रही और कोई राजनीतिक विरासत ना होने के चलते उन्हें पहले चुनावों में हार का सामना करना पड़ा। हालांकि, कुछ ही समय बाद वे नांदेड के मेयर चुने गए और वे वहां के पहले निर्वाचित मेयर थे। 1956 में शंकरराव तत्कालीन बॉम्बे में राजस्व विभाग के उप मंत्री बने। इसके बाद वे 1960 में महाराष्ट्र में सिंचाई और ऊर्जा मंत्री बनाए गए और 1962 व 1967 में भी वे राज्य सरकार में कई विभागों के मंत्री रहे।

21 फरवरी 1975 को पहली बार उन्होंने राज्य के मुख्यमंत्री पद की शपथ ली और 1977 तक इस पद पर रहे। इन दो वर्षों के कार्यकाल के दौरान उन्होंने राज्य में विकास की नई रूपरेखा तैयार की लेकिन अलग-अलग गुटों की राजनीति के चलते उन्हें पद से इस्तीफा देना पड़ा। इसके बाद मार्च 1986 से जून 1988 तक वह दूसरी बार महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री रहे। बताया जाता है कि अपने कार्यकाल के दौरान वे सुबह 10 बजे मंत्रालय में पहुंच जाते थे और समय से ना आने वाले अधिकारियों और कर्मचारियों की अनुपस्थिति दर्ज कर देते थे। लैंगिग अनुपात में असमानता को खत्म करने के उद्देश्य से उनके कार्यालय में कन्या भ्रूण हत्या पर प्रतिबंध लगाया गया था और 1988 में भ्रूण लिंग परीक्षण पर प्रतिबंध लगाने वाला एक कानून भी बना दिया गया था।

‘आधुनिक युग के भगीरथ’ शंकरराव

महाराष्ट्र के सिंचाई क्षेत्र पर शंकरराव ने एक अमिट छाप छोड़ी है उन्हें सिंचाई से जुड़े कामों के चलते ‘आधुनिक युग का भगीरथ’ भी कहा जाता है। उन्होंने सिंचाई मंत्री और मुख्यमंत्री रहते हुए कई महत्वपूर्ण कार्य किए। महाराष्ट्र की सबसे बड़ी सिंचाई परियोजनाओं में शामिल गोदावरी नदी पर स्थित जयकवाड़ी परियोजना भी शंकरराव का सपना थी। आज यह परियोजना मराठवाड़ा के प्रमुख इलाकों की प्यास बुझाती है।

उन्होंने महाराष्ट्र के अलग-अलग हिस्सों में नहरें पहुंचाने के लिए काम किया और आज भी ये नहरें महाराष्ट्र के लिए उनकी बड़ी देन हैं। विदर्भ और कोंकण जैसे पहाड़ी इलाकों में भी सिंचाई योजनाएं शुरू करने के लिए उन्होंने अलग-अलग तरह के वैज्ञानिक अध्ययन करवाए थे। सिंचाई के क्षेत्र में शंकरराव के काम को देखकर तत्कालीन प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू ने एक बार कहा था कि शंकरराव ने महाराष्ट्र को भारत के सिंचाई मानचित्र पर प्रमुख स्थान दिया है।

वे केंद्र सरकार में रक्षा मंत्री, वित्त मंत्री और गृह मंत्री जैसे बड़े विभागों के मंत्री रहे हैं। शंकरराव, राजीव गांधी और नरसिम्हा राव की कैबिनेट में गृह मंत्री रहे थे। जिस वक्त अयोध्या में विवादित ढाचे को ढहाया गया था उस दौरान शंकरराव देश के गृह मंत्री थे। शंकरराव के बेटे अशोक चव्हाण भी आगे चलकर राज्य के मुख्यमंत्री बने। 26 फरवरी 2004 को 83 वर्ष की आयु में मुंबई के एक अस्पताल में उनका निधन हो गया था।

स्रोत: Maharashtra, Maharashtra Assembly Election, Shankarrao chavan, History, महाराष्ट्र, इतिहास, महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव, शंकरराव चव्हाण
Tags: HistoryMaharashtraMaharashtra Assembly ElectionShankarrao chavanइतिहासमहाराष्ट्रमहाराष्ट्र विधानसभा चुनावशंकरराव चव्हाण
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