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घर में खिड़की रखने की भी इजाजत नहीं, रुकी पढ़ाई, गई नौकरी: 2024 में शरिया ने महिलाओं को ऐसे सताया, भारत में चाहिए बुर्का-हिजाब

तालिबान शासन में घुट-घुट कर जीने को मजबूर हैं महिलाएं

Akash Sharma Nayan द्वारा Akash Sharma Nayan
3 January 2025
in विश्व, साउथ एशिया
तालिबान महिला विरोधी कानून
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भारत में बुर्का और हिजाब पहनने को लेकर स्कूली लड़कियां तक आंदोलन करती नजर आती हैं। यहां एक बड़ा वर्ग शरिया कानून की वकालत करता फिरता है। लेकिन इस्लामिक कट्टरपंथी और शरिया कानून कितना अधिक हानिकारक हो सकता है, इसका उदाहरण अफगानिस्तान में देखने को मिल रहा है। तालिबान की वापसी के बाद से अफगानिस्तान में महिलाओं की स्थिति बेहद खराब होती जा रही है। वहां महिलाएं घुट-घुट कर जीने को मजबूर हैं।

पढ़ाई-लिखाई और नौकरी तो दूर की बात, महिलाओं और मासूम बच्चियों का घर से निकलना भी मुश्किल हो गया है। तेज आवाज में बात करने से लेकर, बैठने और कपड़े पहनने तक के ढंग को लेकर तालिबान ने अलग-अलग फरमान जारी किए हुए हैं। साल बदल चुका है। 2024 खत्म होने के बाद 2025 की शुरुआत हो चुकी है। लेकिन अफगानी महिलाओं के दिन अब भी नहीं बदल रहे। बीते एक साल में अफगानी महिलाओं को लेकर तालिबान ने कई फरमान जारी किए हैं, जिनकी लंबी लिस्ट है।

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1.) महिला शिक्षकों की रोकी सैलरी:

तालिबानी सुप्रीम लीडर हिबतुल्लाह अखुंदजादा ने जुलाई 2024 में महिला शिक्षकों की सैलरी रोकने का फरमान जारी किया था। इससे पहले अखुंदजादा ने जून 2024 में महिला शिक्षकों की सैलरी घटाकर 5000 अफगानी करीब 70 डॉलर कर दी थी। इसको लेकर पहले ही अफगानी महिलाओं में असंतोष था। लेकिन एक कदम आगे बढ़ते हुए तालिबान ने फरमान जारी कर महिला शिक्षकों की सैलरी रोक दी थी।

2.) चेहरा ढक कर रखें-बिना पुरुषों के घर से ना निकलें महिलाएं:

तालिबान ने अगस्त 2024 में फरमान जारी कर सभी महिलाओं को अपने चेहरे अच्छे से ढक कर रखने का आदेश दिया था। साथ ही महिलाओं को घर से अकेले बाहर जाने की मनाही की थी। तालिबान ने फरमान में कहा था कि यदि कोई महिला घर से बाहर जाना चाहती है तो उसे अपने साथ घर के किसी मर्द को रखना होगा। इस फरमान में यह भी कहा गया था कि यदि इसका पालन नहीं किया गया तो जेल जाने से लेकर संपत्ति तक जब्त की जाएगी।

3.) महिलाओं वाले कैफे किए बंद: तालिबान महिला

तालिबानी फरमान के चलते महिलाएं कुछ कैफे में बैठकर आपस में बात कर लेती थीं। उन्हें बाहर यानी पराए मर्द को अपना चेहरा दिखाने तक की आजादी नहीं है। ऐसे में बंद कमरे के अंदर कैफे में महिलाओं का मिलना-जुलना हो जाता था। लेकिन तालिबान ने फरमान जारी कर ऐसे कैफे को भी बंद करा दिया है। इसके लिए नवंबर 2024 में तालिबानी हथियार लेकर कैफे में घुसते थे और उन्हें जबरन बंद करा रहे थे।

4.) पढ़ाई पर रोक: तालिबान महिला

अफगानिस्तान में वापसी के बाद से तालिबान ने महिलाओं पर कई तरह की पाबंदी लगाई है। इनमें से एक पाबंदी पढ़ाई पर भी है। वहां लड़कियों को सिर्फ 6वीं तक की पढ़ाई करने की ही अनुमति है। इसके अलावा महिलाओं के सभी स्कूलों और कॉलेजों को बंद कर दिया गया था। लेकिन आगे पढ़ाई करने के लिए लड़कियों को मेडिकल की पढ़ाई करने का विकल्प था। हालांकि दिसंबर 2024 में तालिबान ने फरमान जारी कर महिलाओं के मेडिकल कॉलेज भी बंद कर दिए थे। इससे लड़कियों की 6वीं के बाद की पढ़ाई पूरी तरह से बंद हो चुकी है।

5.) तालिबान ने महिला कर्मचारियों को नौकरी से हटाया:

तालिबान अब तक कई सरकारी और प्राइवेट संस्थाओं से महिलाओं को नौकरी से निकाल चुका है। कई महिलाएं ऐसे भी हैं जिन्हें तालिबान की पाबंदी के कारण अपनी नौकरी छोड़नी पड़ी और अब वह पूरी तरह से बेरोजगार हो चुकी हैं। लेकिन यूनिवर्सिटी में प्रशासनिक पदों पर काम कर रही महिलाओं की नौकरी बची हुई थी। हालांकि 8 दिसंबर 2024 को तालिबान ने फरमान जारी कर सभी महिला कर्मचारियों को अपने पद से इस्तीफा देने के लिए कहा था। इसके बाद उनके स्थान पर पुरुष कर्मचारियों की भर्ती भी कर दी गई है।

6.) घरों से खिड़कियां हटाने का भी फरमान:

तमाम फरमानों के बीच तालिबान ने महिलाओं को घरों में कैद रखने के लिए 30 दिसंबर 2024 को एक और फरमान जारी किया था। इसके तहत, तालिबान ने घरों में बनी खिड़कियां हटाने के लिए कहा था। तालिबान ने फरमान में कहा था कि घरों में मौजूद जिन स्थानों का उपयोग महिलाएं करती हैं, उन सभी जगहों से खिड़कियां हटा दी जाएं।

तालिबानी प्रवक्ता ने जबीहुल्लाह मुजाहिद ने 27 दिसंबर, 2024 को एक बयान जारी कहा था कि महिलाओं को रसोई, आंगन में या पानी भरते हुए देखना अश्लील कृत्यों को जन्म दे सकता है। ऐसे में इन सभी जगहों की खिड़कियां जल्द से जल्द बंद कर दिया जाना चाहिए।

7.) महिलाओं को हटाओ या NGO बंद करो:

साल के आखिरी दिन यानी 31 दिसंबर, 2024 को तालिबान ने अफगानिस्तान में काम करने वाले सभी एनजीओ को फरमान जारी कर कहा है कि वे महिलाओं को नौकरी से निकाल दें। इस फरमान में यह भी कहा गया है कि यदि कोई भी NGO इस फरमान को नहीं मानेगा तो उसके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी। इसमें अफगानिस्तान के साथ ही विदेशी NGO भी शामिल हैं। तालिबान ने साफ तौर कहा है कि जो भी एनजीओ महिलाओं को काम पर रखेंगे वे अफगानिस्तान में काम नहीं कर पाएंगे और उनका लाइसेंस रद्द कर दिया जाएगा।

Tags: AfghanistanRadicalismTalibanअफ़ग़ानिस्तानइस्लामी कट्टरपंथीतालिबानमुस्लिम कट्टरपंथ
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AMERIKA

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23 October 2025

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