उड़ीसा के मयूरभंज जिले की रहने वाली एक अत्यंत साधारण परिवार में पैदा हुई एक आदिवासी महिला, जो अपने पति और अपने दो बेटों को अकस्मात खो देने के बाद सदमें में चली गयी थी। अपनी सरकारी नौकरी छोड़ कर खुद को अपने घर की चारदीवारी तक सीमित कर चुकी थी। वही महिला आज सत्ता की गलियारों में चर्चा का विषय बनी हुई है। और हो सकता है कि कुछ ही दिनों बाद वह हमारे भारत देश की “प्रथम नागरिक” बन जाये। लालकृष्ण आडवाणी, मुरली मनोहर जोशी, सुषमा स्वराज,सुमित्रा महाजन जैसे बड़े दिग्गज़ नेताओं के साथ-साथ आजकल भारत के अगले राष्ट्रपति के संभावित उम्मीदवारों में से एक नाम ” द्रौपदी मुर्मु ” का भी सामने आ रहा है, जो 18 मई 2015 से झारखण्ड की राज्यपाल हैं।
द्रौपदी मुर्मु का जन्म 20 जून 1958 को उड़ीसा के एक आदिवासी परिवार में हुआ था। रामा देवी विमेंस कॉलेज से बी.ए की डिग्री लेने के बाद उन्होंने उड़ीसा के राज्य सचिवालय में नौकरी से शुरुवात करी।
अपने राजनितिक करियर की शुरुआत उन्होंने 1997 में की जब वो नगर पंचायत का चुनाव जीत कर पहली बार स्थानीय पार्षद (लोकल कौंसिलर) बनी। एक पार्षद से लेकर राष्ट्रपति उम्मीदवार बनने तक का उनका सफर देश की सभी आदिवासी महिलाओं के लिए एक आदर्श और प्रेरणा है।
द्रौपदी मुर्मु पहली उड़िया नेता हैं जिन्हें किसी भारतीय राज्य की राज्यपाल नियुक्त किया गया है। वर्ष 2000 से 2005 तक उड़ीसा विधानसभा में रायरंगपुर से विधायक तथा राज्य सरकार में मंत्री भी रही हैं।
बीजेपी और बीजू जनता दल की गठबंधन सरकार में 6 मार्च 2000 से 6 मार्च 2002 तक द्रौपदी मुर्मु वाणिज्य और परिवहन के लिए स्वतंत्र प्रभार की राज्य मंत्री तथा 6 अगस्त 2002 से 16 मई 2004 तक मत्स्य पालन और पशु संसाधन विकास राज्य मंत्री रहीं।
अपनी शिक्षा और साफ़ सुथरी राजनैतिक छवि के कारण द्रौपदी मुर्मु को बीजेपी के आलाकमान नेताओं से हमेशा अच्छे और महत्त्वपूर्ण पदों के लिए वरीयता मिलती रही है। वह बीजेपी के सामाजिक जनजाति(सोशल ट्राइब) मोर्चा की राष्ट्रीय कार्यकारिणी सदस्य के तौर पर काम करती रहीं और 2015 में उनको झारखण्ड का राज्यपाल बना दिया गया। अब उन्हें अगले राष्ट्रपति के तौर पर देखा जा रहा है।
ऐसा प्रतीत होता था कि द्रौपदी मुर्मु को किसी राज्य की राज्यपाल बनाना उनके राजनैतिक करियर का सबसे बेहतरीन क़दम रहा होगा परंतु, बीजेपी के बड़े नेताओं के पास जैसे इस साफ़ सुथरी छवि वाली आदिवासी नेता के लिए और भी बड़ी योजना थी। उनका नाम भारत के राष्ट्रपति के चुनिंदा पाँच उम्मीदवारों में शामिल कर लिया गया है।
हालाँकि राष्ट्रपति के लिये उनका नाम बीजेपी के क़द्दावर नेताओं जैसे मुरली मनोहर जोशी और सुषमा स्वराज के साथ लिया जा रहा है पर इनके प्रथम आदिवासी महिला राष्ट्रपति होने के और जीतने के आसार सबसे ज्यादा नज़र आ रहे हैं, क्योंकि न सिर्फ ये एक आदिवासी महिला हैं बल्कि एक पिछड़े इलाके ओड़िसा जैसी जगह से भी हैं और बीजेपी जैसी पार्टी के लिए द्रौपदी मुर्मु जैसी एक ऐसी महिला को भारत का राष्ट्रपति बनाना, पूरे देश को ये सन्देश देना होगा कि, बीजेपी एक ऐसी पार्टी है जो की समाज के निचले तबके के लोगों को भी वरीयता देती है, यानि कि “सबका साथ सबका विकास” ।
Perfectly written
Thank you Rajiv