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कुमार विश्वास के चेहरे से राष्ट्रवाद का छलावा कहीं आम आदमी पार्टी की नयी नौटंकी तो नहीं?

Nitesh Kumar Harne द्वारा Nitesh Kumar Harne
3 May 2017
in मत
कुमार विश्वास के चेहरे से राष्ट्रवाद का छलावा कहीं आम आदमी पार्टी की नयी नौटंकी तो नहीं?
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हाल ही में दिल्ली के MCD चुनाव में आम आदमी पार्टी की करारी हार हुई है। हार के बाद आम आदमी पार्टी के कई नेताओं ने इस्तीफा दिया है। गौरतलब है कि एमसीडी चुनाव में हार के बाद आम आदमी पार्टी में कोहराम मचा है। एक तरफ कुमार विश्वास के उठाए सवालों पर केजरीवाल सरकार में मंत्री कपिल मिश्रा समर्थन करते नजर आए, वहीं दूसरी तरफ जामिया नगर से विधायक अमनतुल्लाह खान ने विश्वास के खिलाफ मोर्चा खोल दिया। अमनतुल्ला खान के बयान के बाद आप के नेता कुमार विश्वास नाराज़ हैं। लेकिन आम आदमी पार्टी के 4-5 साल के नौटंकी के इतिहास को देखते हुए आम आदमी पार्टी पर इतनी जल्दी भरोसा करना गलत होगा क्योंकि चुनाव हारने के पहले तक और दो दिन बाद तक केजरीवाल ईवीएम को गलत ठहरा रहे थे और चुनाव के चार दिनों बाद दिल्ली की जनता से माफ़ी मांगने लगे तो लगता है दाल में कुछ काला है या पूरी दाल ही काली है। अगर जो दिख रहा है मीडिया में वो सच नही है और महज एक नौटंकी मात्र है, जैसे की पहले भी आम आदमी पार्टी पार्टी कर चुकी है, तो तमाम आशंकाएं सामने आती है।

चुनाव जीतकर, सरकार बनाकर, दिल्ली की जनता का विश्वासघात करके मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देना फिर माफ़ी माँगना, बात-बात पर नौटंकी, हर फैसले पर यु-टर्न लेना फिर सॉरी कह देना, इन सबसे जनता को अब खीज हो चुकी है और इस आम आदमी पार्टी के साथ-साथ केजरीवाल और कुमार विश्वास वाले ड्रामे से अब जनता को जादा उम्मीद होगी ऐसा नही लगता है।

देखने से भले ये अंदरूनी कलह लगती है लेकिन लगता नही इतनी कम समय में अरविन्द केजरीवाल इतने पाक साफ़ हो जायेगे। रातों-रात उनकी सभी आदतें बदल जायें और वो सुधर कर देशभक्ति की राह पर चल पड़ें ये सब रातों-रात नही हो सकता। अगर दूर की सोचे और 2019 को ध्यान में रख कर देखे तो ये नौटंकी एक सोची समझी प्लानिंग के तहत किया जा रहा मालुम होता है और आनेवाले समय में आम आदमी पार्टी द्वारा नए नौटंकी को अंजाम दिया जा सकता है इसे ख़ारिज नहीं किया जा सकता। इस ड्रामे के पीछे आम आदमी पार्टी की स्क्रिप्ट क्या हो सकती है इसपर प्रकाश डालते है।

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पंजाब के किसान बाढ़ से बेहाल हैं, लेकिन केंद्र सरकार को उन्हें मुआवजा देने में क्यों हो रही है दिक्कत?

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कुमार विश्वास केजरीवाल के खिलाफ मीडिया में आवाज उठा सकते है। केजरीवाल को सर्जिकल स्ट्राइक, नोटबंदी जैसे मुद्दों खिलाफ नही बोलना चाहिए था जैसे तमाम बयान दे सकते है जो की दे भी रहे है, जिससे जनता का खोया विश्वास केजरीवाल न सही तो कुमार विश्वास के रूप में वापस लाने का काम किया जायेगा। मोदी के कुछ फैसलों की तारीफ की जायेगी और उन्हें देश के लिए अच्छा फैसला बताया जायेगा। अरविन्द केजरीवाल से माफ़ी मंगवाई जा सकती है। अरविन्द केजरीवाल दिल्ली की जनता से माफ़ी मांगेगे और फिर से शुन्य से सुरुवात करने का वचन देंगे और काम करने की बात करेंगे। अरविन्द केजरीवाल ने पहले भी कई इमोशनल ड्रामे किये है माफ़ी के साथ ही वो फिर से किसी नौटंकी को अंजाम दे सकते है। जैसा की वो हमेशा ही करते है चुनाव हरने के बाद। फिर धीरे धीरे पार्टी के अनेक सदस्यों द्वारा केजरीवाल पर सवाल उठाये जायेगे। कई सदस्य इस बात से भी नाराज़गी जतायेगे की ईवीएम को गलत ठहराना ही भारी पड़ा पार्टी को, पार्टी को आत्ममंथन करने की जरुरत।

संभवत विडियो रिलीज़ करके केजरीवाल द्वारा माफ़ी की नयी नौटंकी शुरू किया जायेगा जिसमे वो दिल्ली की जनता का विश्वास जितने के लिए उन्हें इमोशनली समझायेगे की उन्होंने दिल्ली के लिए क्या क्या किया है। कैसे उन्होंने आन्दोलन से एक पार्टी बनायीं लेकिन जनता की आवाज़ को समझ नहीं पाए और वो अपनी राह से भटक गए थे लेकिन अब उन्हें काम करने की जरुरत है और उनकी पार्टी अब बहाने से काम नहीं चलाएगी। और ये सब वो मोदी, एलजी या बीजेपी का नाम लिए बिना, किसी को गलत ठहराए बिना करते दिखाई देंगे। प्रधानमंत्री मोदी की किसी एक फैसले के लिए तारीफ भी कर सकते है।

आप सब ने एक नौटंकी देखी थी, उत्तरप्रदेश चुनाव के पहले पिता-चाचा-भतीजे का, बहुत ही शानदार स्क्रिप्ट थी। चैनलों पर सुबह से लेकर शाम तक वही चलता रहता था, बेवकूफ बनाया जा रहा था जनता को। पर्दा डाला जा रहा था 5 साल की नाकामयाबी पर, पर्दा डाला जा रहा था मुस्लिम-तृष्टिकरण की निति पर, पर्दा डाला जा रहा था 10-20 किलोमीटर के एक्सप्रेस वे के अलावा प्रदेश में बढ़ते भ्रष्ट्राचार, कानून व्यवस्था और गरीबी पर। सुबह शाम बस ड्रामा बनाया जा रहा था भतीजे अखिलेश यादव द्वारा की उनकी इमेज को उनके पिता की छवि से न मैच किया जाये, वे विकास पुरुष है, वे उतना कट्टर सेकुलरवादी नेता नही है जितने उनके पिता हुआ करते है, ये दिखाने की जद्दोजहद थी लेकिन आखिर जनता इतनी समझदार निकली की जनता ने नौटंकी चलने दिया, उसे रोका नही, पूरा मजा लिया। जनता ने टिकट निकाली है तो मूवी पूरी देखी लेकिन घर आकर रिव्यू वही दिया जो देना चाहिए था। ‘पीके’ देखकर मजे लिए और वोट ‘बाहुबली’ पर डाल कर आ गई जनता।

बस यही नौटंकी अब दिल्ली में चल रही है, वहां उत्तर प्रदेश में चुनाव के पहले, चुनाव जितने के लिए और अपनी छवि बदलने के लिए था तो यहाँ विश्वास जितने के लिए और छवि निखारने के लिए बस यही फर्क है लेकिन स्क्रिप्ट यहाँ भी वही है। दिखाया जा रहा है की आप पार्टी की सोच एंटी-नेशनल नही है। पार्टी देशविरोधी ताकतों से सहमत नही है। हमें भी कश्मीर और अपनी सेना की चिंता है हम भी देशभक्त है। लेकिन ये जनता है सब जानती है, लगता नहीं की इतनी बार धोखा खाने के बाद जनता केजरीवाल की किसी भी बात पर इतनी जल्दी भरोसा कर पायेगी। जनता का टूटे विश्वास का ही नतीजा है जो जनता ने दिखा दिया MCD चुनाव में।

इतना ही नहीं जिस तरीके से कुमार विश्वास नाराज़ चल रहे है और केजरीवाल मनाने की कवायद कर रहे है लग रहा है ड्रामा स्क्रिप्ट के मुताबिक जा रहा है और इस हिसाब से केजरीवाल जनता का विश्वास जितने के लिए कुमार विश्वास को कुछ समय के लिए पार्टी की बागडोर संभालने भी दे सकते है या पार्टी में उनकी हैसियत बढ़ाई जा सकती है और इसके बाद शुरू होगा पार्टी की इमेज मेक ओवर करने की नौटंकी, माने कुमार विश्वास विश्वास अपनी एंटी-नेशनल पार्टी की इमेज को अपने बयानों से जैसे नक्सल में शहीद हुए जवान, सीमा पर शहीद हो रहे जवान, पाक द्वारा लगातार सीजफायर उल्लंघन पर सरकार को ठोस कदम उठाने कहा जायेगा अपने बयानों से, पाकिस्तान को मुंहतोड़ जवाब देने की मांग की जाएगी और इस तरीके से देश की नब्ज को टटोला जायेगा। क्योंकि वे जानते है इस देश में सेना ही है जिसके लिए हम सबसे ज्यादा इमोशनल हो सकते है। पार्टी, धर्म और जाति से ऊपर उठके, हर तबके, हर वर्ग का बंदा अपनी सेना से प्यार करता है और उनके बलिदान पर सबको दुःख भी होता है, तो यही मुद्दों को उठाकर, भले ही जमीं पर कुछ काम नही होगा, अपनी गर्त में जाती पार्टी को मुख्यधारा से जोड़ने की कोशिश होगी और पार्टी का राष्ट्रवादी मेकओवर करने का प्रयास किया जायेगा।

कुमार विश्वास अपने गीतों से, अपनी कविताओं से लोगो को देशभक्ति और सीमा पर जवानों की सुरक्षा के प्रति पार्टी की जिम्मेदारी दिखने की कोशिश करेंगे। जिससे लोगो में एक विश्वास जागे और वो केजरीवाल एवं आम आदमी पार्टी के 2 साल की नौटंकी, भ्रष्ट्राचार, शुंगलू रिपोर्ट, एंटी-सेना इमेज, देश विरोधी तत्वों के साथ उनके रिश्ते को भुलाकर फिर से इमानदार पार्टी दिखाने का प्रयास किया जा सकता है। यही नौटंकी एक मात्र विकल्प है पार्टी के पास पार्टी में पड़ती दरार, ख़राब होती छवि और गर्त में जाती लोकप्रियता को वापस लाने का क्योंकि केजरीवाल और पार्टी भी समझ रहे है की अब केजरीवाल के चेहरे मात्र में वो करिश्मा नहीं रहा और चाहे केजरीवाल हो या कोई भी हो, कितना ही इमानदारी का चोला पहन के घुमे लेकिन जब बात देश की आयेगी तो देश के खिलाफ जाने वाले को मुंहतोड़ जवाब दिया जायेगा इसलिए उन्हें अब सिर्फ स्ट्रेटेजी ही नहीं चेहरा भी बदलना होगा भले ही कुछ समय के लिए ही सही।

Tags: आम आदमी पार्टीकुमार विश्वासकेजरीवाल
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दिल्ली धमाका: ‘वाइट कॉलर टेरर मॉड्यूल’ की बर्बरता को कैसे ‘ह्यूमनाइज़’ कर रहे हैं  The Wire जैसे मीडिया संस्थान ?

17 November 2025

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टिप्पणियाँ 2

  1. सुबाहू जैन says:
    9 years पहले

    एकदम उपयुक्त विश्लेषण, इन बिन पेंदी के लोटों का कोई ठिकाना नहीं, कुमार विश्वास, इतने दिनों तक केजरीवाल के साथ देते रहे, अब कुछ समझ नहीं आ रहा तो यह सब नौटंकी, अब यह फैसला तो दिल्ली वालों को करना है की वो और बेवकूफ बनने के लिए तैयार हैं या नहीं, इन ठुगों और अवसरवादियों को बिन रीढ़ के लोगों को सत्ता मे रहने देना चाहते है या नहीं, यह इन चोरों की नहीं जनता की समझदारी और बेवकूफी की आज़माइश है, वो तो सिर्फ इस नाटक के पात्र है, हमारे राजनेता सिर्फ बैटन के शेर हैं, यहाँ तक की हमारे आदरनीय प्रधानमंत्री जब विपक्ष मे थे तो मन मोहन सिंह और कांग्रेस से जो सवाल उठाते थे भारत पाक सम्बन्ध मे उसी सम्बन्ध मे वो निरुत्तर और निरुपाय नज़र आ रहे है, कुछ समझ नहीं आता यह नेता चाहते क्या हैं, क्यों श्रीमान मोदीजी चुप्पी बांध के बैठे हैं जब हमारे जवान क़त्ल किये जा रहे हैं, वैसे ही जम्मू कश्मीर के सम्बन्ध मे कोई ठोस कदम और फैसला करने की नियत और सहस नहीं दीखता, दर है वो दुसरे मन मोहन सिंह न बन जाये

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  2. सुबाहू जैन says:
    9 years पहले

    एकदम उपयुक्त विश्लेषण, इन बिन पेंदी के लोटों का कोई ठिकाना नहीं, कुमार विश्वास, इतने दिनों तक केजरीवाल के साथ देते रहे, अब कुछ समझ नहीं आ रहा तो यह सब नौटंकी, अब यह फैसला तो दिल्ली वालों को करना है की वो और बेवकूफ बनने के लिए तैयार हैं या नहीं, इन ठगों और अवसरवादियों को बिन रीढ़ के लोगों को सत्ता मे रहने देना चाहते है या नहीं, यह इन चोरों की नहीं जनता की समझदारी और बेवकूफी की आज़माइश है, वो तो सिर्फ इस नाटक के पात्र है, हमारे राजनेता सिर्फ बातोँ के शेर हैं, यहाँ तक की हमारे आदरणीय प्रधानमंत्री जब विपक्ष मे थे तो मन मोहन सिंह और कांग्रेस से जो सवाल उठाते थे भारत पाक सम्बन्ध मे उसी सम्बन्ध मे वो निरुत्तर और निरुपाय नज़र आ रहे है, कुछ समझ नहीं आता यह नेता चाहते क्या हैं, क्यों श्रीमान मोदीजी चुप्पी बांध के बैठे हैं जब हमारे जवान क़त्ल किये जा रहे हैं, वैसे ही जम्मू कश्मीर के सम्बन्ध मे कोई ठोस कदम और फैसला करने की नियत और साहस नहीं दीखता, डर है वो दुसरे मन मोहन सिंह न बन जाये, जब वो कमज़ोर इच्छाशक्ति से ग्रस्त नज़र आ रहे है, देश की सुरक्षा के सम्बन्ध मे, नक्सालियों के खिलाफ भी वो कुछ खास नहीं कर पा रहे है, माओवादियों की हरकतें और उपद्रव बढ़ते जा रहा है

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