प्रसिद्ध मीडिया समूह जो अपने पक्षपाती विचारधारा और सनसनीखेज पत्रकारिकता के लिए जाने जाते हैं उनका सच एक घटना से सामने आया है। अजय अग्रवाल नामक एक डॉक्टर ने आरोप लगाया है कि राजदीप सरदेसाई, आशुतोष (आम आदमी पार्टी के नेता) और राघव बहल (क्विंट के संचालक) ने उनके खिलाफ फेक स्टिंग ऑपरेशन किया था जिससे उनके जीवन पर बुरा प्रभाव पड़ा साथ ही उनकी सार्वजनिक छवि भी खराब हुई।
डॉक्टर अग्रवाल के खिलाफ 2006 में एक फेक स्टिंग ऑपरेशन न्यूज़ चैनल्स IBN7 और CNN-IBN पर प्रसारित किया गया था। ये न्यूज़ चैनल्स अब न्यूज़ 18 और CNN-न्यूज़ 18 के रूप जाने जाते हैं। इस आधारहीन और फेक स्टिंग ऑपरेशन में डॉक्टर पर स्वस्थ लोगों के अंगों को काटने और उन्हें अपाहिज बनाकर भीख मांगने लायक बनाने का आरोप था। न्यूज़ व्यापारियों ने ‘शैतान डॉक्टर’ के रूप में उन्हें चित्रित किया था। इस मामले की जब जांच हुई तो सामने आया कि ये स्टिंग ऑपरेशन फेक था और डॉक्टर निर्दोष थे।
डॉक्टर ने आरोप लगाया है कि वो पिछले 12 सालों से अपने जीवन और प्रतिष्ठा में सामान्य स्थिति लाने की कोशिश कर रहे हैं। हालांकि, इनमें से किसी भी प्रसिद्ध पत्रकार पर जांच के बाद डॉक्टर के निर्दोष साबित होने पर माफी मांगने के लिए दबाव नहीं डाला गया। डॉक्टर ने आरोप लगाते हुए कहा कि उसका जीवन राजदीप, राघव और आशुतोष की वजह से बर्बाद हो गया है जिन्होंने सिर्फ अपने न्यूज़ चैनल्स की टीआरपी के लिए सनसनीखेज खबर बनाई थी। डॉक्टर अग्रवाल ने न सिर्फ इन तीनों पत्रकारों पर आरोप लगाये बल्कि पूरे न्यूज़ चैनल की टीम पर भी आरोप लगाये जिन्होंने फेक स्टिंग ऑपरेशन को दिखाया था। इसके अलावा उन्होंने रिपोर्टर जमशेद खान पर भी आरोप लगाया जो लगातार इस खबर की रिपोर्टिंग कर रहा था और डॉक्टर को फेक स्टिंग ऑपरेशन में गलत रूप से चित्रित किया था। जमशेद खान को डॉक्टर अग्रवाल ने ब्लैकमेलर बताया। डॉक्टर ने कहा कि वो जमशेद खान था जिसने फेक स्टिंग ऑपरेशन किया था और इस फेक स्टिंग ऑपरेशन को IBN7 और CNN-IBN पर प्रसारित किया गया था, ये न्यूज़ चैनल्स उस समय लॉन्च हुए थे और इस प्रकार प्रचार और हाई टीआरपी की भूख में इन चैनल्स ने इस स्टिंग ऑपरेशन को प्रसारित किया था। इस एक खबर ने अग्रवाल के जीवन को बर्बाद कर दिया और यहां तक कि उनके खिलाफ जांच भी की गयी। उस समय डॉक्टर अग्रवाल गौतमबुद्ध नगर के जिला अस्पताल में एक ऑर्थोपेडिक सर्जन थे।
फेक स्टिंग ऑपरेशन से क्रोधित डॉक्टर अग्रवाल ने कहा कि उन्होंने अन्य पत्रकारों से इस मामले में हस्तक्षेप के लिए अनुरोध किया था और कहा था कि उन तीनों पत्रकारों को माफ़ी मांगने के लिए कहें या जो फेक न्यूज़ उन्होंने दिखाई है उसपर सफाई देकर उनके सच को सामने रखें लेकिन कोई भी उनकी मदद के लिए सामने नहीं आया।
वो इस लड़ाई को न्यूज़ व्यापारियों के खिलाफ कोर्ट में ले गये और अब इनके खिलाफ मामला चल रहा है। इस मामले में तीन पत्रकारों सहित नौ लोगों के खिलाफ मानहानि का मामला शुरू किया गया। चैनल ने इलाहाबाद उच्च न्यायालय के सामने सुनवाई के खिलाफ अपील की थी, जिसके बाद सात व्यक्तियों के खिलाफ मुकदमे पर रोक लगा दी गयी थी। हालांकि, सुप्रीम कोर्ट ने सात व्यक्तियों के खिलाफ मामले पर रोक लगाने के फैसले को खारिज कर दिया और अब फेक स्टिंग ऑपरेशन के लिए उन सभी आरोपियों के खिलाफ मुकदमा शुरू किया जाएगा। आखिरकार उन दोषियों के खिलाफ कार्रवाई होने की उम्मीद जगी है जिन्होंने सिर्फ अपने आर्थिक लाभ के लिए डॉक्टर अग्रवाल के जीवन और सम्मान दोनों को बर्बाद किया।
सनसनीखेज, टीआरपी संचालित पत्रकारिता और मुख्यधारा के मीडिया के एक वर्ग के खिलाफ कड़ा मुकदमा किया जाना चहिये जो स्टिंग ऑपरेशन की वास्तविकता नहीं बल्कि झूठ दिखाते हैं। ये दर्शाता है कि कैसे गैर-जिम्मेदार और फेक स्टिंग ऑपरेशन एक निर्दोष व्यक्ति के जीवन और प्रतिष्ठा को बर्बाद कर देता है। उन्हें 12 वर्षों तक अपने सम्मान की लड़ाई लड़नी पड़ी जिसे इन ‘प्रतिष्ठित पत्रकारों’ ने खराब कर दिया था। सरकार को ऐसे फेक न्यूज़ और राजनीतिक रूप से प्रेरित स्टिंग ऑपरेशन के खिलाफ सख्त कदम उठाने चाहिए जिससे भविष्य में फिर किसी निर्दोष के दामन में दाग न लग सके, उसका आम जीवन बर्बाद न हो सके और वो इस सनसनीखेज झूठी पत्रकारिकता का शिकार न हो सके।