लेफ्ट उदारवादी इकोसिस्टम जिसमें बड़े पैमाने पर आत्म घोषित फेमिनिस्ट हैं वो माफिया प्रणाली की तरह कार्य करता हैं। इन दोनों प्रणालियों के कामकाज में दो समान केंद्रीय विशेषताएं हैं- ओमर्टा (इटालियन माफिया का कोड), चुप रहने का नियम और दूसरा “आप या तो हमारे साथ हैं या हमारे खिलाफ हैं” की मानसिकता। हाल ही में बॉलीवुड के अपने उदार प्रियजनों में से एक करीना कपूर को फेमिनिज्म पर दिए बयान के लिए ट्रोल किया गया जो लेफ्ट उदारवादी सर्किल में प्रचलित असहिष्णुता और वैचारिक पूर्णता का प्रमाण देता है।
अपनी उदारवादी और अतिवादी फेमिनिज्म फिल्म ‘वीरे दी वेडिंग’ के प्रमोशनल इवेंट के दौरान करीना कपूर ने तब इन दोनों ही नियमों को नकार दिया जब ये कहा की वो फेमिनिस्ट नहीं है। करीना ने अपना बयान अभी पूरा ही किया था कि ट्रोल करने के लिए तैयार बैठे अपने बिलों से निकल आये और अपने ओमर्टा से अलग राय रखने वाली करीना पर हमले शुरू कर दिए।
करीना कपूर को उनके उनके उस बयान के बाद ट्रोल किया जाने लगा जिसमें उन्होंने कहा था, “मैं नहीं कहूंगी कि मैं एक फेमिनिस्ट हूं। मैं कहूंगी कि मैं एक औरत हूं और सब से ऊपर मैं एक इंसान हूं। मुझे करीना कपूर से ज्यादा सैफ अली खान की पत्नी के रूप में पहचाने जाने पर गर्व है। मैं ऐसी ही हूं।” करीना ने आगे कहा, “मैं कुछ भी बोलूं ट्रॉल्स शुरू हो जाते हैं खासकर तब जब ये फेमिनिज्म से जुड़ा हो।“
you know what kareena, eat poo. pic.twitter.com/gLOAFjRldP
— Nirali Shah (@nirali_ss) May 23, 2018
अब ये देखिये कितना बढ़िया है न कि अगर किसी की राय अलग है तो उसे ‘मल’ खाने के लिए कह दें।
करीना कपूर लेफ्ट उदारवादियों की रोल मॉडल रही हैं, अपने बेटे का नाम एक ऐसे खूनी और क्रूर इंसान (तैमुर) के नाम पर रखने से लेकर एक आधुनिक फेमिनिस्ट मूवी में भूमिका निभाने तक जिसे उदारवादियों और उनके जैसे फेमिनिस्ट द्वारा सराहा जा रहा है। करीना कपूर के फेमिनिज्म के बयान के बाद अचानक से फेमिनिस्ट और लेफ्ट उदारवादियों का हमला करना यही बताता है कि फेमिनिज्म वास्तव में क्या था और क्या बन गया है। फेमिनिज्म की शुरुआत पुरुष और महिलाओं दोनों को समान अवसरों की गारंटी देने और ये गारंटी देने के लिए कि लड़कियों को लड़कों के समान ही शिक्षा दी जाएगी, के लिए हुई थी। यही नारीवाद आज सांस्कृतिक मार्क्सवाद का हिस्सा बनकर रह गया है।
सांस्कृतिक मार्क्सवाद एक ऐसा आंदोलन है जो उन सभी चीजों को बुरा बताता है और उन सभी संस्थानों पर हमला करता है जो जो सभ्यता की आधारशिला है। आज फेमिनिज्म बस मर्दविरोधी आन्दोलन है, जो समलैंगिकता या अलैंगिगता को ही सही बताता है। फेमिनिस्ट एक एजेंडा है कि माफिया की तरह ही ये उन लोगों को दंडित करे है जो उनके आधिकारिक विचारधारा की रेखा का विरोध करते हैं या इससे प्रभावित नहीं होते हैं। ये विडंबनापूर्ण है कि जो लोग खुद को ‘प्रगतिशील’ मानते हैं वो विचारधारात्मक स्पेक्ट्रम के तहत लोगों की व्यक्तिगत राय को सहन नहीं कर पातें हैं।
जब ये आंदोलन शुरू किया गया था तब शुरू में आंदोलन के लक्ष्य की दिशा में प्रयास किये गये थे उसके बाद इसे ऐसे ही छोड़ दिया गया। जबकि ये सागरिका घोष जैसे नारीवादियों के लिए आम अभ्यास बन गया है जो नारीवादी लेबल का दुरुपयोग कर पुरुषों के खिलाफ नफरत की भावना को बढ़ावा देते हैं, करीना कपूर की छोटी सी बात पर इस तरह का हमला आया बदलाव खतरे की घंटी है। वो लोग जो स्वतंत्रता और अभिव्यक्ति की आजादी के रूप में आवाज उठाते हैं ये वहीं हैं जो अपने ही लोगों द्वारा उनकी विचारधारा से प्रभावित होना सहन नहीं कर पाते हैं।
फेमिनिस्ट और सामाजिक न्याय के योद्धाओं ने बार-बार साबित किया है कि वो आधुनिक राजनीति में छोटे समायोजित समूह हैं। करीना कपूर के साथ ऐसे कठोरता और अन्यायपूर्ण तरीके से पेश आना अन्य महिलओं और लड़कियों को भी समान रूप से चेतावनी के रूप में लिया जाना चाहिए। फेमिनिज्म का उपयोग समान हक की इच्छा रखने वाली महिलाओं को गुमराह कर पुरुष विरोधी बनाने के लिए किया जा रहा और उनकी व्यक्तिगत असुरक्षा का शोषण उन्हें ये समझाने के लिए किया जा रहा कि वो पीड़ित हैं।
I'm not Hulk. I just like to turn green and smash things.
— Urmi Bhattacheryya (@UBhattacheryya) May 23, 2018
किसी भी फेमिनिस्ट ने सामने आकर करीना कपूर द्वारा सही आवाज उठाने और अपनी व्यक्तिगत राय रखने के लिए बचाव नहीं किया न ही किसी ने उनका समर्थन किया जिससे ये स्पष्ट है कि करीना कपूर इस समय फेमिनिज्म कट्टरता और उदार असहिष्णुता द्वारा पीड़ित हैं।