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किसानों पर राजनीति का निम्न स्तर, अवसर का लाभ उठाने के लिए विपक्ष एकजुट

Ajay Singh द्वारा Ajay Singh
3 December 2018
in मत
किसान आंदोलन

PC: The Hindu

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पिछले साढ़े चार सालों में एक बात गौर करने वाली है कि एक निश्चित भीड़ है जो हर राज्यों में चुनाव नजदीक आते ही कभी गरीब तो कभी अल्पसंख्यक, कभी दलित तो कभी किसान बनाकर दिल्ली बुला ली जाती है। भीड़ में शामिल लोग और चेहरे वही रहते हैं, बस भीड़ का नाम बदल जाता है। यानी कभी वो दलित, कभी अल्पसंख्यक तो कभी किसान बनकर विपक्षी दलों द्वारा इकट्ठा कर दिए जाते हैं।

#FarmersMarch | Rahul Gandhi with other party leaders during Farmers rally Jantar Mantar in New Delhi on Friday.
(Express photo by Praveen Khanna)
Follow live updates here: https://t.co/qgf3bJRdXz pic.twitter.com/ov5ucBVFME

— The Indian Express (@IndianExpress) November 30, 2018

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‘Dilli Chalo’ farmers rally live updates | Thousands arrive at Ramlila Maidan #AIKSCC #farmeragitation #FarmersMarch #jantarmantar #medhapatkar #RamlilaMaidan pic.twitter.com/UGrav3Nm4I

— IndiaTimelines (@Indiatimelines) November 30, 2018

#FarmersMarch to Parliament to #protest govt policies : Fulfill our demands and then discuss #Ayodhya https://t.co/vBJy3omz3e pic.twitter.com/Qu0S9NDbIL

— DNA (@dna) November 30, 2018

ऐसा ही नजारा इस बार दिल्ली में इक्कठा हुए भीड़ का था। दिल्ली में जंतर-मंतर मैदान में किसानों की रैली के नाम पर लगभग 21 पार्टी के कार्यकर्ता और नेता इक्कठा हुए थे। यही नहीं इस दौरान कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी और दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल भी इस दौरान मंच पर नजर आये। इस दौरान राहुल गांधी ने केंद्र सरकार को किसान विरोधी बताते हुए पीएम मोदी को घेरने की कोशिश की। आम आदमी पार्टी के मुखिया कैसे पीछे रहते। अवसर देखते ही वो भी पहुंच गये मंच पर और कहा, मोदी सरकार ने अपने वादों को पूरा नहीं किया। बॉर्डर पर जवान और देश में किसान दुखी हैं।“ राजनीतिक अवसरवादी मौका पाते ही पहुंच गये किसानों के हितैषी बन गये। इन दोनों नेताओं के अलावा किसान के आंदोलन में सांसद राजू शेट्टी और कई नेता नजर आये। वैसे इस बार “ये भीड़ किसान बनकर इकट्ठी हुई थी। वो खुद को किसान जरूर बता रहे थे लेकिन इसमें शामिल कई लोगों को तो ये तक नहीं पता था कि वो दिल्ली आए क्यों हैं। वो बस अपनी-अपनी राजनीतिक पार्टियों के ध्वज वाहक बनकर अपने नेता की जय-जयकार करने आए थे। आप यहां क्यों आए हैं, पूछे जाने पर या तो ज्यादातर लोग कुछ बोल ही नहीं रहे थे या फिर कह रहे थे कि हमारे नेताजी ने चलने के लिए कहा है। नेताजी जहां कहेंगे, हम वहां खड़े हो जाएंगे। इससे पहले की किसान रैली में भी यही हुआ था जब कई लोगों को पता ही नहीं था कि वो यहां आए क्यों हैं।  

जी हां, ऐसी ही कुछ स्थिति थी, किसानों के नाम पर इकट्ठी हुई भीड़ की थी। दरअसल, पिछले दिनों देशभर के हजारों कथित-किसान राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में विरोध प्रदर्शन के लिए जुटे थे। इसके लिए उनके पास अलग-अलग बहाने थे। उनकी मांगों में कर्ज माफी और न्यूनतम समर्थन मूल्य को फसल के लागत मूल्य का डेढ़ गुना करने जैसी मांगे शामिल थीं लेकिन, इनमें मजेदार बातें ये थी कि इस भीड़ में हर समूह किसी न किसी राजनीतिक पार्टी का झंडा ढो रहा था। अपने नेताओं की जय-जयकार कर रहा था। कुछ को तो ये भी नहीं पता था कि ये किसान रैली है। ज्यादातर लोगों को नहीं पता उनकी मांग क्या है। वो यहां आए क्यों हैं। दरअसल ये किराये के लोग हैं। जब दलित आंदोलन होता है तो दलित बन जाते हैं। जब किसान आंदोलन होता है तो किसान बन जाते हैं। इनमें से कुछ युवा उम्र के लोग छात्रों को भड़काकर छात्रनेता बन जाते हैं।

 

Kisan Mukti March: Yogendra Yadav addresses #FarmersMarch, says 'Narendra Modi, kisan virodhi'
Follow Live updates: https://t.co/B51ii6rQVn pic.twitter.com/GOrNr9cd4J

— HuffPost India (@HuffPostIndia) November 30, 2018

WATCH | "Prime Minister stabbed farmers in the back," says Chief Minister Arvind Kejriwal at farmers' rally at Delhi's Jantar Mantar

Read more here: https://t.co/p5FpL9qSrC
Track LIVE updates here: https://t.co/eELQzpuHzy#FarmersMarch pic.twitter.com/WURd8qIsnj

— NDTV (@ndtv) November 30, 2018

रैली में ज्यादा वक्त नहीं बीता था कि इन समूहों के नेतागण भी एक मंच पर इक्कठा होकर न चाहते हुए अपनी मंशा जाहिर कर ही बैठे। दरअसल यह एक सोचे-समझे तरीके से इकट्ठी की गई भीड़ थी, जिसे विपक्षी दलों द्वारा माहौल बिगाड़ने के लिए भाड़े पर लाया गया था। इनका उद्देश्य बस अन्नदाताओं के नाम पर देश को भावुक, लोगों को इमोशनली ब्लैकमेल करके मोदी सरकार को बदनाम किया जाए। इसके लिए किसान की वेशभूषा में राजनैतिक कार्यकर्ताओ को इकट्ठा किया गया था। जिन्हें अलग-अलग दलों की लामबंदी के बाद साजिशन इकट्ठा किया गया था। बाद में इन पार्टियों के नेता भी एक ही मंच पर  इक्कठा होकर अपना नकाब हटा बैठे। बाकी बची-खुची कसर वामपंथी पत्रकारों का गैंग पूरी करने मे लगा था।

इसमें कोई दो राय नहीं कि देश में मोदी सरकार के आने से किसानों की स्थिति में जबरदस्त सुधार हुए हैं। किसान धीरे-धीरे स्वावलंबी हुए हैं। किसानों की स्थिति सुधारने के लिए तेजी से काम चल रहे हैं। लेकिन चुनावी माहौल बनाने के लिए राजनैतिक पार्टियां कभी किसानों की आड़ में तो कभी कथित दलितों के नाम पर, कभी अल्पसंख्यक के नाम पर तो कभी छात्र या महिलाओं के नाम पर अपने कार्यकर्ताओं के साथ भीड़ एकट्ठी करके माहौल बिगाड़ने की साजिश में लगे हुए हैं। और उनका साथ देने के लिए वामपंथी मीडिया तो मामले का हवा देने के लिए तैयार ही है। अब देखना है कि जब आम चुनाव सिर पर हैं तो ऐसे में अगली भीड़ किसकी आड़ में इकट्ठी की जाती है।

Tags: किसानकिसान आंदोलनराहुल गाँधी
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राजनीतिक इस्लाम बनाम सनातन चेतना: योगी आदित्यनाथ का वैचारिक शंखनाद और संघ का शताब्दी संकल्प
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राजनीतिक इस्लाम बनाम सनातन चेतना: योगी आदित्यनाथ का वैचारिक शंखनाद और संघ का शताब्दी संकल्प

22 October 2025

गोरखपुर के पावन मंच से जब योगी आदित्यनाथ ने यह कहा कि राजनीतिक इस्लाम ने सनातन धर्म को सबसे बड़ा झटका दिया है, तो यह...

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