TFIPOST English
TFIPOST Global
tfipost.in
tfipost.in
कोई परिणाम नहीं मिला
सभी परिणाम देखें
  • राजनीति
    • सभी
    • चर्चित
    • बिहार डायरी
    • मत
    • समीक्षा
    ऑपरेशन सिंदूर 2:0

    दिल्ली धमाका और PoK के नेता का कबूलनामा: क्या भारत के लिए ‘ऑपरेशन सिंदूर 2.0’ का समय आ गया है?

    शशि थरूर पीएम की तारीफ कर अपनी ही पार्टी के अंदर निशाने पर आ गए हैं

    कांग्रेस का नया नियम यही है कि चाहे कुछ भी हो जाए पीएम मोदी/बीजेपी का हर क़ीमत पर विरोध ही करना है?

    सुप्रीम कोर्ट ने साफ़ किया है कि राष्ट्रपति या गवर्नर को किसी भी तय न्यायिक समयसीमा के भीतर बिलों पर मंजूरी देने के लिए बाध्य नहीं किया जा सकता।

    विधेयकों को मंजूरी देने के लिए समयसीमा से बाध्य नहीं हैं राष्ट्रपति और राज्यपाल , प्रेसिडेंट मुर्मू के सवालों पर सुप्रीम कोर्ट ने क्या जवाब दिया, और ये क्यों महत्वपूर्ण हैं?

    आतंकवाद को भावुकता की आड़ में ढकने की कोशिश

    दिल्ली धमाका: ‘वाइट कॉलर टेरर मॉड्यूल’ की बर्बरता को कैसे ‘ह्यूमनाइज़’ कर रहे हैं  The Wire जैसे मीडिया संस्थान ?

    • चर्चित
    • मत
    • समीक्षा
  • अर्थव्यवस्था
    • सभी
    • वाणिज्य
    • व्यवसाय
    खनन क्षेत्र में बेहतरीन काम के लिए केंद्र सरकार ने धामी सरकार की तारीफ की

    खनन सुधारों में फिर नंबर वन बना उत्तराखंड, बेहतरीन काम के लिए धामी सरकार को केंद्र सरकार से मिली 100 करोड़ रुपये की प्रोत्साहन राशि

    तेल, हीरे और हिंदुस्तान की नई भू-राजनीति: जब अफ्रीका की धरती पर एक साथ गूंजेगी भारत की सभ्यता, रणनीति और शक्ति की आवाज

    तेल, हीरे और हिंदुस्तान की नई भू-राजनीति: जब अफ्रीका की धरती पर एक साथ गूंजेगी भारत की सभ्यता, रणनीति और शक्ति की आवाज

    80% खेती सिंधु पर, तालाब भी नहीं बचे! भारत की जल-नीति और अफगानिस्तान के फैसले ने पाकिस्तान को रेगिस्तान में धकेला, अब न पानी होगा, न रोटी, न सेना की अकड़

    80% खेती सिंधु पर, तालाब भी नहीं बचे! भारत की जल-नीति और अफगानिस्तान के फैसले ने पाकिस्तान को रेगिस्तान में धकेला, अब न पानी होगा, न रोटी, न सेना की अकड़

    हमसे दुश्मनी महंगी पड़ेगी: भारत की सतर्कता और बांग्लादेश की गलती, जानें बांग्लादेश की अर्थव्यवस्था पर कैसे पड़ रही चोट

    हमसे दुश्मनी महंगी पड़ेगी: भारत की सतर्कता और बांग्लादेश की गलती, जानें बांग्लादेश की अर्थव्यवस्था पर कैसे पड़ रही चोट

    • वाणिज्य
    • व्यवसाय
  • रक्षा
    • सभी
    • आयुध
    • रणनीति
    ऑपरेशन सिंदूर 2:0

    दिल्ली धमाका और PoK के नेता का कबूलनामा: क्या भारत के लिए ‘ऑपरेशन सिंदूर 2.0’ का समय आ गया है?

    जैवलिन मिसाइल

    अमेरिका ने भारत को बताया “मेजर डिफेंस पार्टनर”, जैवलिन मिसाइल समेत बड़े डिफेंस पैकेज को दी मंजूरी, पटरी पर लौट रहे हैं रिश्ते ?

    बांग्लादेश और भारत के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकारों की मुलाकात

    ‘हसीना’ संकट के बीच NSA अजित डोभाल की बांग्लादेश के NSA से मुलाकात के मायने क्या हैं?

    बांग्लादेश बन सकता है भारत के लिए नया संकट

    ISI और ARASA बांग्लादेश में कैसे रच रहे हैं क्षेत्रीय सुरक्षा को कमज़ोर करने की साजिश?

    • आयुध
    • रणनीति
  • विश्व
    • सभी
    • AMERIKA
    • अफ्रीका
    • अमेरिकाज़
    • एशिया पैसिफिक
    • यूरोप
    • वेस्ट एशिया
    • साउथ एशिया
    दिल्ली ब्लास्ट के बाद पाकिस्तान में हड़कंप: असीम मुनीर की सेना हाई अलर्ट पर, एयर डिफेंस सक्रिय, भारत की ताकत और रणनीति ने आतंकियों और पड़ोसी को किया सतर्क

    दिल्ली ब्लास्ट के बाद पाकिस्तान में हड़कंप: असीम मुनीर की सेना हाई अलर्ट पर, एयर डिफेंस सक्रिय, भारत की ताकत और रणनीति ने आतंकियों और पड़ोसी को किया सतर्क

    राजनाथ सिंह ने दिखाया आईना, यूनुस को लगी मिर्ची: बांग्लादेश की नई दिशा, भारत की नई नीति

    राजनाथ सिंह ने दिखाया आईना, यूनुस को लगी मिर्ची: बांग्लादेश की नई दिशा, भारत की नई नीति

    आईएनएस सह्याद्री गुआम में: भारत की नौसेना का बहुपक्षीय सामरिक प्रदर्शन, एंटी-सबमरीन युद्ध क्षमता और एशिया-प्रशांत में नेतृत्व

    आईएनएस सह्याद्री गुआम में: भारत की नौसेना का बहुपक्षीय सामरिक प्रदर्शन, एंटी-सबमरीन युद्ध क्षमता और एशिया-प्रशांत में नेतृत्व

    ढाका में पाकिस्तानी सक्रियता: यूनुस सरकार, नौसेना प्रमुख की यात्रा और भारत की पूर्वोत्तर सुरक्षा पर खतरे की समीक्षा

    ढाका में पाकिस्तानी सक्रियता: यूनुस सरकार, नौसेना प्रमुख की यात्रा और भारत की पूर्वोत्तर सुरक्षा पर खतरे की समीक्षा

    • अफ्रीका
    • अमेरिकाज़
    • एशिया पैसिफिक
    • यूरोप
    • वेस्ट एशिया
    • साउथ एशिया
  • ज्ञान
    • सभी
    • इतिहास
    • संस्कृति
    How to Build a Home You Will Love for the Next Ten Years: Timeless Design Principles

    How to Build a Home You Will Love for the Next Ten Years: Timeless Design Principles

    नेहरू 14 दिनों में ही नाभा जेल से निकल आए थेन

    जन्मदिवस विशेष: नाभा जेल में नेहरू की बदबूदार कोठरी और बाहर निकलने के लिए अंग्रेजों को दिया गया ‘वचनपत्र’v

    अष्टलक्ष्मी की उड़ान: प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में पूर्वोत्तर से उभरती विकास, संस्कृति और आत्मगौरव की नई कहानी

    अष्टलक्ष्मी की उड़ान: प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में पूर्वोत्तर से उभरती विकास, संस्कृति और आत्मगौरव की नई कहानी

    वंदे मातरम्, विभाजन की मानसिकता और मोदी का राष्ट्रवादी दृष्टिकोण – इतिहास, संस्कृति और आत्मगौरव का विश्लेषण

    वंदे मातरम्, विभाजन की मानसिकता और मोदी का राष्ट्रवादी दृष्टिकोण – इतिहास, संस्कृति और आत्मगौरव का विश्लेषण

    • इतिहास
    • संस्कृति
  • बैठक
    • सभी
    • खेल
    • चलचित्र
    • तकनीक
    • भोजन
    • व्यंग
    • स्वास्थ्य
    नीतीश कुमार

    जेडी(यू) के ख़िलाफ़ एंटी इन्कंबेसी क्यों नहीं होती? बिहार में क्यों X फैक्टर बने हुए हैं नीतीश कुमार?

    क्यों PariPesa भारत रोमांचक एविएटर क्रैश गेम्स का अनुभव लेने के लिए सबसे बेहतरीन जगह है

    क्यों PariPesa भारत रोमांचक एविएटर क्रैश गेम्स का अनुभव लेने के लिए सबसे बेहतरीन जगह है

    भारत की वैज्ञानिक विजय: ‘नैफिथ्रोमाइसिन’, कैंसर और डायबिटीज के मरीजों के उम्मीदों को मिली नई रोशनी, जानें क्यों महत्वपूर्ण है ये दवा

    आत्मनिर्भर भारत की वैज्ञानिक विजय: ‘नैफिथ्रोमाइसिन’, कैंसर और डायबिटीज के मरीजों के उम्मीदों को मिली नई रोशनी, जानें क्यों महत्वपूर्ण है ये दवा

    PariPesa के सर्वश्रेष्ठ भारतीय ऑनलाइन गेम्स

    PariPesa के सर्वश्रेष्ठ भारतीय ऑनलाइन गेम्स

    • खेल
    • चलचित्र
    • तकनीक
    • भोजन
    • व्यंग
    • स्वास्थ्य
  • प्रीमियम
tfipost.in
  • राजनीति
    • सभी
    • चर्चित
    • बिहार डायरी
    • मत
    • समीक्षा
    ऑपरेशन सिंदूर 2:0

    दिल्ली धमाका और PoK के नेता का कबूलनामा: क्या भारत के लिए ‘ऑपरेशन सिंदूर 2.0’ का समय आ गया है?

    शशि थरूर पीएम की तारीफ कर अपनी ही पार्टी के अंदर निशाने पर आ गए हैं

    कांग्रेस का नया नियम यही है कि चाहे कुछ भी हो जाए पीएम मोदी/बीजेपी का हर क़ीमत पर विरोध ही करना है?

    सुप्रीम कोर्ट ने साफ़ किया है कि राष्ट्रपति या गवर्नर को किसी भी तय न्यायिक समयसीमा के भीतर बिलों पर मंजूरी देने के लिए बाध्य नहीं किया जा सकता।

    विधेयकों को मंजूरी देने के लिए समयसीमा से बाध्य नहीं हैं राष्ट्रपति और राज्यपाल , प्रेसिडेंट मुर्मू के सवालों पर सुप्रीम कोर्ट ने क्या जवाब दिया, और ये क्यों महत्वपूर्ण हैं?

    आतंकवाद को भावुकता की आड़ में ढकने की कोशिश

    दिल्ली धमाका: ‘वाइट कॉलर टेरर मॉड्यूल’ की बर्बरता को कैसे ‘ह्यूमनाइज़’ कर रहे हैं  The Wire जैसे मीडिया संस्थान ?

    • चर्चित
    • मत
    • समीक्षा
  • अर्थव्यवस्था
    • सभी
    • वाणिज्य
    • व्यवसाय
    खनन क्षेत्र में बेहतरीन काम के लिए केंद्र सरकार ने धामी सरकार की तारीफ की

    खनन सुधारों में फिर नंबर वन बना उत्तराखंड, बेहतरीन काम के लिए धामी सरकार को केंद्र सरकार से मिली 100 करोड़ रुपये की प्रोत्साहन राशि

    तेल, हीरे और हिंदुस्तान की नई भू-राजनीति: जब अफ्रीका की धरती पर एक साथ गूंजेगी भारत की सभ्यता, रणनीति और शक्ति की आवाज

    तेल, हीरे और हिंदुस्तान की नई भू-राजनीति: जब अफ्रीका की धरती पर एक साथ गूंजेगी भारत की सभ्यता, रणनीति और शक्ति की आवाज

    80% खेती सिंधु पर, तालाब भी नहीं बचे! भारत की जल-नीति और अफगानिस्तान के फैसले ने पाकिस्तान को रेगिस्तान में धकेला, अब न पानी होगा, न रोटी, न सेना की अकड़

    80% खेती सिंधु पर, तालाब भी नहीं बचे! भारत की जल-नीति और अफगानिस्तान के फैसले ने पाकिस्तान को रेगिस्तान में धकेला, अब न पानी होगा, न रोटी, न सेना की अकड़

    हमसे दुश्मनी महंगी पड़ेगी: भारत की सतर्कता और बांग्लादेश की गलती, जानें बांग्लादेश की अर्थव्यवस्था पर कैसे पड़ रही चोट

    हमसे दुश्मनी महंगी पड़ेगी: भारत की सतर्कता और बांग्लादेश की गलती, जानें बांग्लादेश की अर्थव्यवस्था पर कैसे पड़ रही चोट

    • वाणिज्य
    • व्यवसाय
  • रक्षा
    • सभी
    • आयुध
    • रणनीति
    ऑपरेशन सिंदूर 2:0

    दिल्ली धमाका और PoK के नेता का कबूलनामा: क्या भारत के लिए ‘ऑपरेशन सिंदूर 2.0’ का समय आ गया है?

    जैवलिन मिसाइल

    अमेरिका ने भारत को बताया “मेजर डिफेंस पार्टनर”, जैवलिन मिसाइल समेत बड़े डिफेंस पैकेज को दी मंजूरी, पटरी पर लौट रहे हैं रिश्ते ?

    बांग्लादेश और भारत के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकारों की मुलाकात

    ‘हसीना’ संकट के बीच NSA अजित डोभाल की बांग्लादेश के NSA से मुलाकात के मायने क्या हैं?

    बांग्लादेश बन सकता है भारत के लिए नया संकट

    ISI और ARASA बांग्लादेश में कैसे रच रहे हैं क्षेत्रीय सुरक्षा को कमज़ोर करने की साजिश?

    • आयुध
    • रणनीति
  • विश्व
    • सभी
    • AMERIKA
    • अफ्रीका
    • अमेरिकाज़
    • एशिया पैसिफिक
    • यूरोप
    • वेस्ट एशिया
    • साउथ एशिया
    दिल्ली ब्लास्ट के बाद पाकिस्तान में हड़कंप: असीम मुनीर की सेना हाई अलर्ट पर, एयर डिफेंस सक्रिय, भारत की ताकत और रणनीति ने आतंकियों और पड़ोसी को किया सतर्क

    दिल्ली ब्लास्ट के बाद पाकिस्तान में हड़कंप: असीम मुनीर की सेना हाई अलर्ट पर, एयर डिफेंस सक्रिय, भारत की ताकत और रणनीति ने आतंकियों और पड़ोसी को किया सतर्क

    राजनाथ सिंह ने दिखाया आईना, यूनुस को लगी मिर्ची: बांग्लादेश की नई दिशा, भारत की नई नीति

    राजनाथ सिंह ने दिखाया आईना, यूनुस को लगी मिर्ची: बांग्लादेश की नई दिशा, भारत की नई नीति

    आईएनएस सह्याद्री गुआम में: भारत की नौसेना का बहुपक्षीय सामरिक प्रदर्शन, एंटी-सबमरीन युद्ध क्षमता और एशिया-प्रशांत में नेतृत्व

    आईएनएस सह्याद्री गुआम में: भारत की नौसेना का बहुपक्षीय सामरिक प्रदर्शन, एंटी-सबमरीन युद्ध क्षमता और एशिया-प्रशांत में नेतृत्व

    ढाका में पाकिस्तानी सक्रियता: यूनुस सरकार, नौसेना प्रमुख की यात्रा और भारत की पूर्वोत्तर सुरक्षा पर खतरे की समीक्षा

    ढाका में पाकिस्तानी सक्रियता: यूनुस सरकार, नौसेना प्रमुख की यात्रा और भारत की पूर्वोत्तर सुरक्षा पर खतरे की समीक्षा

    • अफ्रीका
    • अमेरिकाज़
    • एशिया पैसिफिक
    • यूरोप
    • वेस्ट एशिया
    • साउथ एशिया
  • ज्ञान
    • सभी
    • इतिहास
    • संस्कृति
    How to Build a Home You Will Love for the Next Ten Years: Timeless Design Principles

    How to Build a Home You Will Love for the Next Ten Years: Timeless Design Principles

    नेहरू 14 दिनों में ही नाभा जेल से निकल आए थेन

    जन्मदिवस विशेष: नाभा जेल में नेहरू की बदबूदार कोठरी और बाहर निकलने के लिए अंग्रेजों को दिया गया ‘वचनपत्र’v

    अष्टलक्ष्मी की उड़ान: प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में पूर्वोत्तर से उभरती विकास, संस्कृति और आत्मगौरव की नई कहानी

    अष्टलक्ष्मी की उड़ान: प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में पूर्वोत्तर से उभरती विकास, संस्कृति और आत्मगौरव की नई कहानी

    वंदे मातरम्, विभाजन की मानसिकता और मोदी का राष्ट्रवादी दृष्टिकोण – इतिहास, संस्कृति और आत्मगौरव का विश्लेषण

    वंदे मातरम्, विभाजन की मानसिकता और मोदी का राष्ट्रवादी दृष्टिकोण – इतिहास, संस्कृति और आत्मगौरव का विश्लेषण

    • इतिहास
    • संस्कृति
  • बैठक
    • सभी
    • खेल
    • चलचित्र
    • तकनीक
    • भोजन
    • व्यंग
    • स्वास्थ्य
    नीतीश कुमार

    जेडी(यू) के ख़िलाफ़ एंटी इन्कंबेसी क्यों नहीं होती? बिहार में क्यों X फैक्टर बने हुए हैं नीतीश कुमार?

    क्यों PariPesa भारत रोमांचक एविएटर क्रैश गेम्स का अनुभव लेने के लिए सबसे बेहतरीन जगह है

    क्यों PariPesa भारत रोमांचक एविएटर क्रैश गेम्स का अनुभव लेने के लिए सबसे बेहतरीन जगह है

    भारत की वैज्ञानिक विजय: ‘नैफिथ्रोमाइसिन’, कैंसर और डायबिटीज के मरीजों के उम्मीदों को मिली नई रोशनी, जानें क्यों महत्वपूर्ण है ये दवा

    आत्मनिर्भर भारत की वैज्ञानिक विजय: ‘नैफिथ्रोमाइसिन’, कैंसर और डायबिटीज के मरीजों के उम्मीदों को मिली नई रोशनी, जानें क्यों महत्वपूर्ण है ये दवा

    PariPesa के सर्वश्रेष्ठ भारतीय ऑनलाइन गेम्स

    PariPesa के सर्वश्रेष्ठ भारतीय ऑनलाइन गेम्स

    • खेल
    • चलचित्र
    • तकनीक
    • भोजन
    • व्यंग
    • स्वास्थ्य
  • प्रीमियम
कोई परिणाम नहीं मिला
सभी परिणाम देखें
tfipost.in
tfipost.in
कोई परिणाम नहीं मिला
सभी परिणाम देखें
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • रक्षा
  • विश्व
  • ज्ञान
  • बैठक
  • प्रीमियम

देशभक्त बटुकेश्वर दत्त: शहीद भगत सिंह के साथ आज़ादी की लड़ाई लड़ी, फिर भी इन्हें भुला दिया गया

ये हैं देश के वो वीर जिन्हें अनदेखा किया गया

Animesh Pandey द्वारा Animesh Pandey
20 July 2019
in इतिहास
बटुकेश्वर दत्त

PC: TopYaps

Share on FacebookShare on X

ये कथा है अमर हुतात्मा बटुकेश्वर दत्त की : 

8 अप्रैल 1929। तत्कालीन इम्पीरियल लेजिस्लेटिव काउन्सिल के निचले सदन, यानि सेंट्रल लेजिस्लेटिव असेम्बली सदस्यों और दर्शकों से भरा हुआ था। उस दिन दो अहम बिल – पब्लिक सेफ्टी बिल और ट्रेड डिस्प्यूट बिल पर चर्चा होनी थी। हालांकि, ये चर्चा तो महज औपचारिकता थी, अंग्रेज़ों ने इन दोनों बिल को पारित कराने की पूरी व्यवस्था कर ली थी। भारत के तत्कालीन सेक्रेटरी ऑफ स्टेट के प्रतिनिधि सर जॉर्ज शूस्टर ब्रिटिश सरकार का मत रखने के लिए उठे ही थे कि अचानक असेम्बली में एक के बाद एक दो बम फोड़े गए।

संबंधितपोस्ट

How to Build a Home You Will Love for the Next Ten Years: Timeless Design Principles

दिल्ली धमाका और PoK के नेता का कबूलनामा: क्या भारत के लिए ‘ऑपरेशन सिंदूर 2.0’ का समय आ गया है?

कांग्रेस का नया नियम यही है कि चाहे कुछ भी हो जाए पीएम मोदी/बीजेपी का हर क़ीमत पर विरोध ही करना है?

और लोड करें

बम की आवाज़ से पूरे सदन में खौफ छा गया और लोग अफरा-तफरी में इधर-उधर भागने लगे। लेकिन यदि कोई नहीं भागा, तो वे थे दर्शक दीर्घा में बैठे दो युवक। खाकी की कमीज़ और शॉर्ट्स पहन के आए इन दो युवकों ने इसी भगदड़ में लाला रंग की पर्चियां फेंकनी प्रारम्भ की और पूरा सदन ‘इंकलाब ज़िंदाबाद’ एवं ‘साम्राज्यवाद मुर्दाबाद’ के नारों से गूंज उठा। पुलिस के आने के बाद भी ये दोनों युवकों अपनी जगह से टस से मस भी नहीं हुए, और बिना झिझके पुलिस के सामने समर्पण किया।

इनमें से एक युवक बाद में करोड़ों युवाओं की प्रेरणा, और अमर हुतात्मा भगत सिंह के रूप में सदा के लिए अमर हो गए। परंतु दूसरा युवक भगत जैसे वीर और प्रतिभावान होने के बाद भी गुमनामी के अंधकार में सदा के लिए खो गए। ये कथा है अमर हुतात्मा बटुकेश्वर दत्त की, जिन्होंने असेम्बली में बम फोड़ने में भगत सिंह का साथ दिया था, और जिनकी आज 54वीं पुण्यतिथि है।

वीर बटुकेश्वर दत्त जीवन परिचय

बटुकेश्वर दत्त का जन्म 18 नवंबर 1910 को पश्चिम बंगाल के पूर्बा बर्धमान जिले के औरी ग्राम में हुआ था। अपना बचपन बर्धमान जिले में बिताने के बाद ये कानपुर आए, जहां उन्होंने पहले पीपीएन हाइ स्कूल से अपना हाईस्कूल और फिर पीपीएन कॉलेज से अपना स्नातक पूरा किया।

यहीं पर 1923 में बटुकेश्वर की मुलाक़ात भगत सिंह से हुई थी, जो उस समय विवाह से बचने के लिए कानपुर भाग आए थे। भगत सिंह और अजय घोष के साथ उन्होंने तत्कालीन हिंदुस्तान रिपब्लिकन असोसीएशन [एचआरए] की सदस्यता ग्रहण की, जिसके संस्थापकों में योगेश चन्द्र चटर्जी, शचीन्द्रनाथ बख्शी, रामप्रसाद बिस्मिल इत्यादि शामिल थे।

बटुकेश्वर दत्त पहले एचआरए और उसके पश्चात हिंदुस्तान सोशलिस्ट रिपब्लिकन एसोसिएशन [एचएसआरए] के अहम सदस्य थे। अंग्रेज ऑफिसर जेपी सॉन्डर्स को मार गिराने के पश्चात जब कलकत्ता में सभी सदस्य इकट्ठा हुए थे. इसी दौरान बटुकेश्वर दत्त ने यतीन्द्रनाथ दास [जतिन दास] को एचएसआरए में शामिल कराने का सुझाव दिया, क्योंकि वे बम बनाने में काफी कुशल थे। जतिन के अंतर्गत एचएसआरए के कई सदस्यों ने बम बनाने में प्रशिक्षण लिया था।

उस समय ब्रिटिश राज के विरुद्ध विद्रोह को दबाने के लिए तत्कालीन सरकार ने डिफेन्स ऑफ इंडिया एक्ट 1915 को मजबूत बनाने के लिए दो बिलों को सदन में पारित कराने का निर्णय लिया। जहां पब्लिक सेफ़्टी बिल के जरिये किसी भी व्यक्ति को बिना सूचना के हिरासत में लिया जा सकता था, वहीं ट्रेड डिसप्यूट बिल के सहारे सरकारी हस्तक्षेप के विरोधस्वरूप होने वाली हड़तालों पर लगाम लगाई जा सकती थी।

इसी के विरोधस्वरूप भगत सिंह ने एक फ़्रांसिसी कट्टरवादी Auguste Vaillant [जिसने पेरिस के Chamber of Deputies पर बम फेखा था] से प्रेरित हो असेम्बली में बम फोड़ने का प्रस्ताव रखा। इसके लिए पहले एचएसआरए ने राम सरन दास और बटुकेश्वर दत्त को चुना, लेकिन सुखदेव के विरोध के पश्चात भगत सिंह और बटुकेश्वर दत्त को असेम्बली में बम फोड़ने के लिए चुना गया था।

असेम्बली के बम कांड के बाद बटुकेश्वर दत्त और भगत सिंह को अलग-अलग जेलों में रखा गया, ताकि वे किसी भी जेल में अंग्रेज़ी शासन के विरुद्ध कोई विद्रोह न कर सकें।  बटुकेश्वर दत्त पर दिल्ली के सेशन्स कोर्ट में मुकदमा चला गया, जहां पर भगत सिंह और बटुकेश्वर दत्त को आईपीसी की धारा 307 और विस्फोटक अधिनियम 1884 की धारा 4 के अंतर्गत सजा सुनाई गयी थी. भगत सिंह को सांडर्स की हत्या के लिए फांसी की सजा हुई तो बटुकेश्वर दत्त कप काला पानी की सजा मिली यानि कि आजीवन कारावास की सज़ा सुनाई गयी। बटुकेश्वर दत्त पर लाहौर षड़यंत्र केस’ का मुक़दमा चलाया गया था, परंतु वहां  इनके विरुद्ध कोई ठोस प्रमाण नहीं मिल पाये।

जहां भगत सिंह और सुखदेव, राजगुरु को 23 मार्च 1931 को फांसी पर लटका दिया गया था, तो वहीं बटुकेश्वर दत्त को पहले सेल्यूलर जेल और फिर भारत छोड़ो आंदोलन में भाग लेने के नाते मोतीहारी जेल में सजा काटनी पड़ी, जिसके कारण उन्हें क्षय रोग [टीबी] की बीमारी हो गयी। भारत की स्वतन्त्रता के पश्चात उन्होंने अंजलि नामा की एक महिला से नवम्बर 1947 में विवाह किया था।

हालांकि, जिस देश के लिए बटुकेश्वर दत्त ने अपना सर्वस्व अर्पण कर दिया, उस देश का स्वतंत्र प्रशासन ने उन्हें एक सम्मानजनक नौकरी भी नहीं दे पाया। बटुकेश्वर दत्त ने कई नौकरियाँ की, जैसे एक सिगरेट कंपनी का एजेंट होना, या फिर एक छोटी सी बिस्कुट एवं ब्रेड [डबलरोटी] का कारख़ाना खोलना, या फिर परिवहन के क्षेत्र में अपने हाथ आजमाना, जिसमें से दुर्भाग्यवश उन्हें किसी में भी सफलता हाथ नहीं लगी।

जब क्षय रोग के कारण उनकी हालत बिगडती गयी, तो उन्हें पटना के एक अस्पताल में भर्ती कराया गया था, जहां इनकी हालत देखकर व्यथित पत्रकार मित्र चमनलाल आज़ाद ने एक लेख में लिखा, ‘क्या बटुकेश्वर दत्त जैसे कांतिकारी को भारत में जन्म लेना चाहिए? परमात्मा ने इतने महान शूरवीर को हमारे देश में जन्म देकर भारी भूल की है। खेद की बात है कि जिस व्यक्ति ने देश को स्वतंत्र कराने के लिए प्राणों की बाजी लगा दी और जो फांसी से बाल-बाल बच गया, वह आज नितांत दयनीय स्थिति में अस्पताल में पड़ा एडियां रगड़ रहा है और उसे कोई पूछने वाला नहीं है।‘

इस लेख के प्रकाशित होने पर पूरे प्रशासन में हड़कंप मच गया और आजाद, के अलावा तत्कालीन  केंद्रीय गृहमंत्री गुलजारी लाल नंदा और पंजाब के मंत्री भीमलाल सच्चर बटुकेश्वर से मिले। पंजाब सरकार ने तो एक हजार रुपए का चेक बिहार सरकार को भेजकर राज्य के तत्कालीन मुख्यमंत्री केबी सहाय को यह भी लिखा कि यदि वे उनका इलाज कराने में सक्षम नहीं हैं तो वह उनका दिल्ली या चंडीगढ़ में इलाज का व्यय वहन करने को तैयार हैं।

बटुकेश्वर की हालत बिगड़ती चली गयी, क्योंकि उन्हें सही इलाज नहीं मिल पाया था और 22 नवंबर 1964 को उन्हें दिल्ली लाया गया। दिल्ली पहुंचने पर उन्होंने पत्रकारों से कहा, ‘मुझे स्वप्न में भी ख्याल न था कि मैं उस दिल्ली में जहां मैने बम डाला था, एक अपाहिज की तरह स्ट्रेचर पर लाया जाउंगा।‘ उन्हें पहले सफदरजंग अस्पताल और बाद में उच्च स्तर की सुविधा के लिए 11 दिसंबर को उन्हें एम्स में भर्ती किया गया।

लेकिन फिर पता चला कि दत्त बाबू को कैंसर है और उनकी जिंदगी के चंद दिन ही शेष बचे हैं। भीषण वेदना झेल रहे बटुकेश्वर दत्त के चेहरे पर एक शिकन नहीं थी। बटुकेश्वर ने प्रसिद्ध फिल्म अभिनेता मनोज कुमार की बहुप्रतीक्षित फिल्म ‘शहीद’ के लिए पटकथा भी लिखी, जिसके लिए उन्हें मरणोपरांत राष्ट्रीय पुरुस्कार भी मिला।

उनकी अंतिम इच्छा पूछने पर बटुकेश्वर ने इतना ही कहा, ‘मेरा अंतिम संस्कार फ़िरोज़पुर के हुस्सैनीवाला में स्थित उसी समाधि पर किया जाये, जहां भगत सिंह, सुखदेव और राजगुरु की अंत्येष्टि हुई थी।‘ अंतत: काफी समय तक क्षय रोग और कैंसर की दोहरी मार से जूझने के बाद 20 जुलाई 1965 को बटुकेश्वर दत्त ने अंतिम सांस ली। उनकी इच्छा अनुसार उनका अंतिम संस्कार फिरोजपुर के हुसैनीवाला बाग में ही कराया गया।

ये बड़ी ही विडम्बना की बात है कि जिस क्रांतिकारी ने भगत सिंह के साथ कदम से कदम मिलाकर देश की स्वतन्त्रता में अपना छोटा, परंतु अहम योगदान दिया था, उसे अंत समय में उचित सुविधाएं भी नहीं मिली। ऐसे न जाने कितने आजादी के मतवाले रहे होंगे, जिन्हें स्वतंत्र भारत के प्रशासन ने सम्मान करना तो दूर की बात, उन्हें पहचानने से भी मना कर दिया होगा।

TFI का समर्थन करें:

सांस्कृतिक राष्ट्रवाद की ‘राइट’ विचारधारा को मजबूती देने के लिए TFI-STORE.COM से बेहतरीन गुणवत्ता के वस्त्र क्रय कर हमारा समर्थन करें.

शेयर834ट्वीटभेजिए
पिछली पोस्ट

मुजफ्फरनगर मामला: अखिलेश सरकार ने जानबूझकर हिंदुओं पर लादे 40 फर्जी मामले, अब जाकर मिला इंसाफ

अगली पोस्ट

‘सोनभद्र हिंसा के लिए कांग्रेस पार्टी ही है जिम्मेदार’, सीएम योगी ने प्रियंका की हिपोक्रिसी को किया एक्स्पोज

संबंधित पोस्ट

नेहरू 14 दिनों में ही नाभा जेल से निकल आए थेन
इतिहास

जन्मदिवस विशेष: नाभा जेल में नेहरू की बदबूदार कोठरी और बाहर निकलने के लिए अंग्रेजों को दिया गया ‘वचनपत्र’v

14 November 2025

ऐसे समय में जबकि अपने राष्ट्र नायकों को लेकर भारत में राजनीतिक बहसें तेज़ हो रही हैं,  विचारधाराओं की लड़ाई भी पहले से ज़्यादा गहरी...

वंदे मातरम्, विभाजन की मानसिकता और मोदी का राष्ट्रवादी दृष्टिकोण – इतिहास, संस्कृति और आत्मगौरव का विश्लेषण
इतिहास

वंदे मातरम्, विभाजन की मानसिकता और मोदी का राष्ट्रवादी दृष्टिकोण – इतिहास, संस्कृति और आत्मगौरव का विश्लेषण

10 November 2025

भारत के राजनीतिक और सांस्कृतिक इतिहास में वंदे मातरम् केवल एक गीत नहीं, बल्कि एक चेतना और राष्ट्र की आत्मा का उद्घोष रहा है। यह...

वंदे मातरम्” के 150 वर्ष: बंकिमचंद्र की वेदना से जनमा गीत, जिसने भारत को जगाया और मोदी युग में पुनः जीवित हुआ आत्मगौरव
इतिहास

वंदे मातरम् के 150 वर्ष: बंकिमचंद्र की वेदना से जनमा गीत, जिसने भारत को जगाया और मोदी युग में पुनः जीवित हुआ आत्मगौरव

7 November 2025

भारत के इतिहास में कुछ क्षण ऐसे आते हैं जब एक गीत, एक पंक्ति, या एक विचार समूचे राष्ट्र की आत्मा बन जाता है। वंदे...

और लोड करें

Leave a Reply Cancel reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

I agree to the Terms of use and Privacy Policy.
This site is protected by reCAPTCHA and the Google Privacy Policy and Terms of Service apply.

इस समय चल रहा है

Tejas Under Fire — The Truth Behind the Crash, the Propaganda, and the Facts

Tejas Under Fire — The Truth Behind the Crash, the Propaganda, and the Facts

00:07:45

Why Rahul Gandhi’s US Outreach Directs to a Web of Shadow Controversial Islamist Networks?

00:08:04

How Javelin Missiles Will Enhance India’s Anti-Tank Dominance?

00:06:47

This is How China Spread Disinformation After Operation Sindoor

00:06:27

How DRDO’s New Laser System Can Destroy Drones at 5 KM Range?

00:04:31
फेसबुक एक्स (ट्विटर) इन्स्टाग्राम यूट्यूब
टीऍफ़आईपोस्टtfipost.in
हिंदी खबर - आज के मुख्य समाचार - Hindi Khabar News - Aaj ke Mukhya Samachar
  • About us
  • Careers
  • Brand Partnerships
  • उपयोग की शर्तें
  • निजता नीति
  • साइटमैप

©2025 TFI Media Private Limited

कोई परिणाम नहीं मिला
सभी परिणाम देखें
  • राजनीति
    • चर्चित
    • मत
    • समीक्षा
  • अर्थव्यवस्था
    • वाणिज्य
    • व्यवसाय
  • रक्षा
    • आयुध
    • रणनीति
  • विश्व
    • अफ्रीका
    • अमेरिकाज़
    • एशिया पैसिफिक
    • यूरोप
    • वेस्ट एशिया
    • साउथ एशिया
  • ज्ञान
    • इतिहास
    • संस्कृति
  • बैठक
    • खेल
    • चलचित्र
    • तकनीक
    • भोजन
    • व्यंग
    • स्वास्थ्य
  • प्रीमियम
TFIPOST English
TFIPOST Global

©2025 TFI Media Private Limited