चीन, दुनिया का ऐसा देश जो एक दोस्त की एक्टिंग करने में माहिर है। यह एक दोस्त का मुखौटा पहनकर एक दुश्मन की तरह व्यवहार करता है। ऐसा ही इसने मलेशिया में किया, ऐसा ही इसने मालदीव और श्रीलंका में किया, और अब चीन के इस झांसे को कज़ाकिस्तान के लोगों ने भी समझ लिया है। यही कारण है कि कजाकिस्तान के अलग-अलग शहरों में अब बड़े पैमाने पर चीन के खिलाफ प्रदर्शन हो रहे हैं। लोग इस देश में चीन से इतना गुस्सा है कि वे चीन के साथ नज़दीकियाँ बढ़ा रही अपनी सरकार तक के खिलाफ मोर्चा खोल रहे हैं। वहाँ के लोगों का कहना है कि चीन उनके देश में जो भी निवेश कर रहा है, उसके जरिये चीन सिर्फ अपना प्रभुत्व जमाना चाहता है, और वह निवेश उनके देश में कोई रोजगार नहीं बढ़ा रहा है।
बता दें कि कज़ाकिस्तान एक ऑयल-रिच कंट्री है और यही कारण है कि चीन इस देश को आर्थिक तौर से हाईजैक करने के मिशन पर है। वर्ष 2019 के पहले छह महीनों में ही चीन कजाकिस्तान-चीन पाइपलाइन के माध्यम से लगभग 6 मिलियन टन कच्चे तेल का आयात कर चुका है। इसी दिशा में चीन कज़ाकिस्तान में नई 50 फैक्ट्रियाँ लगाने पर भी विचार कर रहा है। हालांकि, कज़ाकिस्तान के लोगों का मानना है कि इसके जरिये कज़ाकिस्तान पर चीन अपना ज़रूरत से ज़्यादा आर्थिक प्रभाव जमाना चाहता है। इन सभी विरोध प्रदर्शनों ने फरवरी में चुने गए कजाकिस्तान के प्रधानमंत्री की मुश्किलों को बढ़ा दिया है।
चीन के खिलाफ ये विरोध प्रदर्शन कजाकिस्तान के जानाओज़ेन (Zhanaozen) में शुरू हुए थे, जो अब इस देश के अक्तोब, अलमाटी, शिम्केंट और राजधानी नूर-सुल्तान जैसे शहरों में भी फैल चुके हैं। इन सभी विरोध प्रदर्शनों के केंद्र में कज़ाकिस्तान सरकार के द्वारा हाल ही में लाया गया लैंड कोड है। इस लैंड कोड के तहत कज़ाकिस्तान सरकार किसी भी अन्य देश को अपनी ज़मीन 25 सालों के लिए लीज़ पर दे सकती है। लोगों को डर है कि इस लैंड कोड के तहत चीनी कंपनियों को वहाँ की ज़मीन दे दी जाएगी जिसके कारण चीन का इस देश में बेहद ज़्यादा दख्ल बढ़ जाएगा। इसके अलावा कजाकिस्तान के लोग चीन द्वारा शिंजियांग प्रांत में बड़े पैमाने पर हो रहे ऊईगर मुसलमानों पर अत्याचार के खिलाफ भी भड़के हुए हैं। अभी कजाकिस्तान में लगभग 4 लाख ऊईगर मुसलमान रहते हैं जो चीन से भागकर आए हैं। कजाकिस्तान के लोगों में शिंजियांग प्रांत में रहे रहे ऊईगर मुसलमानों के प्रति संवेदना है क्योंकि शिंजियांग में अभी लगभग 2 मिलियन कजाक मुसलमान रहते हैं। ऐसे में चीन के लिए इस देश में उत्पन्न हो रही स्थितियाँ बेहद चिंताजनक हैं क्योंकि चीन मध्य एशियाई देशों में अपने बीआरआई प्रोजेक्ट को विकसित करना चाहता है, और कजाकिस्तान उसका एक बेहद महत्वपूर्ण हिस्सा है।
कजाकिस्तान में चीन के विरोध के साथ ही इस देश में भारत के लिए भी अवसर पैदा हो रहे हैं। भारत भी इस देश में निवेश कर रहा है और अगर भारत सरकार इस देश पर फोकस करती है तो जल्द ही इस देश में चीन के प्रभाव को टक्कर दे सकती है। अभी भारत सरकार कज़ाकिस्तान में पेट्रोकेमिकल और हाइड्रोकार्बन क्षेत्र में निवेश करने पर विचार कर रहा है। इसके अलावा कजाकिस्तान भारत को यूरेनियम की संप्लाई भी करता है, यानि इन देशों में न्यूक्लियर क्षेत्र में भी सहयोग के काफी अवसर मौजूद हैं। अभी भारत के नेतृत्व में बन रहे ‘इन्टरनेशनल सोलर अल्लाइंस’ में भी भारत ने कजाकिस्तान को इसका मेम्बर बनने का प्रस्ताव भेजा है।
इसके अलावा कजाकिस्तान अशगाबात समझौते का भी एक सदस्य देश है जिसका भारत भी एक अहम हिस्सा है। अश्गाबात समझौता मध्य एशिया एवं फारस की खाड़ी के बीच वस्तुओं की आवाजाही को सुगम बनाने वाला एक अंतरराष्ट्रीय परिवहन एवं पारगमन गलियारा है। भारत इस समझौते की मदद से भी कज़ाकिस्तान के साथ अपने व्यापार सम्बन्धों को और बढ़ा सकता है। कुल मिलाकर अब मालदीव, श्रीलंका के बाद अब भारत के पास कजाकिस्तान को भी चीन के प्रभुत्व से आज़ाद करवाने का एक सुनहरा मौका है और भारत को यह मौका गंवाना नहीं चाहिए।