प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पिछले कई महीनों से आत्मनिर्भर भारत अभियान के अंतर्गत कई वस्तुओं के उत्पादन के परिप्रेक्ष्य में भारत को आत्मनिर्भर बनाने पर जोर दे रहे हैं। इसी विषय में उन्होंने कल ‘मन की बात’ के जरिए जनता से संवाद के दौरान दीपावली की खरीदारी के समय, एक बार फिर ‘VocalForLocal’ के नारे पर जोर देने को कहा। लेकिन पीएम मोदी को क्या पता था कि उनके इस नारे को भारतीय जनता एक अलग ही स्तर पर ले जाएगी। यदि सब कुछ सही रहा, तो दशकों में पहली बार चीन-मुक्त दीपावली मनेगी, यानि चीनी उत्पादों से मुक्त दिवाली मनेगी।
ये हम नहीं कह रहे, बल्कि पिछले कुछ महीने के आर्थिक आँकड़े स्वयं इस बात की पुष्टि कर रहे हैं। फाइनेंशियल एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार, “इस बार चीनी निर्यातकर्ताओं को दीपावली के अवसर पर 40000 करोड़ रुपये का झटका लग सकता है, क्योंकि भारतीय व्यापारियों ने चीन के विरुद्ध कमर कस ली है। CAIT के राष्ट्रीय अध्यक्ष बीसी भरतिया एवं महासचिव प्रवीण खण्डेलवाल द्वारा जारी बयान के अनुसार दीपावली पर प्रतिवर्ष किए गए 70000 करोड़ रुपये मूल्य के व्यापार में 40000 करोड़ रुपये का व्यापार अकेले चीन से किया जाता था। चूंकि इस बार चीन ने अपनी सारी हदें पार की हैं इसके कारण अब देश के नागरिक चीन से सामान न खरीदने को बाध्य हुए हैं।”
इसकी नींव पिछले वर्ष ही पड़ गई थी, जब CAIT के नेतृत्व में चीन के व्यापार को दीपावली पर बहिष्कृत कर करीब 60 प्रतिशत तक नुकसान पहुंचाने की बात की गई थी। दैनिक भास्कर की रिपोर्ट के अनुसार, “एक अनुमान के मुताबिक, दिवाली के दौरान 2018 में बेचे जाने वाले चीनी सामानों का मूल्य लगभग 8000 करोड़ रुपए था, जबकि साल 2019 में दीपावली के त्योहार पर चीनी सामानों की बिक्री लगभग 3200 करोड़ रुपए की हुई।”
लेकिन बात केवल यहीं तक सीमित नहीं रही। इस वर्ष जून माह में गलवान घाटी में चीनी सेना द्वारा किए गए हमले के परिप्रेक्ष्य में CAIT ने एक राष्ट्रव्यापी अभियान चलाने की घोषणा की, जिसके अंतर्गत चीनी सामान के बहिष्कार से चीनी अर्थव्यवस्था को दिसंबर 2021 तक करीब 1 लाख करोड़ रुपये तक का नुकसान पहुंचाने का लक्ष्य रखा गया। जिस प्रकार से CAIT अपने इरादों को अंजाम दे रही है, उसे देखते हुए ये कहना गलत नहीं होगा कि यह लक्ष्य उक्त समय से काफी पहले प्राप्त हो सकता है।
उदाहरण के लिए रक्षाबंधन के ही त्योहार को देख लीजिए। अब तक रक्षाबंधन में चीन का प्रभाव ऐसा था कि राखी के उत्पादन और बिक्री में भी चीन का अच्छा खास वर्चस्व था। लेकिन इस बार चीनी सामान बहिष्कृत करने के अभियान में CAIT ने ये स्पष्ट कर दिया कि किसी भी स्थिति में चीनी उत्पादों का आदान-प्रदान बर्दाश्त नहीं होगा। यह अभियान काफी सफल रहा और दशकों में पहली बार राखी के त्योहार में चीन का प्रभाव न के बराबर रहा, और लगभग 4000 करोड़ का नुकसान चीनी अर्थव्यवस्था को हुआ वो अलग।
ऐसे में जिस प्रकार से CAIT रक्षा बंधन के अपने सफलतम अभियान को दोहराने के लिए प्रतिबद्ध है, उससे स्पष्ट सिद्ध हो रहा है कि अबकि दीपावली दशकों बाद चीनी सामान से मुक्त दीपावली होगी, जिससे चीनी अर्थव्यवस्था को अब एक ऐसा झटका लगेगा, जिससे वो शायद ही उभर पाए।