जिस तरह सच बोलने वाले लोग राजा हरिश्चंद्र को मिसाल मानते है वैसे ही झूठ बोलने वाले अगर The Liar माफ़ कीजिए The Wire और India Today को मिसाल माने तो कोई बड़ी बात नहीं होगी l पिछले कुछ दिनों में Fake News फैला कर कई बार इन्होंने जनता को भ्रमित करने के भरसर प्रयास किए है और इसी कड़ी को जारी रखते हुए इन्होंने इस बार आपनी झूठ की फैक्ट्री में प्रवर्तन निदेशालय (Enforcement Directorate) की ओर से एक दावे को पेश किया जिसे बाद में खुद ED ने ही नकार दिया l
प्रवर्तन निदेशालय ने कुछ मीडिया हाउस द्वारा फैलाई गई अफवाहों को खारिज कर दिया है, जिसमें दावा किया गया कि इस केंद्रीय एजेंसी ने कहा था कि कट्टरपंथी इस्लामी संगठन PFI और भीम आर्मी के बीच कोई संबंध नहीं था। उसी पर News18 की रिपोर्ट का हवाला देते हुए, ED ने कहा, “यह खबर गलत है। वास्तव में ईडी पीएफआई और भीम आर्मी के बीच वित्तीय संबंध की जांच वरिष्ठ PFI अधिकारियों से बरामद हुए, विश्वसनीय साक्ष्यों के आधार पर कर रहा है।”
इंडिया टुडे ने अपनी रिपोर्ट में दावा किया था कि ईडी को पीएफआई और भीम आर्मी के बीच कोई संबंध नहीं मिला है। इंडिया टुडे ने 9 अक्टूबर की अपनी रिपोर्ट में दावा करते हुए लिखा कि, “प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने स्पष्ट किया है कि उन्हें चंद्रशेखर आज़ाद के नेतृत्व वाली भीम आर्मी और पीएफआई के बीच कोई संबंध नहीं मिला है, जिस पर CAA के विरोध प्रदर्शन के दौरान तनाव भड़काने का भी आरोप है।”
News18 ने भी अपनी रिपोर्ट में (जिसे अब हटा दिया गया है) इसी झूठ को दोहराते हुए दावा किया, प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने शुक्रवार को कहा कि चंद्रशेखर आज़ाद के नेतृत्व वाले भीम आर्मी और पॉपुलर फ्रंट ऑफ़ इंडिया (PFI) के बीच उन्हें कोई संबंध नहीं मिला है । एजेंसी ने यह भी दावा किया कि हाथरस मामले के जरिये हिंसा भड़काने के लिए कथित विदेशी फंडिंग के जरिए 100 करोड़ रुपये का लेन-देन हुआ था, जो अब बरामद किए गए है। ”
द वायर ने भी दावा किया कि ईडी ने पीएफआई और भीम आर्मी के बीच संबंधों की अटकलों को खारिज कर दिया है।
इस पर अपना रुख साफ़ करते हुए “ईडी ने कहा कि 100 करोड़ रुपये बरामद होने की बात असत्य है। यूपी के पूर्व डीजीपी बृज लाल ने दावा किया कि ईडी का स्पष्टीकरण उस समय आया जब भीम आर्मी और अन्य संगठन हाथरस घटना की पीड़िता के परिवार को गुमराह करने की कोशिश कर रहे थे।
ईडी ने जिन संबंधित रिपोर्टों को खारिज कर दिया है, वे अक्टूबर की शुरुआत में ही पब्लिश की गई थी। केवल News18 ने इस रिपोर्ट के ऊपर ED की ओर से जारी की गई सफाई के बाद, इसे वापिस लेकर, अपनी वेबसाइट से हटा दिया है।
यह उदाहरण अपने आप में ही काफी है यह बताने के लिए कि किस प्रकार मुख्यधारा के कुछ मीडिया हाउस अपनी नैतिक जिम्मेदारी का परित्याग कर एक संवेदनशील विषय पर Fake News फैलाते हैं।