दुनियाभर की इलेक्ट्रॉनिक मार्केट पर अभी एकतरफ़ा चीन का कब्ज़ा है। अगर Laptops और Tablets की बात करें तो अकेला चीन ही दुनियाभर के 66 प्रतिशत मार्केट शेयर पर अपना कब्ज़ा जमाके बैठा है। हालांकि, अब भारत में सरकार Electronic क्षेत्र में कंपनियों को उत्पादन करने के लिए प्रोत्साहित कर रही है। अगर केंद्र सरकार ऐसे ही महत्वपूर्ण कदम उठाती रहती है तो इस मार्केट शेयर के बड़े हिस्से पर भारत भी अपना कब्ज़ा जमा सकता है, जो न सिर्फ भारत में जॉब्स लेकर आएगा, बल्कि भारत की इकॉनोमी में भी बड़ा योगदान देगा।
India Cellular and Electronics Association यानि ICEA के मुताबिक भारत वर्ष 2025 तक आसानी से अपने यहाँ बने Tablets और Laptops का एक्सपोर्ट करके 100 बिलियन डॉलर का व्यापार कर सकता है। ICEA का यह भी दावा है कि अगर भारत इस क्षेत्र में काम करता है तो भारत में 5लाख अतिरिक्त जॉब्स पैदा होंगी और साथ ही एक बिलियन डॉलर से ज़्यादा निवेश और 75 बिलियन डॉलर की विदेशी मुद्रा का फायदा होगा।
Laptop और Tablets का कोई छोटा-मोटा बाज़ार नहीं है, बल्कि आने वाले पाँच सालों में इसका आकार सालाना 220 बिलियन डॉलर होने का अनुमान है। ICEA का कहना है कि भारत इन चीजों के export नियमों में ढिलाई देकर अपने यहां इनके उत्पादन को प्रोत्साहित कर सकता है। इन दो चीजों के उत्पादन में अभी भारत बेहद पिछड़ा हुआ है, और अभी भारत खुद बड़ी संख्या में इन्हें चीन से ही इम्पोर्ट करता है। Laptops और Tablets के क्षेत्र में पिछले पाँच सालों में ही चीन से भारत में एक्सपोर्ट 42 प्रतिशत बढ़ा है। वर्ष 2019 में हमने करीब 4.21 बिलियन के Laptops और Tablets चीन से इम्पोर्ट किए। अगर भारत को वाकई इस सेक्टर में चीन से मुक़ाबला करना है और अपने यहाँ उत्पादन को सहारा देना है, तो एक केन्द्रित नीति की सख्त आवश्यकता है।
जून महीने में भारत सरकार ने Mobile Manufacturing के लिए तो 6.7 बिलियन डॉलर की एक incentive scheme को लॉन्च किया था। भारत सरकार अभी अपने यहाँ मोबाइल फोन के निर्माण को बढ़ावा देने में लगी है, और यह कोशिश सफ़ल होती दिखाई भी दे रही है। वर्ष 2025 तक भारत Mobile phone क्षेत्र में 133 बिलियन का व्यापार करना चाहता है, जो भारत के आर्थिक विकास में योगदान देगा। अब ICEA की मांग है कि Laptop और Tablet क्षेत्र में भी ऐसा ही किया जाये। भारत इन सेक्टर्स के लिए भी Incentive scheme लॉन्च करके वैश्विक Laptop निर्माताओं और उत्पादकों को आकर्षित कर सकता है।
भारत सरकार पहले ही ‘Make in India’ और ‘आत्मनिर्भर भारत’ जैसे मुहिमों को बढ़ावा दे रही है। भारत में खुद Laptop और Tablets की market का आकार 7 बिलियन सालाना होने का अनुमान है। अमेरिका और यूरोप में इन दो उत्पादों का अच्छा-खासा बाज़ार है और RCEP के इतर भारत अब यूरोप और अमेरिका के साथ ही अपने व्यापार सम्बन्धों को मजबूत करने पर ज़ोर दे रहा है। ऐसे में इन समीकरणों का लाभ देकर भारत अपने यहाँ बड़े वैश्विक खिलाड़ियों को आमंत्रित कर सकता है। भारत सरकार की कोशिशों के बाद अगर आने वाले पाँच सालों में इलेक्ट्रोनिक क्षेत्र में भारत आत्मनिर्भर बन पाता है, तो यह देश की इकॉनमी के लिए किसी वरदान से कम नहीं होगा!