तेलंगाना में तेजी से उभर रही भारतीय जनता पार्टी ने अब मुख्यमंत्री के चंद्रशेखर राव के वर्चस्व को चुनौती देने के लिए ग्रेटर हैदराबाद म्यूनिसिपल कॉर्पोरेशन के चुनावों में खड़े होने की ठान ली है। इस समय GHMC पर टीआरएस का एकछत्र राज्य है, जिसके पास 150 में से 99 सीटें हैं, और उसके बाद ओवैसी के नेतृत्व वाली AIMIM है, जिसके पास 44 सीटें है। अब भाजपा के पास तेलुगु फिल्म उद्योग के प्रसिद्ध अभिनेता पवन कल्याण का भी साथ है।
हाल ही में पवन कल्याण ने एक अहम बयान में कहा, “बिहार और दुब्बक [तेलंगाना के उपचुनाव वाली सीट] में भाजपा की विजय से स्पष्ट होता है कि देश के कोने-कोने में लोगों को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का नेतृत्व चाहिए। मैं आशा करता हूँ कि उनके नेतृत्व में हैदराबाद एक समृद्ध और विकसित शहर के रूप में उभर के सामने आए, और मैं सहृदय प्रार्थना करूंगा कि एक भाजपा उम्मीदवार ही हैदराबाद का मेयर बने।”
पवन कल्याण 2014 में स्थापित जन सेना पार्टी के अध्यक्ष हैं, जिसकी स्थापना हर तेलुगु भाषी व्यक्ति के मुद्दों और उनके अधिकारों के लिए लड़ने के उद्देश्य से हुई थी। तेलुगु फिल्म उद्योग में बेहद प्रसिद्ध होने के अलावा पवन कल्याण उन चंद लोगों में भी शामिल है, जिन्होंने जगन मोहन रेड्डी की सरकार के अंतर्गत हिन्दू मंदिरों की लूट के विरुद्ध अपनी आवाज उठाई।
ऐसे में पवन कल्याण के साथ आने से भाजपा को क्या फायदा होगा? दरअसल, ग्रेटर हैदराबाद अथवा हैदराबाद के पुरातन क्षेत्र में अधिकांश लोग मुसलमान हैं, और यहीं पर ओवैसी भाइयों का गढ़ भी है, जिनके नेतृत्व में कट्टरपंथी इस्लाम को बढ़ावा मिलता है। चूंकि केसीआर पहले ही ओवैसी की चाटुकारिता करता है, इसलिए इस समय यदि कोई हिंदुओं और अन्य गैर मुस्लिमों के लिए लड़ सकता है, तो वो केवल भाजपा है, जिसका जनाधार पिछले दो वर्षों में जबरदस्त तरीके से बढ़ा है।
कुछ ही दिनों पहले GHMC के पूर्व मेयर और पूर्व काँग्रेस नेता कार्तिका रेड्डी ने काँग्रेस छोड़कर भाजपा का दामन थामा था। 2014 तक इस क्षेत्र में काँग्रेस का वर्चस्व था, लेकिन 2016 आते-आते उसकी यहाँ हालत भाजपा से भी बेकार थी, जिसने 2016 के चुनाव में 4 सीटें प्राप्त की थी।
ग्रेटर हैदराबाद इसलिए भी महत्वपूर्ण है क्योंकि 2019 के आम चुनावों में भाजपा इस क्षेत्र में दूसरी सबसे ज्यादा सीटें जीतने वाली पार्टी बनी, और सिकंदराबाद की सीट पर भी कब्जा जमाया। भाजपा ने 17 में से 4 सीटों पर विजय प्राप्त कर तेलंगाना राज्य में न केवल अपनी धाक जमाई, बल्कि मुख्य विपक्षी पार्टी का दर्जा भी प्राप्त किया। हाल ही में हुए उपचुनाव में जिस डुब्बक के सीट पर भाजपा को विजय मिली थी, वह दो अहम क्षेत्रों के बीच स्थित है। एक है गजवेल, जिसका प्रतिनिधित्व करते हैं के चंद्रशेखर राव और दूसरा है सिद्दीपेट, जिसका नेतृत्व कर रहे हैं टी हरीश राव, जो केसीआर के भतीजे के साथ-साथ राज्य के वित्त मंत्री भी हैं। ऐसे में अब पवन कल्याण की सहायता से भाजपा इनके किले में सेंध लगाने के लिए पूरी तरह तैयार है।
GHMC के चुनाव 1 दिसंबर को होंगे और मतगणना 4 दिसंबर को होगी। चूंकि काँग्रेस का अब कोई वजूद नहीं है, इसलिए भाजपा का प्रमुख मुकाबला टीआरएस और एआइएमाइएम से होगा। लेकिन चूंकि दोनों पार्टी ये चुनाव अलग होकर लड़ेंगी, इसलिए भाजपा अब टीआरएस द्वारा हिन्दू मतों के अभियान में सेंध लगाने के लिए पूरी तरह तैयार है। जिस प्रकार से हिंदुओं का AIMIM के गुंडे दिन-रात शोषण करते हैं, वो निस्संदेह टीआरएस के बजाए भाजपा को प्राथमिकता देंगे और अब भाजपा के तेलंगाना में एक सशक्त पार्टी के रूप में उभरने की संभावना और भी ज्यादा प्रबल हो चुकी है।