कुछ दिन पहले ही NCERT इस बात का कोई पुख्ता सबूत नहीं दे पाया था कि मुगलों ने पूजा स्थलों के लिए किसी भी तरह का अनुदान दिया था, या नहीं। NCERT की किताबों में शाहजहां और औरंगजेब को काफी गौरवशाली बताया गया है परंतु इसके कोई पुख्ता सबूत नहीं है। लेखक नीरज अत्री ने अपनी किताब के जरिए कई महत्वपूर्ण खुलासे किए हैं। इस किताब में बताया गया है कि NCERT के पास इस बात का कोई स्रोत नहीं था कि उनकी किताबों में लिखे तथ्यों का कोई स्रोत है या नहीं।। वहीं अब एक अन्य आरटीआई में ये भी कहा गया है कि ये कुतुबमीनार कुतुबुद्दीन ने ही बनवाया था, इसका भी एनसीईआरटी के पास कोई सबूत नहीं है।
Brainwashed Republic नीरज अत्री की ही एक किताब है जिसमें बताया गया है कि कैसे देश के युवाओं का ब्रेनवॉश किया जा रहा है। NCERT की किताबों के जरिए ही वामपंथी देश के छात्रों के बीच अपना एजेंडा चला रहे हैं, जितने भी सामाजिक विज्ञान की पुस्तकें हैं वो ऐसे ही वामपंथी एजेंडा प्रमोट करती रहीं हैं। खास बात ये है कि NCERT की ये लगभग सभी किताबें जेएनयू के वामपंथियों द्वारा ही लिखी गई हैं।
The claim, the question and the reply
aboutQutubMinar @Sanjay_Dixit @SureshChavhanke @madhukishwar @TimesNow @republic @Republic_Bharat @OpIndia_com @ShefVaidya @missionkaali pic.twitter.com/xOL9MHWIYQ— Neeraj Atri (@AtriNeeraj) January 18, 2021
इतिहास, भूगोल, नागरिक शास्त्र की सभी किताबों में वामपंथ का एजेंडा ही दिखता है जिन्हें इरफान हबीब, रोमिला थापर, सतीश चंद्र, विपिन चंद्रा, मृदुला मुखर्जी जैसे वामपंथी लेखकों और स्वघोषित शिक्षकों ने लिखा है। कक्षा 9 की एक पुस्तक जिसका शीर्षक ‘किंग्स एण्ज क्रोनिकल्स’ है। उसमें एक ऐसा पैराग्राफ है जो औरंगजेब और शाहजहां जैसे क्रूर मुगल शासकों की गौरव गाथा गाता दिखाता है। एनसीईआरटी के अनुसार जेएनयू के ऐतिहासिक अध्ययन के विभाग के Associate प्रोफेसर नजफ हैदर द्वारा लिखी गई है। साफ है कि उन्होंने किसी पूर्वानुमान के तहत ही ये सब लिखा है।
सामाजिक विज्ञान की पाठ्य पुस्तक के लिए बनाई गई सदस्यों की कमेटी पर नजर डालेगें तो पता लगेगा कि आधे से ज्यादा कमेटी के लोग जेएनयू के ही हैं। इनके अध्यक्ष सलाहकार और मुख्य सलाहकार वामपंथ की धरती जेएनयू से ही हैं। जिसका उदाहरण नजफ हैदर भी हैं जो जेएनयू के हैं औऱ अपनी किताबों में मुगल शासकों की तारीफों के पुल बांध रहे हैं।
वहीं, जब भी इन किताबों में लिखे तथ्यों के स्रोत पर बात होती है तो NCERT के पास से कोई सबूत नहीं मिलता है, मिलेगा भी कैसे, क्योंकि इन किताबों में तो कल्पनाओं के आधार वामपंथ के एजेंडे के तहत सबकुछ जेएनयू के तथाकथित इतिहाकारों ने लिखा है। सरकारों को इन सभी लेखकों के खिलाफ कार्रवाई करनी चाहिए जो कि छात्रों और युवाओं को भ्रमित कर रहे हैं।
अपनी 2020 की नई शिक्षा नीति के तहत सरकार अपने पाठ्यक्रम का फिर से मूल्यांकन कर रही हैं जिसमें मार्क्सवाद, समाजवाद, नेहरूवाद, ब्रिटिश साम्राज्यवादियों और वामपंथ द्वारा भ्रमित करने वाली विकृतियों को अलग किया जा रहा है जो कि एख सकारात्मक कदम है, लेकिन सरकार को इन वैचारिक आतंकवाद को फैलाने वाले लेखकों पर भी सख्त कार्रवाई करनी चाहिए क्योंकि इन्होंने एक पीढ़ी तक को वामपंथ के ढकोसलों से ओत-प्रोत किया है।