पिछले करीब दो सालों से अमेरिकी विदेश मंत्री का पद संभालने वाले Mike Pompeo अपने कार्यकाल के आखिरी दिनों में भी अमेरिकी विदेश नीति को जी-तोड़ मेहनत के साथ आगे बढ़ा रहे हैं। विदेश मंत्री के तौर पर अपने आखिरी दिनों में उन्होंने चीन के खिलाफ एक भीषण अभियान छेड़ा हुआ है और “सोशल मीडिया वॉर” के दौरान वे बिग टेक कंपनियों को आड़े हाथों लेने में भी कोई कसर नहीं छोड़ रहे हैं। वे ना सिर्फ एक बेहतरीन राजनयिक रहे हैं, बल्कि अमेरिकी विदेश मंत्री का पद संभालने से पहले वे अमेरिकी खूफिया एजेंसी CIA के डायरेक्टर भी रह चुके हैं। ऐसे में जिस प्रकार Mike Pompeo ने अपने कार्यकाल के आखरी तीन से चार महीनों में अमेरिका की विदेश नीति को सफलता का नया आयाम दिया है, उससे वे आगामी अमेरिकी चुनावों में राष्ट्रपति पद के एक प्रबल दावेदार बन गए हैं।
Mike Pompeo राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प के बाद शायद दूसरे ऐसी अमेरिकी हैं, जिनसे चीन सबसे ज़्यादा नफ़रत करता है। हाल ही में चीनी विदेश मंत्री Wang Yi ने Pompeo को “झूठ की कूटनीति” का सबसे बड़ा चैम्पियन कहा था। समझा जा सकता है कि दक्षिण चीन सागर से लेकर ASEAN और Quad की बढ़ती सक्रियता तक में Mike Pompeo की ही सबसे अहम भूमिका रही है। उन्हीं के नेतृत्व में अमेरिकी स्टेट डिपार्टमेन्ट ने पहली बार तिब्बत को चीनी सेना PLA द्वारा कब्ज़ाया गया इलाका बताया, जिसने चीन को काफी पीड़ा पहुंचाई थी। भारत के साथ अपनी साझेदारी को मजबूत कर हिन्द महासागर और दक्षिण एशिया में भी Mike Pompeo ने चीनी प्रभाव को खत्म करने की दिशा में कई बड़े कदम उठाए हैं। अक्टूबर महीने में Pompeo ने भारत के साथ-साथ मालदीव और श्रीलंका का दौरा कर चीन के विषैले एजेंडे के खिलाफ एक कूटनीतिक युद्ध का आगाज़ भी किया था।
अप्रैल 2018 में अमेरिका के विदेश मंत्री बने Pompeo की Middle East नीति सबसे ज़्यादा सफल रही है। वर्ष 2020 में इजरायल, अरब देशों और अमेरिका के बीच हुए Abraham Accords अमेरिका के इतिहास की सबसे बड़ी उपलब्धियों में से एक था। उसके बाद ओमान और बहरीन जैसे देशों ने भी इजरायल के साथ अपने रिश्ते आधिकारिक तौर पर स्थापित कर लिए। इतना ही नहीं, उन्हीं के नेतृत्व में पिछले महीने करीब तीन साल पुराना क़तर संकट खत्म हुआ है। हालांकि, ज़मीन पर डोनाल्ड ट्रम्प के सलाहकार Jared Kushner ज़्यादा सक्रिय दिखे थे, लेकिन इस बड़े संकट को खत्म कराने में Pompeo की भी बड़ी भूमिका रही ही थी।
पिछले दो से तीन सालों में Pompeo अपने आप को एक कुशल रणनीतिकार साबित कर चुके हैं। ऐसे में अगर किन्हीं कारणों से राष्ट्रपति ट्रम्प वर्ष 2024 के चुनावों में खड़े होना का फैसला नहीं लेते हैं, तो उनकी जगह Mike Pompeo मजबूत दावेदारों में से एक हो सकते हैं। ट्रम्प ने इशारों ही इशारों में इस बात को साफ़ किया है कि वे अभी सक्रिय राजनीति में बने रहेंगे। ऐसे में उन्हें आगामी चार सालों के दौरान ट्रम्प से भी भरपूर राजनीतिक समर्थन मिलने की उम्मीद होगी। ट्रम्प और Mike Pompeo अभी Republican Party के सबसे अहम और पोपुलर चेहरों में से में एक हैं। ऐसे में यह कहना गलत नहीं होगा कि वर्ष 2024 में अगर Republican Party को जीत मिलती है तो Mike Pompeo के राष्ट्रपति बनने के पूरे-पूरे अनुमान हैं।