जब से बाइडन प्रशासन सत्ता में आया है, तभी से यही बड़ा सवाल उठाया जा रहा है कि आखिर चीन को लेकर बाइडन की नीति कैसी होगी? क्या वे ट्रम्प की आक्रामक चीन नीति को आगे बढ़ाएँगे, या फिर वे अपने Democrat पूर्ववर्ती ओबामा की तरह ही चीन को लेकर तुष्टिकरण की नीति के रास्ते पर चलेंगे। उनके प्रशासन का बारीकी से अध्ययन किए जाने के बाद इस सवाल का उत्तर खोजने में किसी को ज़्यादा मशक्कत नहीं करनी पड़ेगी। उनके प्रशासन में CIA डायरेक्टर से लेकर Treasury Secretary के पद के लिए चुने व्यक्तियों पर चीन और चीनी कम्युनिस्ट पार्टी का अच्छा-खासा प्रभाव रहा है। इसके साथ ही UN में अमेरिका का प्रतिनिधित्व करने के लिए चुने गए अमेरिकी राजनयिक Linda Thomas-Greenfield का भी पूर्व में चीन से जुड़ाव रहा है। ऐसे में यह बड़े आराम से कहा जा सकता है कि चीनी प्रशासन की नीतियों पर चीन का अत्यधिक प्रभाव देखने को मिल सकता है, जिसके कारण वैश्विक चीन-विरोधी लड़ाई को एक बड़ा झटका पहुँच सकता है।
उदाहरण के लिए बाइडन द्वारा चुनी गए Treasury Secretary Janet Yellen की पृष्ठभूमि को ही देख लीजिये! अब यह सामने आया है कि उन्हें CCP के मुखपत्र Caixin के साथ बातचीत करने के लिए बड़ी भारी रकम मुहैया कराई गयी थी। Yellen ने हाल ही में अपने वित्तीय लेन देन का ब्यौरा पेश किया है, जहां 68 बिन्दु वाली सूची में 33वें बिन्दु पर उनके इस विवादित लेन-देन का ज़िक्र है। Caixin मीडिया संस्थान चीनी कम्युनिस्ट पार्टी का बेहद करीबी है और इसकी संस्थापक Hu Shuli की चीनी नेताओं के साथ घनिष्ठ मित्रता है। वॉशिंगटन पोस्ट के मुताबिक Hu Shuli की चीनी उप-राष्ट्रपति Wang Qishan के साथ भी गहरी दोस्ती है। ऐसे में Hu Shuli के संस्थान से पैसे लेकर अपने बयान देने वाली Jenet Yellen अभी से विवादों के घेरे में आ गयी हैं।
यह तो कुछ भी नहीं, बाइडन ने खुफिया एजेंसी CIA के डायरेक्टर पद के लिए जिस व्यक्ति Bill Burns को चुना है, वे तो वर्ष 2014 के बाद से CCP से जुड़े एक थिंक टैंक Carnegie Endowment for International Peace के अध्यक्ष भी रह चुके हैं। Carnegie Endowment for International Peace का चीनी-अमेरिकी रिश्तों का अध्यन्न करने वाले China-United States Exchange Foundation यानि CUSEF के साथ सीधा संबंध है। CUSEF चीनी कम्युनिस्ट पार्टी के United Front प्लान का ही एक हिस्सा है, जिसका मकसद अमेरिका में “चीनी विरोध को खत्म करना” और प्रभावशाली लोगों पर “चीन के हित में नीति बनाने” का दबाव बनाना है। Carnegie Endowment for International Peace को समय-समय अमेरिका-चीन के रिश्तों को “बढ़ावा देने के लिए” चीनी सरकार से पैसे मिलते रहते हैं। ऐसे में ऐसे संस्थान के अध्यक्ष के पद पर रहने वाले Bill Burns से चीन के खिलाफ कोई सख्त नीति अपनाने की उम्मीद नहीं रखी जा सकती है।
इसी प्रकार बाइडन द्वारा UN में अमेरिकी प्रतिनिधि के पद के लिए Linda Thomas-Greenfield को चुना गया है, जो वर्ष 2019 में चीनी समर्थक Confucius Institute के लिए बोलते हुए अफ्रीका में अमेरिका-चीन के टकराव का विरोध करते हुए चीनी सरकार की जमकर तारीफ कर चुकी हैं। हालांकि, अब पद संभालने के बाद वे पूर्व में दिये अपने बयानों के लिए माफी मांग चुकी हैं, लेकिन इससे ये तो ज़ाहिर हो ही गया है कि चीन को लेकर उनकी मानसिकता क्या है।
बाइडन प्रशासन का चीन को लेकर नर्म रुख वैश्विक राजनीति पर बेहद गंभीर असर डालेगा। इससे ना सिर्फ चीन विरोधी Quad कमजोर होगा, बल्कि इससे चीन को दक्षिण एशिया में आक्रामकता बढ़ाने के लिए free hand भी मिल जाएगा। वर्ष 2021 में अमेरिका में बाइडन सरकार चीन के लिए किसी बड़े अवसर से कम नहीं है।