जो बाइडन अमेरिका के 46 वें राष्ट्रपति अब व्हाइट हाउस पहुंच चुके है और उनके सत्ता में आते ही जिओ पॉलिटिक्स में परिवर्तन होना शुरू हो गया है। अमेरिका के सहयोगी देशों के साथ समन्वय में उनकी विफलता के कारण पहले ही लोकतांत्रिक दुनिया को झटके लगने शुरू हो चुके है। ऐसा लगता है कि इस झटके की शुरुआत चीन के मुकाबले के लिए मजबूत हुए QUAD से हुई है। ऑस्ट्रेलिया, जापान, भारत और अमेरिका के सहयोग से एक अनौपचारिक चीन विरोधी रणनीतिक मंच के रूप में QUAD सफल हो ही रहा था कि अमेरिका में सत्ता परिवर्तन हो गया। व्हाइट हाउस में ट्रम्प रहते चीन के सबसे बड़े सिरदर्द बन गया था लेकिन बाइडन के सत्ता में आने के साथ चीजें बदल रही हैं।
हालांकि वाशिंगटन के QUAD सहयोगी देश पहले ही जो बाइडन के आने से बहुत उत्सुक नहीं थे। परंतु अब बाइडन एक ऐसा कदम उठाने जा रहे है जो QUAD सहयोगियों को बहुत नाराज करने के लिए बाध्य कर सकता है। पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रम्प चीनी 5 जी तकनीक के खिलाफ एक अभियान का नेतृत्व कर रहे थे। वह चीनी 5G की दिग्गज कंपनियां जैसे हुवावे और ZTE की कमर तोड़ने के लिए कि कदम उठा चुके थे लेकिन ऐसा लगता है कि बाइडन उन सभी कदमों को पूर्ववत कर रहे है।
सत्ता में आने के कुछ समय बाद ही बाइडन प्रशासन ने अमेरिकी विदेश विभाग की वेबसाइट को अपडेट किया था। इसी दौरान चीन के उपर प्रोफाइल पेज को भी अपडेट किया गया है। ट्रम्प प्रशासन के समय, प्रोफ़ाइल पर लिखा था, “चीनी कम्युनिस्ट पार्टी: वैश्विक शांति और सुरक्षा के लिए खतरा,” लेकिन अब इस पर लिखा है कि, “चीन के साथ अमेरिकी संबंध”
ट्रम्प प्रशासन ने जिन दो मुद्दों यानी 5G सुरक्षा और चीन की चुनौती को फ्लैग किया था उस भी बाइडन प्रशासन ने हटा दिया है। इसलिए, QUAD सहयोगी देश दो मुद्दों पर विरोध कर सकते हैं- पहला बाइडन चीन के उदय को चुनौतीपूर्ण या खतरनाक नहीं मानता है और दूसरा बाइडन प्रशासन 5G सुरक्षा मुद्दे पर चीन के विरोध में सहयोग नहीं करेगा।
यह परेशानी का मुद्दा है, क्योंकि सुरक्षा चिंताओं को लेकर चीनी 5G के खिलाफ ट्रम्प की लड़ाई QUAD के लिए सर्वोच्च प्राथमिकताओं में से एक थी। ऑस्ट्रेलिया ट्रंप प्रशासन साथ मिल कर अपने 5G नेटवर्क से चीनी दूरसंचार दिग्गज हुवावे और जेडटीई को बाहर करने वाले पहला देश था।
इसके अलावा, भारत और जापान गैर-चीनी 5G तकनीक की दौड़ में अग्रणी थे। अमेरिका से यह उम्मीद की गई थी कि वह लोकतांत्रिक दुनिया के लिए अपने खुद के 5G को विकसित करने के QUAD द्वारा किए जा रहे प्रयासों में मदद करे। पूर्व अमेरिकी विदेश मंत्री माइक पोम्पिओ ने यहां तक कह दिया था कि भारत के दूरसंचार दिग्गज Jio को दुनिया कि सबसे “Clean Telcos” है, जिसने CCP के साथ व्यापार करने से अस्वीकार कर दिया।
अमेरिका जापान के Rakuten को भी चुन सकता था। जापानी टेक कंपनी सिर्फ चीनी प्रभाव से मुक्त है, बल्कि अपने 5G कार्यक्रम में अमेरिकी कंपनियों के साथ भी सहयोग कर रही है।
लेकिन अगर बाइडन प्रशासन के कार्यों को देखा जाए तो यह पता चलता है कि उन्हें चीनी 5 जी के साथ कोई समस्या नहीं है। जैसे ही ट्रम्प ने व्हाइट हाउस छोड़ा, चीनी टेलीकॉम कंपनी के खिलाफ अमेरिकी अभियान ही समाप्त हो गया।
बता दें कि 5G तकनीक का मुद्दा तो अभी शुरुआत है। यह याद रखना होगा कि बाइडन ने कहा था कि कैसे चीन उनकी सरकार के लिए चुनौती नहीं है। इसलिए, बाइडन के कई मोर्चों पर बीजिंग के खिलाफ नरम होने की संभावना है, जो अमेरिका के QUAD सहयोगियों के बीच और भी दरार पैदा कर सकता है।
वैसे भी QUAD के सहयोगी राष्ट्र बाइडन की जीत के साथ खुश नहीं हैं। उदाहरण के लिए भारत, पाकिस्तान के साथ बाइडन के घनिष्ठ संबंध को लेकर चिंतित है। इसके अलावा, बीजिंग पर बाइडन के नरम होने से नई दिल्ली नाराज भी हो सकता है। यानी बाइडन प्रशासन में भारत के दोनो दुश्मन पड़ोसी देश को छूट मिलने की स्थिति में नाराज होना जायज है।
जापान के लिए, QUAD स्वतंत्र और खुले इंडो-पैसिफिक के अपने दृष्टिकोण के ऊपर केन्द्रित है। लेकिन अब बाइडन खुद ही QUAD को तोड़ने पर तुले हुए हैं। जापान की सुगा प्रशासन भी चिंतित है कि यदि बाइडन चीन पर बहुत नरम हो जाते हैं, तो वह पूर्वी चीन सागर में सेनकाकू द्वीप विवाद में हस्तक्षेप करने से भी इनकार कर सकते है।
अंत में, ऑस्ट्रेलिया ने केवल बीजिंग के खिलाफ एक बड़ा व्यापार युद्ध छेड़ा है क्योंकि उसे लगा था कि अमेरिका QUAD देशों को चीन के खिलाफ करेगा। लेकिन बाइडन के आने के साथ, अमेरिका-ऑस्ट्रेलिया संबंधो में भी मुश्किल पैदा होने की संभावना है।
यानि देखा जाए तो बाइडन का अमेरिकी राष्ट्रपति बनना चीन विरोधी देशों के लिए अच्छी खबर नहीं है। इससे सबसे मजबूत चीन विरोधी संगठन QUAD के भी अंत का समय निकट दिख रहा है।