बाइडन प्रशासन ने ईरान को एक बड़ी राहत देते हुए ट्रम्प प्रशासन के समय ईरान पर लगाए गए UN के प्रतिबंधों को हटाने का फैसला ले लिया है। इस कदम के बाद उम्मीद लगाई जा रही है कि ईरान को अमेरिका वापस ईरान न्यूक्लियर डील में शामिल होने के लिए राज़ी कर सकता है। हालांकि, बाइडन का यह कदम क्षेत्र में एक नई जंग को पैदा कर सकता है। ऐसा इसलिए क्योंकि इज़रायल ने सधे शब्दों में अमेरिका को यह संकेत दे दिया है कि अगर अमेरिका ईरान के साथ दोबारा न्यूक्लियर डील पर हस्ताक्षर करता है, तो इसके बाद इज़रायल ईरान के खिलाफ जंग का ऐलान भी कर सकता है।
इसी पर प्रकाश डालते हुए हाल ही में एक उच्च इजरायली अधिकारी Danny Danon ने Newsweek से अपनी बातचीत में इस ओर संकेत दिये हैं। Danon UN में इज़रायल के राजदूत रह चुके हैं और साथ ही वे फिलहाल Likud पार्टी की अंतर्राष्ट्रीय शाखा के अध्यक्ष भी हैं। उनके बयान के मुताबिक “आज ईरान 2016 का ईरान नहीं है। वे आज अपने प्रोग्राम को बहुत आगे ले जा चुके हैं। अगर आज अमेरिका ईरान के साथ न्यूक्लियर डील को दोबारा बहाल करता है तो हमें भी अपने विकल्पों पर दोबारा विचार करना पड़ेगा”। उनके बयान के बाद अब यह स्पष्ट हो गया है कि Danon ने ईरान के विरुद्ध किसी प्रकार की सैन्य कार्रवाई से भी इंकार नहीं किया है।
दूसरी ओर इज़रायल के सेना प्रमुख पहले ही इस बात के इशारे दे चुके हैं कि वे ईरान के खिलाफ किसी भी स्तर के operation को लॉन्च करने के लिए पूरी तरह तैयार हैं। बाइडन द्वारा JCPOA समझौते को बहाल करने की खबर पर प्रतिक्रिया देते हुए लेफ्टिनेंट जनरल अवीव कोशावी ने कहा था “हम अगले एक साल के दौरान किसी भी स्तर की सैन्य कार्रवाई को अंजाम देने के लिए अपने विकल्पों को बढ़ाने पर काम करेंगे। अभी हमारे पास पर्याप्त विकल्प पहले से मौजूद हैं, लेकिन आने वाले समय में हम और भी ज़्यादा तैयारी करेंगे।”
इसके साथ ही Danon ने मिडिल ईस्ट में नए विवाद को भड़काने से रोकने के लिए बाइडन को एक और विकल्प सुझाया है। उन्होंने कहा कि अगर अमेरिका को ईरान के साथ एक न्यूक्लियर समझौता करना ही है तो रूस, अमेरिका, फ्रांस, चीन, जर्मनी और ईरान के साथ-साथ इसमें इज़रायल और अरब देशों को भी शामिल करना चाहिए। हालांकि, इस बात की उम्मीद बेहद कम ही हैं कि बाइडन अपने ईरान समझौते में किसी नए सदस्य के शामिल होने के विचार को अपना समर्थन देंगे। ऐसे में JCPOA के बहाल होने के बाद दोबारा क्षेत्र में विवाद बढ़ने के पूरे-पूरे अनुमान हैं।
दूसरी ओर बाइडन के आने के बाद ईरान की ओर से भी आक्रामकता देखने को मिल रही है। ईरानी सेना के एक प्रवक्ता ने हाल ही में इजरायली सेना प्रमुख की धमकी को “मनोवैज्ञानिक युद्ध” का हिस्सा घोषित कर बयान दिया “अगर इज़रायल एक छोटी सी गलती भी करता है तो हम हाइफा और तेल अवीव को नेस्तानाबूत करने में थोड़ी देर ही लगाएंगे!”
बाइडन ने ईरान को दोबारा JCPOA समझौते में वापस लेने के इरादों को स्पष्ट कर इज़रायल के साथ-साथ अरब देशों को भी नाराज़ कर दिया है। क्षेत्र में अभी से पहले तनाव की स्थिति बन चुकी है और आगे चलकर इसमें और इजाफ़ा देखने को मिल चुका है। ऐसे में यह कहना गलत नहीं होगा कि अगर भविष्य में इज़रायल के हितों को नकारते हुए अमेरिका JCPOA को बहाल करने का फैसला लेते हैं तो पश्चिमी एशिया में ट्रम्प द्वारा बरकरार की हुई शांति हमेशा-हमेशा के लिए बर्बाद हो जाएगी!