जैसे-जैसे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी रोज नई ऊंचाइयों को छू रहे हैं। हमारे देश के ही लोग, जो खुद को लिबरल कहलवाना पसंद करते है, पीएम को नीचा दिखाने में कोई कसर नहीं छोड़ रहे हैं। कमाल की बात यह है कि हमारे देश के लिबरल्स बिना सच्चाई जाने, बिना पीछे की कहानी जाने और अपने विवेक को इस्तेमाल किए बिना ही भेड़ियों के झुंड की तरह सोशल मीडिया पर पीएम को ट्रोल करने लगते हैं। ऐसा ही कुछ अभी हो रहा है, जब कल बांग्लादेश में प्रधानमंत्री मोदी बांग्लादेश की आज़ादी की लड़ाई में अपने सहयोग की बात की तो यह बात लिबरलों को हज़म नहीं हुई और वो अपने ही प्रधानमंत्री को ट्विटर पर ट्रोल करने के लिए उमड़ पड़े।
अगर हम इस बात को विस्तार से बताएं तो कुछ यूं हुआ, प्रधानमंत्री मोदी बांग्लादेश के आज़ादी के 50 साल पूरे होने के मौके पर दो दिन की यात्रा पर बांग्लादेश गए हुए हैं, जहां उन्होंने सभा को संबोधित करते हुए बांग्लादेश की आज़ादी की लड़ाई लड़ने वालों को धन्यवाद और श्रद्धांजलि दीं। उसके बाद उन्होनें आज़ादी की लड़ाई के दौरान आई कठिनाइयों के बारे में उल्लेख किया।
साथ ही पीएम मोदी ने अपने सहयोग का ज़िक्र किया और बताया कि उन्होंने भी बांग्लादेश की आज़ादी के लिए सत्याग्रह में सहयोग दिया था। पीएम मोदी ने बताया कि उन्हें इसके लिए जेल भी जाना पड़ा था। इसके बाद पीएम ने कहा, “आज़ादी के लिए जितनी तड़प इधर (बांग्लादेश) में थी उतनी ही उधर (भारत) में भी थी।”
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पीएम मोदी के इतने ज़रूरी संदेश को नज़र अंदाज़ कर लिबरल्स अपनी ही धुन में आ गए और भेड़ियों के झुंड की तरह सोशल मीडिया पर पीएम मोदी को ट्रोल करने लगे। अगर कुछ ट्विटर यूजर्स की बात करें तो सबसे पहले निखिल वागले, जो कथित रूप से पत्रकार हैं, उन्होंने तुरंत फोटो दिखाने की मांग कर दी। बता दें कि, वागले का फोटो मांगना अपनी जानकारी बढ़ाना नहीं था, बल्कि पीएम मोदी को नीचा दिखाना था।
Can we see a photograph of this Satyagrah? https://t.co/YpDDZmqUEr
— nikhil wagle (@waglenikhil) March 26, 2021
वागले ने अभी फोटो की मांग की ही थी तब तक कंचन गुप्ता ने सत्याग्रह का एक वीडियो ट्विटर पर शेयर कर दिया, जिसकी वजह से वागले उल्टा ट्रोल हो गए।
https://twitter.com/KanchanGupta/status/1375498438004011009
कंचन गुप्ता के ट्वीट के बावजूद लिबरलों का रोना नहीं रुका और इस झुंड में कांग्रेस की सोशल मीडिया नेत्री भी आ गईं। खैर आश्चर्य की बात नहीं है, क्योंकि जहां अज्ञानता होगी, वहां कांग्रेस पार्टी पहले से मौजूद होती है।
I can’t imagine how he and his colleagues called Bangladesh residents as termites and now lies about having fought for Bangladesh’s independence.#LieLikeModi
— Lavanya Ballal Jain (@LavanyaBallal) March 27, 2021
लावन्या के बाद कांग्रेस के IT सेल की सदस्य सोनाली रानाडे ने ट्वीट करके अपनी अज्ञानता का परिचय दिया।
Modi was a freedom fighter ;-) https://t.co/31dIpcoqCW
— SonaliRanade (@sonaliranade) March 26, 2021
कांग्रेस के कार्यकर्ताओं के पास विवेक और ज्ञान की कमी है। यह बात मानने में किसी को असमंजस नहीं होगा, लेकिन कांग्रेस के वरिष्ठ नेता शशि थरूर भी बिना जानकारी के ट्वीट करेंगे और फ़ेक न्यूज़ फैलाएँगे। इसकी उम्मीद ज्यादा लोगों ने नहीं की होगी। हालाँकि, थरूर को अपनी गलती का एहसास हुआ और उन्होनें अपने द्वारा फ़ेक न्यूज़ फैलाने के लिए माफी मांग ली।
International education: our PM is giving Bangladesh a taste of Indian “fake news”. The absurdity is that everyone knows who liberated Bangladesh. https://t.co/ijjDRbszVd
— Shashi Tharoor (@ShashiTharoor) March 26, 2021
I don't mind admitting when I'm wrong. Yesterday, on the basis of a quick reading of headlines &tweets, I tweeted "everyone knows who liberated Bangladesh," implying that @narendramodi had omitted to acknowledge IndiraGandhi. It turns out he did: https://t.co/YE5DMRzSB0 Sorry!
— Shashi Tharoor (@ShashiTharoor) March 27, 2021
कांग्रेस पार्टी और लिबरलों के बुद्धिहीन बातों के पीछे दो कारण हो सकते हैं। पहला तो यह कि लिबरल ज्यादा पढ़े लिखे नहीं हैं, जब उन्हें लगा कि वो ट्विटर पर फ़ेक न्यूज़ फैलाने के काबिल हो चुके हैं। उसके बाद उन्होंने पढ़ाई छोड़ दी थी। दूसरा कारण यह भी हो सकता है कि, प्रधानमंत्री मोदी का संघर्ष उसके बाद उनकी सफलता लिबरलों की आँखों में चुभती है, ऐसे में उनकी बौखलाहट को समझा जा सकता है।
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जानकारी के लिए उल्लेख करना ज़रूरी है कि, जनसंघ ने बांग्लादेश की आज़ादी के लिए सत्याग्रह किया था। जनसंघ बांग्लादेश की आज़ादी के लिए अमेरिका के दूतावास के सामने प्रदर्शन भी किया था, लेकिन बहुत दुख की बात है कि आज लोग केवल इंदिरा गांधी को याद रखते हैं। ठीक वैसे ही जैसे भारत की आज़ादी के लिए सिर्फ गांधी और नेहरू को याद किया जाता है।