हाथरस केस में सपा कार्यकर्ता की संलिप्तता को लेकर पूछे गए सवाल पर अखिलेश यादव ने अपना आपा खो दिया। मंगलवार को हुए एक प्रेस वार्ता के दौरान जब एक पत्रकार ने अखिलेश यादव से यह सवाल किया कि हाथरस केस का मुख्य आरोपी सपा से जुड़ा है तो उन्होंने पत्रकार पर चिल्लाते हुए कहा “बिक गए हो तुम । क्या नाम है तुम्हारा और तुम्हारे चैनल का। बिके हुए आदमी हो तुम।”
पिछले दिनों हाथरस की एक लड़की का वीडियो सोशल मिडिया पर वायरल हुआ था जिसमें वह अपने पिता के लिए इन्साफ मांग रही है। आपको बता दें, 50 वर्षीय अम्ब्रीश शर्मा की हत्या सोमवार को तब कर दी गई थी जब वह अपने खेत में मजदूरों से आलू की खुदाई करवा रहे थे। उनकी पत्नी और बेटी उन्हें खाना देने खेत पर पहुंची थी उसी समय गौरव नामक का आरोपी अपने साथियों के साथ वहां आया और बहस के बाद अम्ब्रीश पर ताबड़तोड़ गोलियां चला दी।
गौरव पर 2018 में अम्ब्रीश की बेटी से छेड़छाड़ का मामला चल ही रहा है। यह मामला हाथरस के सासनी क्षेत्र के नौरजपुर गांव का था। तब इस मामले में गौरव को 15 दिनों की जेल भी हुई थी। अभी वह जमानत पर बाहर आया हुआ था और पीड़ित परिवार पर दो वर्षों से मुकदमा वापस लेने का दबाव बना रहा था।
इसी दौरान सोमवार को पीड़ित लड़की अपने परिजनों के साथ मंदिर गई थी जहाँ पर गौरव का परिवार भी मौजूद था। जिसके बाद मंदिर में ही गौरव की माँ और पत्नी की पीड़ित परिवार के सदस्यों से बहस हो गई, जिसके बाद गौरव ने उसी शाम पीड़िता के पिता की गोली मारकर हत्या कर दी।
पीड़िता का वायरल वीडियो अत्यंत मार्मिक है। वह रोते हुए इंसाफ की अपील कर रही है। किन्तु इंसाफ की मार्मिक अपील का भी सपा अध्यक्ष अखिलेश के रवैये पर कोई खासा असर नहीं आया और यही कारण है कि उनके कार्यकर्ताओं द्वारा किये गए जघन्य अपराध के बाद भी वह मीडिया के सवाल करने पर उसे ही कठघरे में खड़ा कर रहे हैं।
समाजवादी पार्टी पहले से ही अपने अपराध कल्चर के लिए प्रसिद्ध है। जिस पार्टी के सीनियर नेता ही औरतों को लेकर अनर्गल टिप्पणी करते हों उसके कार्यकर्ता कैसे औरतों का सम्मान कर सकते हैं। सबसे बुरा यह है कि समाजवादी पार्टी का हाई कमान भी इन मामलों में सख्त रवैया अपनाने की बजाए आरोपियों का ही पक्ष लेता है।
मुलायम सिंह यादव का वह बयान प्रसिद्ध है जिसमें उन्होंने रेप को लेकर टिप्पणी करते हुए कहा था कि “लड़कों से गलती हो जाती है।” इसी तरह आजम खान का बयान सामने आया था जिसमें उन्होंने जया प्रदा को लेकर अनर्गल टिप्पणी करते हुए रामपुर की एक रैली में यह कहा था कि “आपने 10 साल जिनसे अपना प्रतिनिधित्व कराया, उसकी असलियत समझने में आपको 17 साल लगे, मैं 17 दिन में पहचान गया कि इनके नीचे का अंडरवेअर खाकी रंग का है।” किन्तु यह कोई पहला मौक़ा नहीं था जब जया प्रदा को लेकर आजम खान ने ऐसा कोई बयान दिया हो। इसके पूर्व भी उन्होंने जया प्रदा को “नाचने वाली” कहा था।
इसके बाद भी समाजवादी पार्टी ने आजम खान के विरुद्ध कोई कार्रवाई नहीं की, नतीजा यह हुआ कि उन्होंने संसद में भी ऐसा ही एक विवादित बयान दिया। इसके बाद भारी विरोध के कारण आजम को माफ़ी मांगनी पड़ी लेकिन इस बार भी सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव उनका ही पक्ष लेते रहे।
गेस्ट हॉउस कांड तो उत्तर प्रदेश की राजनीति का वह अध्याय है जिसे कोई नहीं भूल सकता। गेस्ट हॉउस कांड के दौरान मायावती पर जानलेवा हमला हुआ था। राजनीतिक समीकरण बदलने पर मायावती भले सब कुछ भूलकर समाजवादी पार्टी के साथ चुनाव लड़ने को तैयार हो गईं लेकिन गेस्ट हॉउस कांड आज भी सपा के अपराध की संस्कृति का सबसे बड़ा उदाहरण है। अखिलेश यादव और उनके पहले उनके पिता मुलायम सिंह यादव और चाचा शिवपाल ने जिस तरह से अपनी राजनीति चलाई है वह लोकतांतिक कम और मध्ययुगीन सामंतवादी अधिक है। समाजवादी पार्टी के लिए केवल यादव परिवार और उसके बाद उनके कार्यकर्त्ता ही सबकुछ हैं। ये दल लोगों का प्रतिनिधित्व न करके उनपर शासन करता है। इनका रवैया ऐसा है जैसे यह कोई लुटेरे आक्रमणकारी हैं जिसका जनता के प्रति कोई उत्तरदायित्व नहीं है। यही कारण है कि हाथरस जैसे जघन्य अपराध के बाद भी अखिलेश यादव सवाल करने वाले पत्रकार को ही कठघरे में रख रहे हैं, और अपने कार्यकर्त्ता की गलती नहीं स्वीकार कर रहे है।