COVID-19 के बढ़ते मामलों के बीच, विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) की प्रमुख वैज्ञानिक डॉ. सौम्या स्वामीनाथन ने कहा कि भारत में बन रही नेजल वैक्सीन बच्चों के लिए गेम चेंजर साबित होगी। बता दें कि Nasal Vaccines का ट्रायल भारत बायोटेक ने शुरू कर दिया है।
स्वामीनाथन जो कि स्वयं एक बाल रोग विशेषज्ञ है, उन्होंने सीएनएन-न्यूज 18 से विशेष बातचीत में कहा, “भारत में बनने जा रही नेजल वैक्सीन बच्चों के लिए गेम चेंजर साबित हो सकती है। यह लगाने में आसान है और यह आपके respiratory tract में इम्यूनिटी बढ़ाएगी।”
नाक के ज़रिये दी जाने वाली Covid वैक्सीन के बारे में बोलते हुए स्वामीनाथन ने कहा, “ज्यादा से ज्यादा स्कूल टीचर को वैक्सीन लगाने की जरूरत है और स्कूलों को तभी फिर से खोला जाना चाहिए जब community transmission का खतरा कम हो।” उन्होंने कहा कि “मुझे उम्मीद है कि जल्द ही हमारे पास बच्चों के लिए भी वैक्सीन होगी। हालांकि, इस साल इसकी संभावना नहीं है।”
केंद्र ने शनिवार को कहा कि बच्चे संक्रमण से सुरक्षित नहीं हैं, लेकिन इस बात पर जोर दिया कि प्रभाव न्यूनतम है। नीति आयोग (स्वास्थ्य) के सदस्य वीके पॉल ने केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय की प्रेस वार्ता के दौरान कहा, “अगर बच्चे कोविड से प्रभावित होते हैं, तो या तो कोई लक्षण नहीं होंगे या कम से कम लक्षण होंगे। उन्हें आम तौर पर अस्पताल में भर्ती होने की आवश्यकता नहीं होती है।” उन्होंने कहा कि बच्चों के बीच कोविड -19 के इलाज के लिए स्वास्थ्य के बुनियादी ढांचे को बढ़ाया जाना चाहिए, लेकिन यह सबसे महत्वपूर्ण है कि उन्हें पहले स्थान पर transmission chain का हिस्सा ही न बनने दिया जाए। यानी स्पष्ट है कि बच्चो में संक्रमण रोकने के लिए वैक्सीन की आवश्यकता होगी और ऐसे में भारत की स्वदेशी नेजल वैक्सीन ही सबसे ज्यादा कारगर साबित होगी।
स्वामीनाथन ने कहा,“कई वैक्सीन डेवलपर हैं जिन्होंने पहले ही अपने paediatric trials शुरू कर दिए हैं, जैसे फाइजर वैक्सीन अब 12 साल से अधिक उम्र के बच्चों के लिए स्वीकृत है और छोटे बच्चों के लिए परीक्षण जारी है। उम्मीद है कि एक दो महीने में फाइजर और मॉडर्ना वैक्सीन को मंजूरी मिल जाएगी।”
बताते चलें कि हैदराबाद स्थित भारत बायोटेक ने नेजल वैक्सीन का ट्रायल करना शुरू कर दिया है। कंपनी की मानें तो नेजल स्प्रे की सिर्फ चार बूंदे ही जरूरी होंगी। नाक के दोनों छेदों में दो-दो बूंदें डाली जाएंगी। क्लिनिकल ट्रायल के दौरान अभी तक 175 लोगों को नेजल वैक्सीन दी जा चुकी है। हालांकि, ट्रायल के नतीजे अभी आना बाकी है। भारत बायोटेक का तो पहला चरण का क्लिनिकल ट्रायल 8 मई को ही खत्म होने वाला था। वहीं सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया के सीईओ अदार पूनावाला ने भी Nasal Vaccines बनाने की ओर कदम बढ़ा लिया है।
भारत बायोटेक के डॉ कृष्णा एला ने बताया कि, “इंजेक्शन लगाने वाले टीके केवल निचले फेफड़ों तक की रक्षा करते हैं, ऊपरी फेफड़े और नाक की रक्षा नहीं हो पाती है। ऐसे में वैक्सीन लगाए जाने के बाद भी लोगों को संक्रमण हो सकता है, लेकिन Nasal Vaccines इस संक्रमण की चेन को तोड़ेगी।”
उन्होंने कहा, “नाक से दी जाने वाली वैक्सीन आने ही वाली है। पहले चरण का ट्रायल चल रहा है और 8 मई तक की समय सीमा है। भारत बायोटेक की नेजल वैक्सीन आने के बाद भारत दुनिया का पहला देश बन जाएगा, जहां कोरोना की Nasal Vaccines होगी।“ डॉ कृष्णा एला ने कहा, “हम नाक से दी जाने वाली वैक्सीन पर डेटा का इंतजार कर रहे हैं।” Nasal Vaccines के बारे में बताते हुए उन्होंने कहा कि, “यदि आप नाक से दी जाने वाली वैक्सीन की एक डोज लेते हैं तो आप संक्रमण को रोक सकते हैं और इस तरह संक्रमण की चेन को भी रोका जा सकेगा, जिससे कोरोना के मामलों का curve फ्लैट हो सकता है।”
अब अगर नाक से दी जाने वाली वैक्सीन का ट्रायल सफल रहता है तो यह विश्व में अपनी तरह की सबसे पहली वैक्सीन होगी। इससे न सिर्फ कोरोना को नियंत्रित करने में सफलता मिलेगी, बल्कि विश्व में भी भारत बायोटेक के माध्यम से देश का नाम होगा।