अफगानिस्तान में तालिबान दिन-प्रतिदिन हावी होता जा रहा है। तालिबान की मानें तो आज उसका अफगानिस्तान के 80 प्रतिशत से भी ज्यादा हिस्सों पर कब्ज़ा है। यह बात किसी से छिपी नहीं है कि पाकिस्तान, तालिबान की मदद कर रहा है, लेकिन हाल ही में पाकिस्तान ने इससे आगे जाकर अपना असली रंग दिखाना शुरू कर दिया है।
दरअसल, पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी आईएसआई ने तालिबान की मदद के लिए भेजे गए अपने आतंकियों को भारतीय इंफ्रास्ट्रक्चर्स और संपत्तियों को निशाना बनाने का आदेश दिया है।
भारत ने अफगानिस्तान में 3 अरब से ज्यादा का निवेश किया है। इस निवेश से अफगानिस्तान में संसद, सड़कें और बांध बनाए गए हैं। रिपोर्ट के मुताबिक भारत अफगानिस्तान में अब भी 116 सामुदायिक विकास की परियोजनाओं पर काम कर रहा है। इनमें शिक्षा, स्वास्थ्य, कृषि, सिचाई, पेयजल, रिन्यूएबल एनर्जी, खेल और प्रशासनिक ढांचे का निर्माण भी शामिल है। इतना ही नहीं भारत ने अफगानिस्तान में शहतूत बांध, सलमा बांध, ZARANJ-DELARAM HIGHWAY और वहां की संसद का भी निर्माण किया है।
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भारत ने अफगानिस्तान में ‘निवेश’ नहीं किया है, बल्कि देश के आम नागरिकों के हित के लिए निर्माण किया है। भारत अपने निर्माण से किसी प्रकार के वित्तीय लाभ की उम्मीद नहीं कर रहा है।
यह बात तालिबान भी बखूबी जनता है और समझता भी है कि भारत का निर्माण कार्य आखिरकार अफ़गानी जनता के लिए ही है। इसलिए, तालिबान ने यह साफ कर दिया है कि वह अफगानिस्तान में राष्ट्रहित वाली परियोजनाओं पर हमला नहीं करेंगे। तालिबान ने यह भी स्पष्ट रूप से कहा कि वे पाकिस्तान के आतंकियों के इशारे पर काम नहीं करेंगे।
तालिबान के इस रुख से दो चीज़ें साफ हो रहीं हैं। पहली यह कि तालिबान भारत द्वारा निर्मित की गई परियोजनाओं एवं इंफ्रास्ट्रक्चर को क्षति नहीं पहुंचाएगा। दूसरी यह कि तालिबान का वर्चस्व स्थापित हो चुका है और अब उसका पाकिस्तान से काम निकल चुका है।
अब वो आगे अफगानिस्तान में हुकूमत चलाने के बारे में सोच रहा है, ऐसे में अफगान हित के बारे में पहले सोचेगा और पाकिस्तान हित के बारे में बाद में। अगर इसके बावजूद भी पाकिस्तान, तालिबान पर भारत के विरोध में जाने के लिए दवाब बनाता है तो पाकिस्तान को इसका खामियाजा भुगतना पड़ सकता है।
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न्यूज़ एजेंसी ANI ने रिपोर्ट्स के हवाले से बताया है कि पाकिस्तान ने 10,000 से ज्यादा आतंकियों को अफगानिस्तान में तालिबान का साथ देने के लिए भेजा है। पाकिस्तान की खुफ़िया एजेंसी ISI ने इन आतंकियों को ख़ास निर्देश दिए हैं कि भारत के बनाए प्रोजेक्ट्स पर हमले किए जाएं। भारत के बनाए निर्माण कार्यों को तबाह किया जाए।
दूसरी तरफ ज़ी न्यूज़ से बातचीत में तालिबान ने कहा है कि वो राष्ट्रीय महत्व के निर्माण कार्य पर हमला नहीं करेगा। ऐसे में एक बात तो साफ है कि अगर पाकिस्तानी आतंकियों ने अफगानिस्तान में भारतीय निर्माण कार्य पर हमले किए तो अफगानिस्तान खुद ही पाकिस्तानी आतंकियों को सबक सिखा देगा।
फिलहाल तालिबान ने काबुल पर कब्जा नहीं किया है, लेकिन काबुल के आसपास के इलाकों को अपने गिरफ्त में ले लिया है। इन सभी परिस्थितियों को देखते हुए माना जा रहा है कि अगर तालिबान काबुल पर कब्जा करता है और अशरफ गनी सरकार को सत्ता से हटाने में कामयाब हो जाता है तो वह पूर्ण रूप से अफगानिस्तान पर हुकूमत करेगा। ऐसे में तालिबान राष्ट्रहित के लिए जरूरी सभी प्रोजेक्ट्स की सुरक्षा की की बात कर रहा है।