“अगर सैनिकों को वापस ले लिया जाएं और अगर हमारे पास सुरक्षा नहीं रही, तो जम्मू और कश्मीर की दुर्दशा अफगानिस्तान के समान होगी, जहां इस्लामी ताकतें आकर इस क्षेत्र में लोकतंत्र को खत्म कर देंगी”
“यह केवल भारतीय सेना और भारतीय सैन्य लोकतंत्र की मजबूत नींव है जिसने तालिबान के कब्जे वाले अफगानिस्तान को जम्मू और कश्मीर के क्षेत्र में आने से रोककर रखा है”
भारत में मौजूद तमाम बुद्धिजीवियों को जम्मू कश्मीर में तैनात सीआईएसएफ और आर्मी के जवान एक तरीके से तानाशाही हुकूमत की याद दिलाते हैं। उन्हें लगता है कि फौज की मौजूदगी से जम्मू कश्मीर के स्थानीय ‘प्रतिनिधित्व’ और आवाज को दबाया जाता है लेकिन अफसोस, उनकी इन बातों से कुछ ही लोग इत्तेफाक रखते हैं। कई बार न्याय और शांति की स्थापना के लिए थोड़ी लगाम आवश्यक होती है। अब ये बात भारत ही नहीं ब्रिटेन भी मानता है।
ब्रिटेन के सांसद बॉब ब्लैकमैन ने गुरुवार को अपने संसद में कहा कि भारत की वजह से ही जम्मू कश्मीर में हालात सामान्य बने हुए हैं और अगर भारत अपने सैनिकों को पीछे लेता है तो वहां इस्लामिक चरमपंथी लोकतंत्र को उखाड़ फेंकने का काम करेंगे।
इस विवादित सांसद ने छेड़ा था बहस
ब्रिटेन की संसद में गुरुवार को जम्मू कश्मीर के हालातों पर चर्चा हो रही थी। इस विशेष विषय पर चर्चा की मांग सांसद डेबी अब्राहम और पाकिस्तानी मूल की सांसद यास्मीन कुरैशी ने की थी। हाउस ऑफ कॉमन्स में कश्मीर में मानवाधिकारों पर बहस छेड़ने वाली डेबी अब्राहम पिछले साल विवादों में घिर गई थी। दरअसल, डेबी अब्राहम 18 फरवरी, 2020 को पाकिस्तान की यात्रा के लिए गई थी। तब यह बात सामने आई थी कि कश्मीर पर आल पार्टी पार्लियामेंट्री ग्रुप (APPGK) को पाकिस्तान सरकार से £ 31,501 (29.7 लाख रुपये) और £ 33,000 (31.2 लाख रुपए) के बीच धन प्राप्त हुआ है।
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सेना हटी तो दुर्दशा अफगानिस्तान जैसी होगी
ब्रिटिश संसद में माहौल बनाने और एजेंडे के लिए शुरू की गई इस बहस पर तुंरत बॉब ब्लैकमैन ने पानी फेर दिया। हाउस ऑफ कॉमन में बोलते हुए बॉब ने कहा, “ज़रा सोचिए, हमने देखा है कि अफगानिस्तान में क्या हुआ है। अगर सैनिकों को वापस ले लिया जाए और अगर हमारे पास सुरक्षा नहीं रही तो जम्मू और कश्मीर की दुर्दशा अफगानिस्तान के समान होगी, जहां इस्लामी ताकतें आकर इस क्षेत्र में लोकतंत्र को खत्म कर देंगी।”
ब्लैकमैन ने अपने सहयोगियों से वास्तविकता को पहचानने के लिए कहा। पाकिस्तान मूल की ब्रिटेन सांसद यास्मीन कुरैशी विरोध करती रहीं लेकिन बॉब ब्लैकमैन ने अपना पक्ष मजबूती से रखा। उन्होंने आगे यह भी कहा, “यह केवल भारतीय सेना और भारतीय सैन्य लोकतंत्र की मजबूत नींव है जिसने तालिबान के कब्जे वाले अफगानिस्तान को जम्मू और कश्मीर के क्षेत्र में आने से रोककर रखा है। ऐसा करने से यह समझ में आता है कि यह क्षेत्र कानूनी रूप से भारत गणराज्य का एक अभिन्न अंग है।”
ब्लैकमैन ने इस बात का भी उल्लेख किया कि कट्टरपंथी इस्लामी आतंकवादियों द्वारा कई आतंकवादी हमले, हत्याओं और जबरन धर्मांतरण किया गया है। बॉब ब्लैकमैन ने कहा, “हमें याद रखना चाहिए कि कश्मीर घाटी मुस्लिम (बहुल) है, जम्मू में मुख्य रूप से हिंदू है और लद्दाख मुख्य रूप से बौद्ध है। तथ्य यह है कि ऐतिहासिक रूप से सताए गए हिंदुओं, सिखों, ईसाइयों, महिलाओं और बच्चों जैसे धार्मिक अल्पसंख्यक दुर्भाग्य से घाटी में पीड़ित हैं।”
कुर्द, बलोची और उइगर पर चुप्पी साध लेती हैं ब्रिटिश सांसद
भारत में मौजूद अतिवादी धर्मनिरपेक्ष लोग बॉब ब्लैकमैन का संबंध किसी शाखा से जोड़ने का प्रयास कर रहे होंगे। शायद पुराने पीढ़ियों के संबंध नागपुर से खोजा जा रहा होगा ताकि ऐसे कड़वे सच दोबारा सुनने को ना मिलें। लेकिन तथ्य को फर्क नहीं पड़ता है कि कौन उसे बता रहा है, जो सच है वो हमेशा एक जैसा ही होगा। हमेशा फिलिस्तीन और जम्मू कश्मीर में मौजूद फौज को एक नजर से देखा जाता है लेकिन तब यह नहीं देखा जाता है कि इजरायल विस्तारवाद के लिए अपने फौज का इस्तेमाल करता है लेकिन भारत ने अपने ही देश के बहुसंख्यक समुदाय को सुरक्षित रखने के लिए वहां फौज की तैनाती की है।
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जम्मू कश्मीर में फौज की मौजूदगी के बावजूद भी अलगाववादी नेताओं को लोकतांत्रिक प्रक्रिया में भाग लेने की छूट है, उन्हें मंच प्रदान किया जाता है। पाकिस्तानी मूल की ब्रिटिश सांसद यास्मीन कुरैशी कुर्द समुदाय, बलोची लोगों पर सैन्य हुकूमत की बात नहीं करेंगी क्योंकि वहां तुर्की और पाकिस्तान की फौज है। चीन में उइगर मुसलमानों पर हो रहे अत्याचार को लेकर भी यह कुछ नहीं बोलेंगी क्योंकि चीन को आंख दिखाना इनके बस की बात नहीं।