कोविड-19 के कारण यदि देश में कहीं सबसे अधिक नुकसान हुआ है, तो वो केरल में हुआ है। देश में सबसे अधिक मामले और सबसे अधिक मृत्यु इसी राज्य में हुए हैं, एवं सक्रिय मामलों में सबसे अधिक हिस्सेदारी भी इसी राज्य की रही है। लेकिन अब ये भी सामने आ रहा है कि केरल सरकार ने एक और बात देश से छुपाई थी। असल में अब तक माना जा रहा था कि केरल में 26000 लोगों की कोविड-19 से मृत्यु हुई है। परंतु ये संख्या गलत थी, क्योंकि केरल सरकार ने हाल ही में स्वीकार किया है कि उन्होंने 7000 लोगों की मृत्यु का हिसाब तो रखा ही नहीं था।
केरल सरकार ने कोविड के मौतों को छुपाया
हाल ही में केरल सरकार ने घोषणा की है कि कोरोना के कारण जिन मृतकों के नाम सूची से बाहर रह गए थे, उन्हें भी सूची में शामिल किया जाएगा। स्वास्थ्य मंत्री वीना जॉर्ज ने बताया कि 7000 मृतकों को भी कोरोना से हुई मौतों की सूची में शामिल किया जाएगा। इन आंकड़ों को शामिल करने के बाद राज्य में कोरोना के कारण हुई मौतों की संख्या 33 हजार पहुंच जाएगी। जबकि यह संख्या अभी 26 हजार बताई जा रही थी।
विधानसभा में राज्य की स्वास्थ्य मंत्री वीना जॉर्ज ने बताया कि संबंधित रिकॉर्ड की जानकारी न होने के कारण इन मौतों को कोविड-19 मौतों के आधिकारिक आंकड़ों में शामिल नहीं किया गया था। मंत्री ने कहा, “यदि लिस्ट में त्रुटियों से संबंधित कोई भी आपत्ति हैं, तो स्वास्थ्य विभाग उन पर विचार हेतु तैयार है।”
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इसी को कहते हैं, एक तो चोरी, ऊपर से सीनाज़ोरी। परंतु यह तो कुछ भी नहीं है। जो 7000 मौतें राज्य की सूची में जोड़ी जाएंगी, वह केवल जून के दूसरे सप्ताह तक की होंगी, यानि जुलाई से लेकर सितंबर तक जो वुहान वायरस का सर्वाधिक प्रकोप केरल पर फैला हुआ था, उसके बारे में लेशमात्र भी उल्लेख़ नहीं होगा। नये आंकड़ों पर अधिकारियों ने गोलमोल उत्तर देते हुए कहा कि राज्य सरकार नए आंकड़ों को शामिल करके अंतिम सूची का आंकलन कर रही है। सही आंकड़े जल्द ही पेश किए जाएंगे।
वामपंथी गैंग का बनाया हुआ झुनझुना है केरल
इससे पहले केरल सरकार द्वारा स्वीकृत राज्य मेडिकल बोर्ड कोविड से हुए मौतों की समीक्षा करता था और फाइनल लिस्ट की घोषणा करता था। स्वास्थ्य विशेषज्ञों और विपक्षी दलों ने इनके अपारदर्शी अधिनियमों और इनके दोहरे मापदंडों की जमकर आलोचना भी की थी- जैसे उदाहरण के लिए केरल स्वास्थ्य बोर्ड ने कथित तौर पर उन मरीजों को लिस्ट में शामिल नहीं किया जिनका संक्रमित होने के बाद कोविड रिजल्ट नेगेटिव आया था और फिर कोरोना वायरस संक्रमण के कारण हुई जटिलताओं के कारण उनकी मृत्यु हो गई। केरल में स्थिति इतनी खराब है कि वहां एक जिले में जितने मामले हैं, वो पूरे उत्तर प्रदेश में भी नहीं है।
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TFI की एक विश्लेषणात्मक रिपोर्ट के अनुसार, “अब थोड़ा केरल मॉडल के ‘सच’ की बात कर लेते है। किसी भी परिस्थिति का परिचय, आंकड़ो से बढ़िया कोई नहीं दे सकता है। देश में रोजाना आने वाले मामलों में सबसे ज्यादा मामले केरल से सामने आ रहे हैं। जिस केरल मॉडल की चारों ओर तारीफ हो रही थी, वह बुरी तरह से फिसड्डी साबित हुआ हैं। केरेल में साक्षरता दर सबसे ज्यादा है लेकिन राज्य के बुनियादी ढ़ाचें आज भी उसकी सच्चाई की पोल खोलते हैं। केरल मॉडल कुछ खास नहीं है वो सिर्फ वामपंथी गैंग का बनाया हुआ झुनझुना है”।
ऐसे में केरल सरकार ने जो खुलासा किया है, वो न केवल केरल की सच्चाई उजागर करता है, बल्कि ये भी उजागर करता है कि केरल में शत प्रतिशत साक्षरता सिर्फ नाम की है। क्योंकि जो साक्षरता केवल आतंकवाद एवं बीमारियों को बढ़ावा दे, वो साक्षारता किस काम की?