कहावत है कि गीदड़ के नेतृत्व में लड़ते 100 शेरों से ताकतवर, शेर की नेतृत्व में लड़ने वाले 100 गीदड़ हैं! उत्तर प्रदेश को काफी वर्षों पश्चात एक राजनीतिक सिंह का नेतृत्व प्राप्त हुआ है। अतः अब आप कौन है, क्या है, इससे फर्क नहीं पड़ता। अगर आप राष्ट्र, धर्म और जनता के लिए हानिकारक हैं, तो उत्तर प्रदेश से आपको अपना बोरिया बिस्तर समेटना पड़ेगा! इसी क्रम में 60 बच्चों के मौत और नागरिकता कानून पर विद्रोह भड़काने के जिम्मेदार कफील खान को निलंबित कर दिया गया है। जिसके बाद तथाकथित धर्मनिरपेक्ष नेता और कट्टरपंथी मुसलमान खूब चिल्ला रहे है, लेकिन योगी सरकार के इस सख्त कदम ने स्पष्ट कर दिया है कि यूपी में रहना है तो कानून व्यवस्था से खिलवाड़ नहीं!
और पढ़ें: AMU ने हरिगढ़ [अलीगढ़] की छवि नष्ट कर दी थी, अब योगी आदित्यनाथ उसका कायाकल्प कर रहे हैं
डॉक्टर कफील खान निलंबित
योगी सरकार ने तात्कालिक कदम उठाते हुए गोरखपुर के बीआरडी मेडिकल कॉलेज और अस्पताल के बाल रोग विशेषज्ञ कफील खान को सेवा से निलंबित कर दिया है। आपको बता दें कि साल 2017 में ऑक्सीजन की कमी के कारण कथित तौर पर बच्चों की मौत के बाद कफील खान को निलंबित कर दिया गया था।
अतिरिक्त मुख्य सचिव (सूचना) नवनीत सहगल ने बीते गुरुवार को कहा कि “उन्हें प्रक्रिया के अनुसार सेवा से बर्खास्त कर दिया गया है। गोरखपुर के बीआरडी मेडिकल कॉलेज में 2017 में हुई घटना के सिलसिले में उन्हें बर्खास्त किया गया है। यह उनके खिलाफ अनुशासनात्मक कार्यवाही का एक हिस्सा था।”
वहीं, कफील खान ने गुरुवार को एक वीडियो बयान में कहा कि उनके खिलाफ “एक भी सबूत नही हैं”, उसके बावजूद उन्हें सेवा से निलंबित कर दिया गया। उन्होंने कहा कि “त्रासदी के असली अपराधी” अभी भी खुले घूम रहे हैं। साथ ही उन्होंने ये भी कहा कि आधिकारिक बर्खास्तगी आदेश मिलने के बाद वो कोर्ट का दरवाजा खटखटाएंगे।
अगस्त 2017, में कथित रूप से ऑक्सीजन की आपूर्ति में व्यवधान के कारण बीआरडी मेडिकल कॉलेज में बच्चों की मौत के बाद गिरफ्तार किए गए कफील खान को निलंबित कर निदेशक (चिकित्सा शिक्षा) के कार्यालय में संलग्न कर दिया गया। दो साल बाद उन्हें बहराइच जिला अस्पताल में कर्मचारियों के साथ कथित रूप से दुर्व्यवहार करने के लिए भी निलंबित कर दिया गया था।
हाल ही इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने यूपी सरकार को साल 2019 के निलंबन से संबंधित जांच को एक महीने के भीतर समाप्त करने का भी निर्देश दिया। 6 अगस्त को सरकार ने उच्च न्यायालय को बताया कि खान के खिलाफ पुन: विभागीय जांच का आदेश वापस ले लिया गया है और सरकार तीन महीने में उनके निलंबन पर फैसला कर सकती है।
औेर पढ़ें: योगी आदित्यनाथ ने कैराना को एक और कश्मीर बनने से बचा लिया
डॉक्टर कफील के पाप का घड़ा!
एक वरिष्ठ सरकारी अधिकारी ने गुरुवार को कहा कि जांच में दोषी पाए जाने के बाद कफील खान को निलंबित कर दिया गया है। अधिकारी ने स्पष्ट किया कि “डॉ खान के खिलाफ तीन आरोप है।”
बता दें, उनपर प्रथम आरोप यह है कि सरकारी सेवा में कार्यरत होने के बावजूद, वो अपना निजी क्लीनिक चला रहे थे, अपने निजी क्लीनिक और मुनाफे में वो इतने व्यस्त थे कि ऑक्सीजन की आपूर्ति और उसके भुगतान पर उनका कोई ध्यान नहीं था। जिसके कारण ऑक्सीजन की कमी हुई और तत्पश्चात बच्चों की मृत्यु देखने को मिली। यहां तक की उन्होंने वरिष्ठ अधिकारियों को अस्पताल में ऑक्सीजन की कमी के बारे में भी सूचित भी नहीं किया और कर्तव्यों का निर्वहन करने में असफल रहे।
इतना ही नहीं उन्होंने अपने गलतियों को छुपाने के लिए निजी स्तर पर ऑक्सीजन की व्यवस्था की और मामले की लीपापोती करते हुए मामले का ठीकरा सरकार पर फोड़ दिया। दूसरा आरोप यह है कि डॉक्टर कफील खान ना सिर्फ एक चिकित्सक के रूप में अपने कर्तव्यों का निर्वहन करने में असमर्थ रहें, अपितु उन्होंने सीएए और एनआरसी के मुद्दे पर भीड़ को राजद्रोह के लिए भी उकसाया था!
डॉक्टर कफील खान के खिलाफ तीसरा आरोप यह है कि बहराइच में कार्यरत रहने के दौरान, उन्होंने अपने एक कर्मचारी के साथ दुर्व्यवहार किया। डॉक्टर के खिलाफ एक और जांच अंतिम चरण में है। अधिकारी ने कहा, “चूंकि मामला विचाराधीन है, डॉक्टर खान की बर्खास्तगी के बारे में विस्तृत जानकारी इलाहाबाद उच्च न्यायालय को दी जाएगी जहां मामले की सुनवाई हो रही है।”
प्रियंका गांधी ने उठा दिए सवाल
दूसरी ओर कांग्रेस की प्रियंका गांधी वाड्रा ने यूपी सरकार पर निशाना साधा और कहा कि यह कदम “नफरत के एजेंडे से प्रेरित” है। अन्य सभी वामपंथियों, कट्टरपंथियों, छद्म धर्मनिरपेक्षता के ठेकेदारों, राजनीतिज्ञों, अर्बन नक्सलियों और उदारवादियों को भी ऐसा ही लगता है। कुछ आंसू बहाएंगे, कुछ चीखेंगे-चिल्लायेंगे, भ्रामक खबरें फैलाएंगे और योगी सरकार को दमनकारी शासक बताएंगे। वैसे भी उत्तर प्रदेश चुनाव सर पर है, तो आपको ऐसे बयान यदा कदा सुनने को मिलते रहेंगे।
इनलोगों ने मिलकर मुस्लिम प्रताड़ना का ऐसा भ्रमजाल आपके मन में डाल दिया है कि अधिकांश मुस्लिमों के गलत कृत्य को हम शासन का मुस्लिम दुराग्रह मानने लगे हैं! इतना उदार समाज, धर्म और न्याय व्यवस्था होने के बावजूद हमें लगता है कि शासन ही गलत है, गलत करनेवाल सही है और अगर कहीं वो मुसलमान है तब तो निश्चित ही उसे फंसाया गया है। खैर योगी सरकार में अब ऐसे लोगों के दिन लद गए हैं। कफील खान को उनके किए की सजा तो जरुर मिलेगी लेकिन जो नेता न्याय को प्रभावित कर रहे हैं, उन्हें आप मताधिकार का प्रयोग कर उनके अंज़ाम तक पहुंचाए!
और पढ़ें: प्रियंका गांधी का एयर इंडिया ड्रामा: ये टाटा से नहीं, बल्कि प्रफुल्ल पटेल से जुड़ा है