भारत सरकार ने बुधवार को देसी स्तर पर RuPay डेबिट कार्ड को बढ़ावा देने और डिजिटल ट्रांजेक्शन के मूल्य को कम करने के लिए 1300 करोड़ रुपए आवंटित किए हैं। इसका सीधा असर वीजा कार्ड और मास्टर कार्ड पर पड़ेगा। इस प्रोजेक्ट के तहत सरकार RuPay डेबिट कार्ड के द्वारा किए गए लेनदेन पर बैंक को होने वाले भुगतान का एक हिस्सा स्वयं देगी। अर्थात् RuPay डेबिट कार्ड के माध्यम से जब भी कोई व्यक्ति लेन-देन करेगा, तो उस पर बैंक को किये जाने वाले भुगतान की कुल राशि में एक हिस्से को चुकाने की जिम्मेदारी सरकार उठाएगी। इस प्लान के द्वारा भारतीय बाजार में RuPay डेबिट कार्ड के दो मुख्य प्रतिद्वंदी, VISA कार्ड और Master कार्ड को चुनौती मिलेगी।
और पढ़ें: कैसे RBI के मास्टर कार्ड प्रतिबंध से VISA, UPI और RuPay को मदद मिल रही है
अपने आर्थिक हितों से समझौता नहीं करेगा भारत
महत्वपूर्ण यह है कि पिछले दिनों ही VISA ने अमेरिकी एजेंसियों से भारत सरकार की शिकायत करते हुए यह कहा था कि सरकार अपने RuPay डेबिट कार्ड को प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से बढ़ावा दे रही है। इस शिकायत के कुछ ही दिनों बाद 1300 करोड़ का बजट आवंटित कर केंद्र सरकार ने अमेरिकी एजेंसियों को भी यह संदेश दे दिया है कि भारत अपने आर्थिक हितों पर किसी प्रकार का कोई समझौता नहीं करेगा।
RuPay डेबिट कार्ड को बढ़ावा देना प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ड्रीम प्रोजेक्ट में से एक है। साल 2018 में एक भाषण के दौरान पीएम मोदी ने कहा था कि “हर कोई देश की रक्षा के लिए सीमा पर नहीं जा सकता है, लेकिन हम राष्ट्र की सेवा के लिए RuPay कार्ड का उपयोग कर सकते हैं।” सरकार का उद्देश्य भारत में आर्थिक डिजिटलीकरण को साकार करना है और इसके लिए भारतीय क्रेडिट और डेबिट कार्ड तथा UPI सेवाओं से अधिक उपयुक्त विकल्प कुछ और नहीं हो सकता। 1300 करोड़ के इंसेंटिव की घोषणा करते हुए केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव ने यह भी बताया कि इस वर्ष नबंवर में भारतीयों ने 473 करोड़ ट्रांजेक्शन डिजिटल माध्यम से किए हैं, जिसमें 7.56 लाख करोड़ रुपये मूल्य की धनराशि का लेनदेन हुआ है।
और पढ़ें: Mastercard के बाद, रोने लगा Visa, कारण PM मोदी का RuPay को बढ़ावा देना
नए भारत की पहचान बनेगा RuPay कार्ड
बताते चलें कि आने वाले समय में सरकार डिजिटल लेनदेन को और ज्यादा बढ़ावा देगी। इसके लिए बैंकों को RuPay कार्ड को बढ़ावा देने को कहा गया है। एक महत्वपूर्ण तथ्य यह भी है कि सरकार की योजना 2000 रुपए मूल्य से कम के लेन-देन पर इंसेंटिव देने की है। योजना का यह भाग विशेष रूप से ग्रामीण भारत को देख कर तैयार किया गया है। भारत में ग्रामीण तथा छोटे शहरों में होने वाले लेन-देन कम मूल्य के होते हैं। पिछले कुछ वर्षों में इस प्रकार के लेन-देन के लिए विशेष रुप से कोरोना के फैलाव के बाद से UPI का प्रयोग बड़े पैमाने पर शुरू हुआ है। अब सरकार चाहती है कि आम आदमी तक क्रेडिट और डेबिट कार्ड की पहुंच बन सके, जिससे आर्थिक समावेशन की प्रक्रिया को पूर्णता मिले।
केंद्रीय रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने कहा कि “ज़ीरो एमडीआर की घोषणा के बाद से इस उद्योग की अपनी समस्याएं बनी रही है, लेकिन अब डिजिटल भुगतान पर लगाए गए लेनदेन शुल्क की (सरकार द्वारा) प्रतिपूर्ति की इस पहल से उन्हें बहुत फायदा होगा, इससे उन्हें (बैंक आदि को) देश में भुगतान के बुनियादी ढांचे को बढ़ाने में मदद मिलेगी, जिससे वित्तीय समावेशन में वृद्धि होगी।” निश्चय ही सरकार का कदम स्वागत योग्य है। आत्मनिर्भर भारत, अपने आर्थिक लेनदेन के लिए अमेरिकी कार्ड पर निर्भर नहीं रह सकता। RuPay डेबिट कार्ड नए भारत की एक पहचान बनेगा।
और पढ़ें: UPI अर्थव्यवस्था पर है GPay और Amazon Pay का कब्ज़ा, अब भारतीय खिलाड़ियों को आक्रामक होना होगा