क्या आपको पता है कि ऑटोमोबाइल के क्षेत्र में भारत विश्व का पांचवा सबसे बड़ा उत्पादक है, साथ ही ऑटोमोबाइल के क्षेत्र में भारत विश्व का चौथा सबसे बड़ा बाजार भी है। लेकिन क्या आपको पता है कि विश्व बैंक की एक रिपोर्ट के अनुसार, दुनिया के केवल 1 प्रतिशत वाहनों के साथ, भारत में सड़क दुर्घटनाओं में होने वाली वैश्विक मौतों का हिस्सा 11 फीसदी के करीब है, जो दुनिया में सबसे अधिक है। आंकड़ों के मुताबिक देश में प्रति वर्ष लगभग 4.5 लाख सड़क दुर्घटनाएं होती हैं, जिसमें 1.5 लाख लोग मारे जाते हैं!
खराब ड्राइविंग के अलावा इन मौतों का प्रमुख कारण है गाड़ियों की घटिया क्वालिटी! क्वालिटी ऐसी की कई कंपनियों की प्रमुख गाडियां NCAP के टेस्टिंग में जीरो रेटिंग के बावजूद धड़ल्ले से मार्केट में बिक रही हैं। इन कंपनियों में मारुति सुजुकी की गाडियां सबसे घटिया प्रदर्शन करती हैं। इस आर्टिकल में हम विस्तार से समझेंगे कि भारतीय बाजार में 40 फीसदी की हिस्सेदारी रखने वाली मारुति सुजुकी की गाड़ियां कैसे सबसे खतरनाक गाड़ियों में से एक है!
जूते के डब्बे के समान हैं मारुति सुजुकी की गाड़ियां!
यदि आप एक मध्यवर्गीय भारतीय नागरिक हैं, तो इस बात की बहुत अधिक संभावना है कि आपके माता-पिता या आपके पास अपने जीवन के किसी बिंदु पर मारुति सुजुकी कार थी। मारुति 800 से लेकर मारुति सुजुकी स्विफ्ट तक, इस ब्रांड ने अब तक भारत की कुछ सबसे लोकप्रिय कारों का उत्पादन किया है। अगर आप ध्यान से देखेंगे तो इस कंपनी ने बस कहने के लिए कार बनाया है, जो जूते के डब्बे से कम नहीं है! मारुति सुजुकी कंपनी ने यात्रियों की सुरक्षा की परवाह किए बिना, सिर्फ मॉडल में थोड़े बदलाव कर सस्ती दामों पर कारों को बेचा है।
कुछ वर्ष पहले तक भारत में कार की कंपनियां काफी कम थी। जैसे-जैसे बाजार खुलता गया, वैसे-वैसे कार की कंपनियां बढ़ती गई। हालांकि, एक चीज नहीं बदली और वह है इन कंपनियों का भारतीय मध्यम वर्ग को लुभाने के लिए सस्ती कार का निर्माण।
मारुति सुजुकी, हुंडई, होंडा, स्कोडा, किआ, टाटा मोटर्स और महिंद्रा कई कंपनियां कार बनाती है। इनमें से मारुति सुजुकी 40 प्रतिशत से अधिक की हिस्सेदारी के साथ भारतीय बाजार पर अपना वर्चस्व जमाये हुए है। दूसरा सबसे अधिक बिकने वाला ब्रांड- हुंडई, मारुति सुजुकी से काफी पीछे है। अक्टूबर के महीने तक इस कंपनी की भारतीय मार्केट पर सिर्फ 14 प्रतिशत से अधिक बाजार हिस्सेदारी थी।
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लग्जरी के नाम पर लोगों को मौत बेच रही है सुजुकी?
इससे यह स्पष्ट रूप से पता चलता है कि भारत में अन्य कंपनियों द्वारा प्रतिस्पर्धी कीमतों पर वास्तव में अच्छे विकल्प पेश करने के बावजूद लोग किस प्रकार मारुति सुजुकी की गाड़ियों को बड़ी संख्या में खरीदते हैं। लोगों के विश्वास के बावजूद अगर देखा जाए, तो यह ऑटोमोबाइल कंपनी भारत में सबसे घटिया कार बनाती है। सस्ती कारों के नाम पर जनता को एक बड़ा सा जूते का बड़ा सा डब्बा थमा दिया जाता है।
यह कंपनी भारत में सबसे पुराने ऑटोमोबाइल कंपनियों में से एक है। इस कंपनी की कहानी 80 के उस दशक में आरंभ हुई, जब भारत में निजी कंपनियों को पनपने नहीं दिया जाता था। तब के दौर में इस कंपनी को चुनौती देने वाला कोई नहीं था। इस कंपनी के बारे में यह कहा जाता है कि यह ‘लोगों की कार’ बनाती है। 1983 में, मारुति सुजुकी 800 को पहली बार भारत में लॉन्च किया गया था और यह उस दौर में एक स्टेटस सिंबल बन गया और इसे एक लग्जरी माना जाने लगा। सस्ती कीमत, कम रख-रखाव तथा लागत, स्वदेशी कार के पुर्जे और उच्च ईंधन दक्षता के साथ यह कंपनी लोगों को आकर्षित करने लगी और यही इस कंपनी की USP बन गयी।
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उस दौरान लोगों को यह नहीं पता था कि उन्हें लग्जरी के नाम पर क्या बेचा जा रहा है। धीरे-धीरे जब लोगों को एहसास होने लगा कि सस्ती कीमत के अलावा सुरक्षा भी एक आवश्यक पहलू है, तब बदलाव होने आरंभ हुए। इसके लिए टेस्टिंग एजेंसी भी बनी, जिसे NCAP यानी New Car Assessment Program के नाम से जाना जाता है। यह NCAP फ्रंट ऑफ़सेट क्रैश परीक्षणों पर आधारित हैं। फ्रंट ऑफ़सेट क्रैश टेस्ट को दो कारों के बीच आमने-सामने टक्कर के लिए डिज़ाइन किया गया है।
ग्लोबल NCAP परीक्षण में कार 64 km/h पर चलती है और एक वस्तु से उसे टकराने दिया जाता है, जो 50 km/h की गति से चल रही दो कारों के बीच एक दुर्घटना के बराबर होती है। इस टेस्ट के बाद गाड़ियों को विभिन्न मानकों पर रेट किया जाता है।
NCAP रेटिंग्स में सबसे बुरा प्रदर्शन
इसके बावजूद मारुति सुजुकी के क्वालिटी में कोई फर्क नहीं पड़ा है। ग्लोबल न्यू कार असेसमेंट प्रोग्राम (NCAP) के कार दुर्घटना परिणामों में खराब प्रदर्शन के लिए मारुति सुजुकी की हमेशा आलोचना की जाती है। उदाहरण के लिए, मारुति सुजुकी एस-प्रेसो VXi ने ग्लोबल एनसीएपी क्रैश टेस्ट में चौंकाने वाली 0 स्टार रेटिंग हासिल की। चाइल्ड ऑक्यूपेंट प्रोटेक्शन के लिए कार को खराब 2-स्टार रेटिंग भी मिली।
वास्तव में, मारुति सुजुकी की कुछ अधिक लोकप्रिय गाड़ियों ने भी घटिया प्रदर्शन किया है। उदाहरण के लिए- नई वैगन आर का 1.0 लीटर LXI वैरिएंट ग्लोबल एनसीएपी क्रैश टेस्ट में केवल 2 स्टार रेटिंग हासिल कर सका। इसी तरह, मारुति सुजुकी स्विफ्ट हैचबैक ने भी एडल्ट ऑक्यूपेंट प्रोटेक्शन और चाइल्ड ऑक्यूपेंट प्रोटेक्शन दोनों के लिए केवल दो स्टार हासिल किए। हैचबैक सेलेरियो और ईको को एडल्ट ऑक्यूपेंट प्रोटेक्शन में शर्मनाक 0 रेटिंग मिला। जहां ईको ने चाइल्ड ऑक्यूपेंट प्रोटेक्शन में 2-स्टार रेटिंग हासिल की, वहीं सेलेरियो ने चाइल्ड ऑक्यूपेंट प्रोटेक्शन में 1-स्टार रेटिंग के साथ और भी खराब प्रदर्शन किया।
TATA और MAHINDRA बना रही हैं बेहतरीन गाड़ियां
अगर क्रैश टेस्ट रेटिंग्स पर विश्वास किया जाए तो लोगों के बीच लोकप्रिय मारुति सुजुकी ब्रांड सबसे असुरक्षित हैं। दूसरी ओर टाटा और महिंद्रा कुछ अविश्वसनीय रूप से सुरक्षित कारों का निर्माण कर रहे हैं। उदाहरण के लिए Tata Nexon और Tata Punch दोनों ने क्रैश टेस्ट में 5-स्टार रेटिंग हासिल किया है। इसी तरह महिंद्रा एक्सयूवी-300 और महिंद्रा थार ने भी क्रमशः 5 स्टार और 4 स्टार का उच्च स्कोर हासिल किया है। यहां ध्यान देने वाली बात यह है कि किसी कार में सेफ़्टी फीचर बाहर से नहीं लगवाए जा सकते हैं। कोई यह कहे कि सस्ती कारें खरीद कर अलग से सेफ़्टी फीचर लगवा लेगा, तो यह संभव नहीं है।
यह कोई रहस्य नहीं है कि मारुति सुजुकी सिर्फ ओर सिर्फ किफायती वाहनों के उत्पादन पर केंद्रित रही है। यही कारण है NCAP में इस कंपनी का शर्मनाक प्रदर्शन रहा है। अगर इसकी तुलना टाटा मोटर्स से करें, जिसने इसे टाटा अल्ट्रोज़, टाटा नेक्सॉन और टाटा हैरियर जैसी गाडियां बनाई है तो अंतर स्पष्ट पता चल जाएगा।
अब लोगों को यह सोचना होगा कि आखिर उनके लिए सबसे महत्वपूर्ण क्या है, लग्जरी या जान। अगर जान प्यारी है तो उन्हीं गाड़ियों का चुनाव करें, जो आपको एक्सिडेंट के दौरान सुरक्षित रखे, जिनका फ्रेम मजबूत हो तथा जिन गाड़ियों में सेफ़्टी फीचर उच्चतम स्तर का हो।