मुख्य बिंदु
- चीन के मुखपत्र ग्लोबल टाइम्स का भारत के अल्पसंख्यक समुदाय (मुस्लिम) पर बोल
- ग्लोबल टाइम्स ने कहा, मोदी सरकार में हिन्दू उग्रवाद को मिल रहा है बढ़ावा
- चीन में अल्पसंख्यक समुदाय पर हो रहे अत्याचार को लेकर ग्लोबल टाइम्स ने साधी चुप्पी
चीन के प्प्रसिद्ध समाचार पत्र ग्लोबल टाइम्स ने एक लेख लिखा है। इस लेख का सार है-भारत में तथाकथित अल्पसंख्यक समुदाय पर हो रहे अत्याचार। ग्लोबल टाइम्स ने अपने लेख में लिखा है कि, “भारत में मुसलमानों, ईसाइयों और अन्य धार्मिक विश्वासियों को लक्षित करने वाला हिंदू उग्रवाद बढ़ रहा है, लेकिन क्या पश्चिमी अभिजात वर्ग को इसकी परवाह है?”
ग्लोबल टाइम्स ने भारत और हिन्दू विरोधी अपने लेख में आगे लिखा है कि, “पिछले महीने भारत में दक्षिणपंथी हिंदू कार्यकर्ताओं और भिक्षुओं के एक सम्मेलन में (वीडियो में) हिन्दू उग्रवाद समूह का समर्थन करने वाली हिंदू महासभा की एक नेता (पूजा शकुन पांडे) ने अपने समर्थकों से मुसलमानों को मारने और अपनी रक्षा करने का आह्वान करने के लिए कहा। उस सम्मलेन में पूजा पांडेय ने कहा था कि,“अगर हम में से 100 लोग 20 लाख को मारने के लिए तैयार हैं, तो हम जीतेंगे और भारत को एक हिंदू राष्ट्र बना देंगे। हमें मारने और जेल जाने के लिए तैयार रहना होगा!”
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ग्लोबल टाइम्स के भारत के अल्पसंख्यकों पर बोल
ग्लोबल टाइम्स ने इस लेख में आगे लिखा है कि “वह अकेली हिंदू कार्यकर्ता नहीं थीं, जिन्होंने उस सम्मलेन के दौरान मुसलमानों के खिलाफ ‘नरसंहार’ का आह्वान किया था। मुसलमानों के प्रति शत्रुता और हिंसा बढ़ने के साथ, भारत में मुसलमानों को आये दिन ‘नरसंहार’ के संकेत मिलते हैं। भारत मुस्लिम विरोधी ‘नरसंहार’ की ओर बढ़ रहा है या नहीं, इस पर चर्चा करने वाले लेख भी मीडिया में तेजी से दिखाई दे रहे हैं।” ग्लोबल टाइम्स ने अपने इस लेख के माध्यम से भारत पर कड़ा प्रहार किया है। बता दें कि ग्लोबल टाइम्स CPC का भी मुखपत्र है।
वहीं, ग्लोबल टाइम्स ने लिखा है कि भारत का मुस्लिम समुदाय दशकों से भेदभाव का सामना करता आया है और ‘हिंदुत्ववादी भाजपा’ के नेतृत्व वाली सरकार में स्थिति और बदतर हो गई है। ग्लोबल टाइम्स ने लिखा, “मोदी सरकार ने मुस्लिम बहुल राज्य अर्थात कश्मीर की स्वायत्त स्थिति खत्म कर दी है और नागरिकता संशोधन अधिनियम को पारित करने के लिए कई कदम उठाएं है। मोदी सरकार के इन कदमों ने हिंदू राष्ट्रवादियों और उनके अहंकार को बढ़ावा दिया है।”
चीन में अल्पसंख्यक समुदाय पर हो रहे हैं अत्याचार
वहीं, चीन वह देश है, जो पूरे दुनिया में अल्पसंख्यक समुदाय पर अत्याचार के लिए प्रसिद्ध है। अगर ह्यूमन राइट्स वाच की रिपोर्ट को देखें तो चीन के उत्तर-पश्चिम में स्थित शिनजियांग में उइगर मुसलमानों की हालत दयनीय है। वहां उइगर, कज़ाख, किर्गिज़ और इस क्षेत्र के अन्य समुदाय जातीय रूप से तुर्किक हैं। यह तुर्किक आबादी मुख्य रूप से मुस्लिम है और उनकी अपनी भाषा है।
2010 की जनगणना के अनुसार, शिनजियांग की आबादी में उइगर 46 प्रतिशत और कज़ाख समुदाय 7 प्रतिशत हैं। जिस देश में धार्मिक मामलों के अधिकारी मैसुमुजियांग मैमुएर (10 अगस्त, 2017) को Xinhua पेज पर यह लिखे कि “उनके (उइगर मुसलमानों) के वंश को तोड़ो, उनकी जड़ों को तोड़ो, उनके संबंधों को तोड़ो और उनके मूल को तोड़ो। “दो मुंह वाले लोगों” की जड़ों को पूरी तरह से उखाड़ फेंकें, उन्हें बर्बाद करो और अंत तक इन दो-मुंह वाले लोगों से लड़ने का संकल्प लो” वहां पर यह समझना कठिन नहीं होना चाहिए कि अल्पसंख्यक समुदाय की क्या हैसियत होगी? चीनी सरकार द्वारा तुर्क मुसलमानों पर अत्याचार कोई नई घटना नहीं है किन्तु हाल के वर्षों में यह अत्याचार अभूतपूर्व स्तर पर पहुंच गया है।
भारत में अल्पसंख्यकों की स्थिति चीन से बेहतर
इतना ही नहीं अपितु अदालतों ने बिना किसी उचित प्रक्रिया के मुसलमानों को कठोर जेल की सजा दी है। तुर्क मुसलमानों को परिवार के किसी सदस्य को इस्लामी धार्मिक रिकॉर्डिंग भेजने या उइगर में ई-किताबें डाउनलोड करने के लिए कई वर्षों की जेल की सजा सुनाई गई है। वहीं, उनका उत्पीड़न सिर्फ चारदीवारी के भीतर नहीं है। जेल के बाहर भी उनका उत्पीड़न जारी है। चीनी अधिकारियों ने तुर्क मुसलमानों पर बड़े पैमाने पर निगरानी, उनके आंदोलन पर नियंत्रण, उनकी मनमानी गिरफ्तारी और जबरन गायब होने समेत सांस्कृतिक और धार्मिक उन्मूलन की व्यापक प्रणाली लागू की है।
चीन के इस व्यवहार के लिए संयुक्त राज्य अमेरिका के विदेश विभाग एवं कनाडा और नीदरलैंड की संसदों ने निर्धारित किया है कि चीन के ऐसे आचरण अंतरराष्ट्रीय कानून के तहत नरसंहार कहा जाता है। इन दुर्व्यवहारों पर वैश्विक प्रतिक्रिया भी तेजी से महत्वपूर्ण रही है। कनाडा, यूरोपीय संघ, यूनाइटेड किंगडम और अमेरिका जैसे कुछ देशों ने चीनी सरकारी अधिकारियों, एजेंसियों और अधिकारों के उल्लंघन में शामिल कंपनियों पर लक्षित और अन्य प्रतिबंध लगाए हैं। चीनी सरकार की नीति की निंदा करने के लिए यह सभी देश संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद और संयुक्त राष्ट्र महासभा की मानवाधिकार शाखा में इस मसले को प्रमुखता से उठा रहे हैं।
बहरहाल, इस्लामिक सहयोग संगठन के कई सदस्यों सहित कुछ गिनती की सरकारें अभी भी चीनी सरकार की शिनजियांग प्रान्त की नीतियों की प्रशंसा करती हैं। लिहाजा, भारत की स्थिति चीन की तरह नहीं है, जहां चीन अल्पसंख्यक समुदायों के साथ अपने कुकृत्यों को अंजाम दे रहा है। ऐसे में, जरूरी यह है कि चीन पहले अपने पाले में झांक कर देखे!