“एक क्रिकेटर से भी ज्यादा बेहतर राहुल द्रविड़ एक कोच के रूप में काम करेंगे”: कपिल देव
भारतीय क्रिकेट टीम में गिने- चुने ही ऐसे ही खिलाड़ी हुए, जिन्होंने क्रिकेट में बतौर बल्लेबाज और गेंदबाज से अपने क्रिकेट करियर की शुरुआत की और एक निश्चित समय बाद जाकर भारतीय टीम के कोच भी बने। इसी क्रम में राहुल द्रविड़ का नाम भी प्रमुख है। राहुल द्रविड़ ने खिलाड़ी, कप्तान और कोच के रूप में अपनी जिम्मेदारी का लोहा मनवाया है। अपने क्रिकेट करियर में इस खिलाड़ी ने भारत को कई रोमांचक मुकाबले में विजेता का ताज पहनाया है। याद कीजिये, जब इंग्लैंड के खिलाफ सीरीज के दौरान द्रविड़ ने एक मैच में तीन लगातार गेंद पर छक्के लगाए थे तब इंग्लैंड के खिलाड़ी ने भी उनको सम्मान दिया था।
आज इसी विलक्षण प्रतिभा के धनी क्रिकेटर, खिलाड़ी, कैप्टन और वर्तमान में भारतीय टीम के कोच का जन्मदिन है। राहुल द्रविड़ का जीवन इतना विस्तृत और संघर्षमय है कि उनके पूरे व्यक्तित्व को एक पृष्ठ पर उकेरना असंभव है। हालांकि, उनके जन्मदिन के अवसर पर हम सिर्फ उनके कोचिंग कौशल की विवेचना करेंगे और बताएँगे कि कैसे उन्होंने रवि शास्त्री के कार्यकाल के दौरान भारतीय टीम में कोचिंग को लेकर उठे विवादों से टीम को बाहर निकाला। आपको बता दें कि रवि शास्त्री के कार्यकाल में भारतीय टीम एक भी ICC ट्रॉफी नहीं जीत पाई थी।
और पढ़ें: राहुल द्रविड़ ही वो टीम निर्माता हैं जो कोहली की ‘चैपलगिरी’ का करेंगे अंत
विलक्ष्ण प्रतिभा के धनी हैं राहुल द्रविड़
राहुल द्रविड़ का जन्म आज ही के दिन 11 जनवरी 1973 को इंदौर, मध्य प्रदेश में हुआ था। बाद में द्रविड़ का परिवार बैंगलोर चला गया। वह एक विलक्षण बालक थे। द्रविड़ ने 12 साल की छोटी उम्र में ही क्रिकेट खेलना शुरू कर दिया था। बाद में, उन्होंने अंडर -15, अंडर -18 और अंडर -19 स्तरों पर कर्नाटक का प्रतिनिधित्व किया। द्रविड़ को पहली बड़ी क्रिकेट सफलता तब मिली जब वह सिर्फ 18 वर्ष के थे। उन्होंने 1991 में जब वह कॉलेज में पढ़ा करते थे तब उन्होंने रणजी खलेने की शुरुआत की। 1991-92 के रणजी सीज़न में, राहुल द्रविड़ यानी जैमी (जैसा कि उसके साथी उसे कहते हैं) का औसत 63.30 था। अक्टूबर 1994 में राष्ट्रीय चयन के लिए विचार किए जाने से पहले वह लगातार 3 वर्षों तक घरेलू क्रिकेट में बेहतरीन प्रदर्शन करते रहे।
वहीं, द्रविड़ ने 2012 में टेस्ट क्रिकेट से संन्यास ले लिया था। उन्होंने भारत के लिए विराट कोहली, रोहित शर्मा, रविचंद्रन अश्विन, सुरेश रैना और अजिंक्य रहाणे के साथ खेला है। उन्होंने राजस्थान रॉयल्स के ‘कप्तान और संरक्षक’ के रूप में अपने कार्यकाल के दौरान संजू सैमसन जैसे युवाओं और स्टीव स्मिथ और जेम्स फॉल्कनर जैसे अंतरराष्ट्रीय खिलाड़ियों के साथ भी खेला है। भारतीय टीम के कप्तान के रूप में द्रविड़ का प्रदर्शन काफी अच्छा रहा। द्रविड़ ने कप्तान के रूप में भारत को कई सफलताओं की ओर अग्रसर किया, विशेष रूप से इंग्लैंड में 2007 की टेस्ट श्रृंखला। राजस्थान रॉयल्स के कप्तान और खेल कोच के रूप में, राहुल द्रविड़ अक्सर युवा और अनुभवहीन टीम को आगे बढ़ाते थे, जिसकी बदौलत राजस्थान रॉयल्स की टीम 2013 के IPL में तीसरे स्थान पर रही और CL 20 में उपविजेता भी रही।
द्रविड़ ने अपने अनुभवों से भारत को दिलाई जीत
राहुल द्रविड़ ने रवि शास्त्री के बाद जब मुख्य कोच के रूप में पदभार संभाला तब उन्होंने न्यूजीलैंड के खिलाफ 3 मैचों की T-20 श्रृंखला को 3-0 के अंतर से जीतकर अपना पहला असाइनमेंट पूरा किया। द्रविड़ के संभावित प्रभाव के बारे में बोलते हुए, कपिल देव कहते हैं, “वह एक अच्छे इंसान हैं, एक अच्छे क्रिकेटर हैं। राहुल द्रविड़ एक कोच के रूप में एक क्रिकेटर के रूप से बेहतर काम करेंगे क्योंकि क्रिकेट में उनसे बेहतर प्रशिक्षण किसी ने नहीं लिया है। आप किसी एक को उसके डेब्यू के बाद जज नहीं कर सकते, आप एक परफॉर्मेंस से नहीं चलते। आने वाले समय में राहुल क्या करेंगे? यह हमें पता चल जाएगा। आप केवल सकारात्मक सोचते हैं।”
48 वर्षीय राहुल द्रविड़ ने बतौर कोच अपने जीवन की शुरुआत भारत के अंडर -19 भारत ‘ए’ टीम के कोच के रुप में की। इसी टीम ने 2018 में अंडर -19 विश्व कप जीता। हाल ही में, अंडर-19 (U19) टीम के कोच के रूप में, उन्होंने भारत को U-19 विश्व कप के फाइनल में पहुँचाया। दरअसल, विश्व कप के फाइनल तक भारतीय अंडर-19 टीम लगातार 18 मैचों में नाबाद जीत के साथ पहुंची। उन्हें 2019 में BCCI की राष्ट्रीय क्रिकेट अकादमी का निदेशक भी नियुक्त किया गया, जहां उन्होंने नई चोट प्रबंधन प्रणाली और राष्ट्रव्यापी कोचिंग कार्यक्रम को लागू किया।
बता दें कि सचिन तेंदुलकर के बाद द्रविड़ ने टेस्ट 13,288 रन बनाए हैं, जिसमें 36 शतक और 63 अर्धशतक शामिल हैं। वहीं, वनडे में द्रविड़ ने 10,889 रन बनाए हैं, जिसमें उनके 12 शतक शामिल हैं। इसके अलावा द्रविड़ की कप्तानी में इंग्लैंड में भारत को 21 साल बाद (1986 के बाद 2007 में) टेस्ट में सीरीज जीत हासिल हुई थी।
क्रिकेट के दिग्गज हैं राहुल द्रविड़
BCCI सचिव, जय शाह ने कहा: “राहुल द्रविड़ से बेहतर कोई व्यक्ति नहीं है और मैं उन्हें भारतीय टीम के कोच पद पर नियुक्त देखकर खुश हूं। NCA को बहुत जरूरी दिशा प्रदान करने और भारत अंडर -19 और भारत में लड़कों की प्रगति की देखरेख करने के लिए। एक स्तर पर हमारा मानना है कि यह एक कोच के रूप में उनके लिए एक स्वाभाविक स्थान है। मुझे इसमें कोई संदेह नहीं है कि उनके नेतृत्व में भारतीय टीम सभी प्रारूपों में विजयी रहेगी।”
और पढ़ें: टीम इंडिया में Wokeism को लेकर राहुल द्रविड़ का स्पष्ट संदेश- पहली फुरसत में निकल!
BCCI अध्यक्ष और द्रविड़ के पूर्व साथी सौरव गांगुली ने कहा, “NCA में राहुल के प्रयास ने कई युवा क्रिकेट प्रतिभाओं को पोषित किया है, जो अंतरराष्ट्रीय स्तर पर देश का प्रतिनिधित्व करने के लिए आगे बढ़े हैं। मुझे उम्मीद है कि उनका नया कार्यकाल भारतीय क्रिकेट को आगे ले जाएगा।”
ऐसे में, राहुल द्रविड़ को अभी भी खेल के एक दिग्गज के रूप में सम्मानित किया जाता है। इसका मतलब है कि जब प्रेरणा की तलाश की बात आएगी तो भारतीय टीम के युवा खिलाड़ियों को बहुत दूर जाने की जरूरत नहीं पड़ेगी। वहीं, यह अनूठा संयोजन राहुल द्रविड़ को भारतीय टीम के कोच बनने के योग्य बनाता है।