हिमंता बिस्वा सरमा की सरकार इस्लामिक कट्टरपंथियों और जिहादी तत्वों के विरुद्ध जीरो टॉलरेंस की नीति अपना रही है। असम में लंबे समय से बांग्लादेशी घुसपैठियों द्वारा कट्टरपंथी और जिहादी तत्वों का जो नेटवर्क तैयार किया गया था उसे हिमंता सरकार ठीक करने में जी जान से जुटी हुई है। अब प्रदेश सरकार ने अपने कार्य को और तेजी से आगे बढ़ाने के लिए असम सरकार ने मांग उठाई है कि ऐसी विदेशी इकाइयों के विरुद्ध कार्रवाई की जाए जो जिहादी तत्वों को फंडिंग प्रदान करते हैं।
असम के मुख्यमंत्री हिमंता बिस्वा सरमा ने कहा है कि जिहादी नेटवर्क विदेशी फंडिंग के कारण फल फूल रहे हैं। उन्होंने मांग की है कि नेशनल इन्वेस्टिगेशन एजेंसी (NIA) को जिहादियों के विरुद्ध चल रहे मामलों को अपने अधीन लेकर जिहादी फंडिंग के इस नेटवर्क को तोड़ने का काम करे। इस संदर्भ में उनकी बातचीत केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से चल रही है। उन्होंने गृह मंत्रालय को राज्य में जिहादियों के विरुद्ध चलाए गए अभियान की जानकारी दी है। उन्होंने मीडिया से बातचीत में कहा, “जांच के दौरान, हमने पाया कि जिहादियों का अखिल भारतीय नेटवर्क, विदेशी धरती द्वारा समर्थित है।” आतंकी आरोपियों की गिरफ्तारी पर प्रतिक्रिया देते हुए उन्होंने कहा, “इस्लामी आक्रमण को रोकने का हमारा एक लंबा इतिहास रहा है, हमने उन्हें 17 बार हराया।”
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वहीं, दूसरी ओर असम पुलिस ने अपनी जांच में पाया है कि बांग्लादेश भारत विरोधी जिहादी अभियान का मुख्य केंद्र बन गया है और यहां से मजहबी और स्वास्थ्य आधार पर वीजा प्राप्त कर जिहादी तत्व भारत आते हैं और यहां के युवाओं को CAA तथा NRC के संदर्भ में गलत जानकारी देकर उन्हें भटकाने का प्रयास करते हैं। हाल ही में असम पुलिस ने 16 जिहादियों को गिरफ्तार करके एक आतंकी मॉडल को ध्वस्त किया था। इन आतंकियों का बांग्लादेश स्थित अश्नरुल्लाह बांग्ला टीम नामक आतंकी संगठन से संबंध था, जो कुख्यात आतंकी संगठन अलकायदा के साथ जुड़कर कार्य कर रहा है।
आतंकियों के सेफ हाउस के रूप में कार्य कर रही है अवैध बस्तियां
एक लंबे समय से बांग्लादेश से भारत में हो रही घुसपैठ ने असम के सीमावर्ती इलाकों में कट्टरपंथियों को अत्यधिक सशक्त बना दिया है। बांग्लादेश के घुसपैठिए और आतंकी तत्व राज्य के लिए तथा स्थानीय लोगों के लिए कानून व्यवस्था की चुनौती बन गए हैं। इन तत्वों ने जनसांख्यिकी परिवर्तन को अपना हथियार बनाया है। वहीं, बड़ी संख्या में मुस्लिम आबादी असम के कई इलाकों में बस गई है और सांप्रदायिक दंगों को अपना हथियार बना लिया है। यही कारण है कि सरकार बनने के बाद सबसे पहले बांग्लादेशी घुसपैठियों कि अवैध बस्तियों के विरुद्ध कार्रवाई शुरू की गई थी क्योंकि ऐसी अवैध बस्तियां ही आतंकवादियों को सेफ हाउस देने का कार्य कर रही है।
बांग्लादेशी कट्टरपंथी मुसलमानों का प्रभाव भारतीय मुसलमानों पर कम से कम पड़े इसके लिए सरकार ने मदरसों से कट्टरपंथी मानसिकता का प्रभाव कम करने का निर्णय लिया है। राज्य में सरकार समर्थित सभी मदरसों को बंद करने का निर्णय लिया गया है और उसके स्थान पर सामान्य विद्यालय शिक्षा दिए जाने की व्यवस्था की गई है। इसका उद्देश्य गरीब मुस्लिम बच्चों को आधुनिक शिक्षा देना है जिससे जिहादी तत्व उनका उपयोग न कर सकें। आधुनिक शिक्षा द्वारा मुस्लिम बच्चों को रोजगार के लिए तैयार किया जा रहा है। भारत ही नहीं, संपूर्ण विश्व में मदरसे आतंकी शिक्षा को फैलाने का सबसे आसान रास्ता बन गए हैं। फ्रांस, भारत, अफगानिस्तान इसका उदाहरण है कि मदरसे कट्टरपंथी शिक्षा का केंद्र बन गए हैं, इसलिए मदरसों का ‛डी-रेडिकलाइजेशन’ आवश्यक है।